Hindi, asked by kanishkajha095, 9 months ago

write a paragraph in 80-100 words..
★विषय★
देश की भलाई:-गंगा की सफाई


【संकेत बिंदु】

°गंगा की उपयोगिता
°गंगा नदी के प्रदूषण का कारण
°गंगा की शुद्धि के उपाय​

Attachments:

Answers

Answered by upendracachet
25

Answer:

गंगा’ शब्द सुनते ही पवित्रता की अनुभूति होती है क्या ये गंगा अब उतनी ही पवित्र है, जितनी की पूर्व में थी? हम भारतीयों के लिये गंगा सिर्फ एक नदी नहीं है, ये हमारी सांस्कृतिक मान्यताओं से जुड़ी है, हमेशा से सुनते आये हैं कि गंगा मेें डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं लेकिन हमने अपने पापों के अलावा सब कुछ (मैल, गन्दगी) इस गंगा में प्रवाहित करना प्रारम्भ कर दिया ऐसा करते-करते आज गंगा इतनी मैली हो गई है कि इसका गंगा होने का अस्तित्व ही समाप्त होता जा रहा है। आज गंगा सिर्फ कूड़ा-कचरा बहाकर ले जाने वाली नाला बन के रह गई है जो हमारे पापों को धुलने की क्षमता रखती थी, आज वो हमारे कारण खुद ही मैली हो गई है जिस गंगा पर हमें गर्व होता था, आज उसी गंगा को हमारी वजह से लज्जित होना पड़ रहा है। चूँकि गंगा का ये हाल हमारी वजह से हुआ इसलिये हमें स्वयं गंगा के शुद्धिकरण के विषय में तुरन्त महत्त्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए। ये बहुत ही चिन्ताजनक विषय है। इसलिये इसको प्राथमिकता देना चाहिए।

गंगा का उद्गम हिमालय की चोटियों से हुआ है और ये हमारे पूरे उत्तर भारत को जल उपलब्ध कराते हुए बंगाल की खाड़ी में समुद्र में जा मिलती है ऐसा कहा जाता है कि गंगा अपने जल को खुद ही स्वच्छ करती थी, जिसका कारण है गंगा के जल में उपलब्ध ‘विषाणु-जीवाणु’ जो कि गंगा के जल को शुद्ध बनाए रखते थे, जिसकी वजह से गंगा के जल को चाहे कितने ही दिनों तक संचित करके रखो वह कभी खराब नहीं होता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। गंगा में उपस्थित विषाणु-जीवाणु गंगा में मिलने वाले हानिकारक रसायनों की वजह से नष्ट होते जा रहे हैं। गंगा के अशुद्ध होने के पीछे बहुत से कारण हैं, इसलिये गंगा एक दिन में शुद्ध नहीं हो सकती। हमारी सरकारों ने जरूर गंगा शुद्धिकरण के लिये प्रयास किये, कई कदम उठाए लेकिन इन प्रयासों में कुछ कमियाँ रहीं, वास्तव में किसी पर भी उचित तरीके से कार्य नहीं किया गया। इस कार्य को एक सुनियोजित एवं व्यवस्थित ढंग से करना होगा। पहले समस्या की जड़ को समझना होगा फिर उसे कैसे ठीक किया जाये। उस विषय में सोचना होगा। पहले अत्यन्त आवश्यक समस्याओं का निवारण करना होगा- जैसे कि कारखानों से आने वाला व्यर्थ पदार्थ एवं दूषित जल प्रवाह जो गंगा में मिलते हैं उसको कैसे कम किया जा सकता है? प्लास्टिक कचरे को पुनः प्रयोग में लाना होगा, न कि गंगा में बहाना। औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले अपशिष्ट को अलग-अलग बाँटा जाये जैसे कि केमिकल अपशिष्ट, प्लास्टिक अपशिष्ट को अलग-अलग तरीकों एवं तकनीकों से अपघटन किया जाये। मानवीय अपशिष्ट को खाद में परिवर्तित किया जाये। न कि गंगा में बहाया जाये।

‘गंगा जी’ पूरे भारतवर्ष की आस्था का प्रतीक हैं। गंगा ने अपने अन्दर स्वर्णकालीन इतिहास को संजोकर रखा है ‘गंगा’ शब्द का पहला वर्णन हजारों वर्ष पूर्व लिखित ऋग्वेद में मिलता है।

जब हम अपनी धार्मिक पुस्तकों पर नजर डालते हैं तो पता चलता है कि जिस गंगा की आज हम अवहेलना कर रहे हैं उसे धरती पर लाने के लिये भगीरथ ने वर्षों तपस्या की थी। भगवान विष्णु के चरणों से निकलकर भगवान शिव की जटाओं में बहने वाली गंगा अति पवित्र ही नहीं, जीवनदायिनी भी हैं पवित्र जल की धाराएँ गंगोत्री से निकलकर ‘भगीरथी’ और ‘अलकनंदा’ के नाम से जानी जाती हैं तथा आगे प्रवाहित होते हुए इसका नाम गंगा हो जाता है लगभग पूरे उत्तर-पूर्व भारत से होते हुए यह अन्ततः बंगाल की खाड़ी में गिरती है, गंगा को सिर्फ गंगा के नाम से ही नहीं पुकारा जाता, सामान्य जन के मुख से भी ‘गंगा जी या गंगा मैया’ का उच्चारण ही निकलता है। इसी से इसकी पवित्रता, पुण्यता व महानता का पता चलता है।

हमारे देश में गंगा स्नान का महत्त्व कितना है यह जगजाहिर है। आज लोग गंगा स्नान तो करते हैं पर शैम्पू, साबुन के रूप में कई तरह के हानिकारक रसायन इसमें प्रवाहित भी करते हैं जिससे हमारी गंगा प्रदूषित होती जा रही है। हमारे यहाँ प्रतिमाएँ स्थापित की जाती हैं- चाहे गणेश उत्सव हो या दुर्गापूजा इन उत्सवों में स्थापित की गई सारी मूर्तियों को अन्ततः गंगा या निकट की नदियों में ही विसर्जित किया जाता है। इन सारी चीजों को देखकर लगता है कि जैसे गंगा का अस्तित्व ही खत्म होता जा रहा है वह गंगाजल जिसके बारे में सिद्ध था कि इसे कई दिनों/महीनों तक रखने पर भी इसके जल में कीड़ा आदि नहीं उत्पन्न होता, यह तथ्य आज झुठला गया है।

गंगा व अन्य नदियों की सफाई की विभिन्न योजनाएँ जैसे कि गंगा एक्शन प्लान, यमुना एक्शन प्लान और अन्य कई योजनाएँ विभिन्न समयों पर कार्यान्वित होती रही हैं लेकिन इन सब योजनाओं का कोई विशेष प्रभाव गंगा की सफाई या अन्य नदियों की सफाई पर परिलक्षित होता हुआ प्रतीत नहीं हो रहा है ऐसा क्यों हुआ? और अभी क्या किया जा सकता है? इसके बारे में गहराई से विचार करने की आवश्यकता है।

Similar questions