Hindi, asked by mojiegeg, 7 months ago

Write a paragraph on गुरु तेरी महिमा का वर्णन करूँ कैसे carries 10Marks. Pls write fast ​

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Answered by Anonymous
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Answer:

its not of 10 marks....its 5 marks there

Explanation:

गुरू की महिमा

शास्त्रों में गु का अर्थ बताया गया है- अंधकार या मूल अज्ञान और रु का का अर्थ किया गया है- उसका निरोधक। गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अज्ञान तिमिर का ज्ञानांजन-शलाका से निवारण कर देता है। अर्थात दो अक्षरों से मिलकर बने 'गुरु' शब्द का अर्थ - प्रथम अक्षर 'गु का अर्थ- 'अंधकार' होता है जबकि दूसरे अक्षर 'रु' का अर्थ- 'उसको हटाने वाला' होता है।

अर्थात अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को 'गुरु' कहा जाता है। गुरु वह है जो अज्ञान का निराकरण करता है अथवा गुरु वह है जो धर्म का मार्ग दिखाता है। श्री सद्गुरु आत्म-ज्योति पर पड़े हुए विधान को हटा देता है।

ओशो कहते है गुरु के बारे में कि 'गुरु का अर्थ है- ऐसी मुक्त हो गई चेतनाएं, जो ठीक बुद्ध और कृष्ण जैसी हैं, लेकिन तुम्हारी जगह खड़ी हैं, तुम्हारे पास हैं। कुछ थो़ड़ा सा ऋण उनका बाकी है- शरीर का, उसके चुकने की प्रतीक्षा है। बहुत थोड़ा समय है।...गुरु एक पैराडॉक्स है, एक विरोधाभास है : वह तुम्हारे बीच और तुमसे बहुत दूर, वह तुम जैसा और तुम जैसा बिलकुल नहीं, वह कारागृह में और परम स्वतंत्र।

अगर तुम्हारे पास थोड़ी सी भी समझ हो तो इन थोड़े क्षणों का तुम उपयोग कर लेना, क्योंकि थोड़ी देर और है वह, फिर तुम लाख चिल्लाओगे सदियों-सदियों तक, तो भी तुम उसका उपयोग न कर सकोगे।'

रामाश्रयी धारा के प्रतिनिधि गोस्वामीजी वाल्मीकि से राम के प्रति कहलवाते हैं कि- तुम तें अधिक गुरहिं जिय जानी। राम आप तो उस हृदय में वास करें- जहाँ आपसे भी गुरु के प्रति अधिक श्रद्धा हो। लीलारस के रसिक भी मानते हैं कि उसका दाता सद्गुरु ही है- श्रीकृष्ण तो दान में मिले हैं। सद्गुरु लोक कल्याण के लिए मही पर नित्यावतार है- अन्य अवतार नैमित्तिक हैं। संतजन कहते हैं-

राम कृष्ण सबसे बड़ा उनहूँ तो गुरु कीन्ह।

तीन लोक के वे धनी गुरु आज्ञा आधीन॥

गुरु तत्व की प्रशंसा तो सभी शास्त्रों ने की है। ईश्वर के अस्तित्व में मतभेद हो सकता है, किन्तु गुरु के लिए कोई मतभेद आज तक उत्पन्न नहीं हो सका। गुरु को सभी ने माना है। प्रत्येक गुरु ने दूसरे गुरुओं को आदर-प्रशंसा एवं पूजा सहित पूर्ण सम्मान दिया है। भारत के बहुत से संप्रदाय तो केवल गुरुवाणी के आधार पर ही कायम हैं।

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