write a paragraph in 200 words on the topic dharti kaise bani in hindi
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धरती की उत्पति के बारे में वैज्ञानिक धारणा यह हैं कि तकरीबन 5 बिलियन वर्ष पूर्व कई गैसों के एक साथ मिलने से भयंकर धमाका हुआ। इस कारण बहुत ही बड़ा एक आग का गोला बना जिसे वर्तमान में हम सूर्य कहते है। धमाका इतना तेज था कि इसके आसपास चारों और धूल के कण फ़ैल गए। और गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ये कण छोटे-छोटे पत्थर के टुकड़ों के रूप में बदल गए। कई वर्षों के अंतराल के बाद ये यह कण आपस में जुड़ने लगे और एक समय बाद सौर मंडल की उत्पति हुई।
और इस प्रकार लाखों वर्षों के पश्चात गुरुत्वाकर्षण के कारण पत्थर और चट्टानें आपस में जुड़ने लगी, इस प्रकार से धरती का जन्म एक आग के गोले के रूप में हो रहा था। वैज्ञानिक अवधारणा के मुताबिक 4.54 बिलियन वर्ष पूर्व पृथ्वी का तापमान 1200 डिग्री सेल्सियस था। ऐसे समय पर धरती पर केवल उबलता हुआ लावा, चट्टानें और कई जहरीली गैसें हुआ करती थी। ऐसे में पृथ्वी पर जीवन का होना असंभव था।
धरती की उत्पति के दौरान थिया नाम का एक गृह धरती की और 50 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ़्तार से बढ़ रहा था। यह रफ़्तार बन्दुक से चलाई गयी गोली से 20 गुना अधिक है। ऐसे में जब थिया गृह पृथ्वी की सतह से टकराया तो बहुत बड़ा धमाका हुआ। जिससे बहुत सारा कचरा धरती से बाहर निकला और साथ ही वह गृह धरती में समा गया। हजारों वर्षों के अंतराल के बाद धरती से निकला कचरा गुरुत्वाकर्षण के कारण एक गेंद का रूप बन गया, जिसे हम चाँद कहते हैं, इस प्रकार से चाँद की उत्पति हुई।
पृथ्वी की उत्पति के बाद अंतरिक्ष में बची हुई बाकी चट्टानें पृथ्वी पर गिरने लगी। इन चट्टानों में अजीब प्रकार के क्रिस्टल थे, जिसे आज हम नमक के रूप में प्रयोग करते हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह समुद्र का पानी इन्हीं चट्टानों के अंदर मौजूद नमक से निकलता हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार यह चट्टानें धरती पर करीब 20 मिलियन वर्षों तक धरती पर गिरती रही जिस कारण समुद्र के रूप में धरती काफी पानी इकट्ठा हो गया। लगातार इतने पानी के इकट्ठा होने से पृथ्वी की सतह ठंडी होने लगी और चट्टानें अधिक सख्त। धरती का अंदरूनी भाग में लावा अब भी अपने उसी रूप में मौजूद था। तथा ऊपर का तापमान 70–80 डिग्री सेल्सियस हो चूका था। वर्तमान में धरती पर मौजूद पानी लाखों वर्ष पहले का है। उस समय चाँद के धरती के बेहद करीब था और गुरुत्वाकर्षण बल के कारण धरती पर अक्सर तूफ़ान आते थे और लम्बे अन्तराल के बाद चाँद और धरती कि बढ़ती दूरी के कारण तूफ़ान शांत होने लगे।
और इस प्रकार लाखों वर्षों के पश्चात गुरुत्वाकर्षण के कारण पत्थर और चट्टानें आपस में जुड़ने लगी, इस प्रकार से धरती का जन्म एक आग के गोले के रूप में हो रहा था। वैज्ञानिक अवधारणा के मुताबिक 4.54 बिलियन वर्ष पूर्व पृथ्वी का तापमान 1200 डिग्री सेल्सियस था। ऐसे समय पर धरती पर केवल उबलता हुआ लावा, चट्टानें और कई जहरीली गैसें हुआ करती थी। ऐसे में पृथ्वी पर जीवन का होना असंभव था।
धरती की उत्पति के दौरान थिया नाम का एक गृह धरती की और 50 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ़्तार से बढ़ रहा था। यह रफ़्तार बन्दुक से चलाई गयी गोली से 20 गुना अधिक है। ऐसे में जब थिया गृह पृथ्वी की सतह से टकराया तो बहुत बड़ा धमाका हुआ। जिससे बहुत सारा कचरा धरती से बाहर निकला और साथ ही वह गृह धरती में समा गया। हजारों वर्षों के अंतराल के बाद धरती से निकला कचरा गुरुत्वाकर्षण के कारण एक गेंद का रूप बन गया, जिसे हम चाँद कहते हैं, इस प्रकार से चाँद की उत्पति हुई।
पृथ्वी की उत्पति के बाद अंतरिक्ष में बची हुई बाकी चट्टानें पृथ्वी पर गिरने लगी। इन चट्टानों में अजीब प्रकार के क्रिस्टल थे, जिसे आज हम नमक के रूप में प्रयोग करते हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह समुद्र का पानी इन्हीं चट्टानों के अंदर मौजूद नमक से निकलता हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार यह चट्टानें धरती पर करीब 20 मिलियन वर्षों तक धरती पर गिरती रही जिस कारण समुद्र के रूप में धरती काफी पानी इकट्ठा हो गया। लगातार इतने पानी के इकट्ठा होने से पृथ्वी की सतह ठंडी होने लगी और चट्टानें अधिक सख्त। धरती का अंदरूनी भाग में लावा अब भी अपने उसी रूप में मौजूद था। तथा ऊपर का तापमान 70–80 डिग्री सेल्सियस हो चूका था। वर्तमान में धरती पर मौजूद पानी लाखों वर्ष पहले का है। उस समय चाँद के धरती के बेहद करीब था और गुरुत्वाकर्षण बल के कारण धरती पर अक्सर तूफ़ान आते थे और लम्बे अन्तराल के बाद चाँद और धरती कि बढ़ती दूरी के कारण तूफ़ान शांत होने लगे।
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