Hindi, asked by navay11, 1 year ago

write a paragraph an pradushan ki samasaya in hindi​

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Answered by kapil19jun01
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प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है- वातावरण में किसी तत्व का असंतुलित मात्रा में विद्यमान होना। प्रदूषण विज्ञान की देन है, रोगों को निमंत्रण है और प्राणियों की अकाल मृत्यु का आधार है। प्रदूषण प्रकृति के विभिन्न घटकों का संतुलन बिगड़ने से होता है। जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, भूमि प्रदूषण- ये सभी प्रदूषण के विविध रूप हैं। नदी-नाले, सागर-महासागर, पर्वत और ओजोन परत भी इसी प्रदूषण से प्रभावित हो रहे हैं। वनों का कटाव, आधुनिकीकरण की समस्या और शहरीकरण, बढ़ती जनसंख्या की समस्या आदि वायु प्रदूषण बढ़ने के सबसे बड़े कारण हैं।

प्रकृति के अधिकतम शोषण से प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है। ऋतु चक्र में बदलाव आ गया है और शुद्ध वायु का मिलना कठिन होता जा रहा है। बड़े-बड़े कारखानों से निकलने वाले धुएँ वायु की शुद्धता को निगल रहे हैं। नगर और महानगरों की गंदगी स्वच्छ पानी देने वाले स्रोतों में बहाई जा रही है। कारखानों का गंदा पानी नदियों में बहाया जा रहा है जिससे जल प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है। यातायात के आधुनिक साधन जहाँ एक तरफ़ वायु प्रदूषण बढ़ा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ रहा है, आकाश में उड़ते हवाई जहाज, तेज रफ्तार वाले जेट विमान, दिन-रात बजते हुए लाउडस्पीकरों से जो शोर उभरता है वह कर्णभेदी तो होता ही है साथ ही सुनने की शक्ति की कमजोर कर देता है। भूमि प्रदुषण आज के समय की एक और नई समस्या है। खेतों से अधिकतम उपज प्राप्त करने के लिए रासायनिक खादों का अधिकाधिक प्रयोग धरती को बंजर बना रहा है। प्रदूषण की समस्या मानव ने पैदा की है और यदि मानव अपना भला चाहता है तो इस भूल को सुधारने का उसे जल्द से जल्द प्रयास करना होगा। इसके लिए सबसे पहले वनों के कटाव को रोकना होगा और नदियों-नालों में गंदे पानी को बहने से रोकना होगा। ध्वनि प्रदूषण न के लिए इंसान को अपने मन पर नियंत्रण करना होगा। प्रदषण पर नियंत्रण पाने के लिए व्यक्तिगत प्रयास “होगा। यदि मनुष्य फिर से प्रकृति के साथ अपना तालमेल बैठा लेता है तो प्रदूषण जैसे राक्षस पर अंकुश लगाया। जा सकता है। नहीं तो प्रदषण रूपी अजगर कब समस्त सृष्टि को निगल जाए, कहा नहीं जा सकता।

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