write a paragraph on door sanchar takneek ka upyog sarthak
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बहुमाध्यम का प्रयोग कर सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से जहाँ एक तरफ देश की सामाजिक संरचना में आमूल-चूल बदलाव आ रहा है, वहीं दूसरी ओर नित नवीन जानकारियाँ प्राप्त होने से देश की जनसंख्या का बड़ा हिस्सा जागरूक हो रहा है। फलस्वरूपप, देश के बेरोजगार अब स्वरोजगार की तरफ अग्रसर हो रहे हैं तथा ग्रामीण क्षेत्र में शहरों में पलायन की दर में कमी देखी जा रही है। आज सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी एवं जनमाध्यम की बदौलत सूचना विश्व एक वैश्विक ग्राम (ग्लोबल विलेज) बन गया है। बहुमाध्यमों ने लोगों तक पहुँच को इतना आसान बना दिया है कि विश्व स्तर पर प्रौद्योगिकी विकास तीव्र हो गया है।
ग्रामीण क्षेत्रों का भी तकनीकी विकास तेजी से होने लगा है, ग्रामीण साक्षरता की स्थिति में इजाफा हो रहा है, विद्युत आपूर्ति की स्थिति चाहे जैसी हो लेकिन संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी की सुदृढ़ पहुँच ने जबरदस्त क्रांति ला दी है। इस प्रौद्योगिकी के उपयोग से देश में अनेक ग्रामीण केंद्र संचालित हो रहे हैं जिनसे सामाजिक संरचना में उत्थान तो आ ही रहा है साथ आधुनिक तकनीकी के प्रति आयी जागरूकता ने समाज के ढाँचे को बदल दिया है यदि ग्रामीण ज्ञान केंद्रों की कार्य प्रणाली को चुस्त-दुरुस्त करके उसे और सुविधा एवं साधन संपन्न बना दिया जाए तो यह अत्यंत सार्थक एवं अनुकरणीय पहल होगी। जीवन-यापन के लिये ग्रामीण ज्ञान केंद्र परियोजना को मीडिया लैब एशिया, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के कोर ग्रुप के समक्ष मार्च 2006 को प्रस्तुत किया गया। परियोजना की प्रकृति शोध अभिकल्पन और विकास (आर डी एंड डी ) का अनुप्रयोग कर उत्पादन क्षमता बढ़ाने हेतु थी। परियोजना के लिये रुपये 94,05,000 की राशि मंजूर की गई।
इसका उद्देश्य सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के उपयोग के माध्यम से कृषि पद्धतियों, सामाजिक बुनियादी ढाँचे (शिक्षा, स्वास्थ्य आदि) और उभरते ज्ञान आधारित समाज के नए आयामों के लिये स्थानीय अधिकारियों के साथ सार्वजनिक बातचीत और एकीकृत ग्रामीण विकास के लिये रोजगार सृजन और आजीविका सुरक्षा प्रदान करना है। ग्रामीण ज्ञान केंद्र के मुख्य उद्देश्य निम्नवत हैं :
1. संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके सामाजिक संरचना, शिक्षा, स्वास्थ्य इत्यादि में सुधार और स्थानीय अधिकारी एवं पंचायती अधिकारियों के सहयोग से नयी खोज की जानकारी का सही इस्तेमाल किस प्रकार से किया जाए जिससे आम आदमी के लिये रोजगार के अतिरिक्त अवसर सृजित कराये जा सकें।
2. बहु-माध्यम (मल्टी मीडिया) साधनों का प्रयोग करके निम्नलिखित विषयों पर कार्यक्रम हेतु सीडी का निर्माण करना।
3. कृषि, पशुपालन, कालीन उद्योग, स्थानीय कला एवं दस्तकारी (बांस की टोकरी, लकड़ी के खिलौने इत्यादि) उद्यान-कृषि, चुनार की मूर्तिकला, सांस्कृतिक सम्पत्ति, बनारसी साड़ी, कढ़ाई, प्राथमिक उपचार, पत्थर पर मूर्तिकला, आयुर्वेदिक एवं पारंपरिक दवाएँ, लोक-साहित्य, संगीत एवं स्थानीय परंपरा, करघा एवं बुनाई।
बहु-माध्यम (मल्टी-मीडिया) सीडी में ज्यादा से ज्यादा चित्रों एवं चल-चित्रों का प्रयोग कर कच्चा माल, स्रोत, तकनीकी, जानकारी, संभावित बाजार और विभिन्न घटकों आदि की लागत के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
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