write a paragraph on जीवन मे सुख पाने के लिए क्या उनका का होना आवशयक है। in hindi.
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Jeevan ka sukh pana ke liya kiska hona avayashak hai
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यह बड़ी अजीब बात है कि लोगों के सोच और उनके कर्म में कितना अंतर होता है। वहीँ यह बात भी सर्वमान्य है की कर्म सोच का ही परिमार्जित रूप होता है। फिर इस दोहरे मानदंड का अर्थ क्या है? ऐसी कौन सी अवस्थाएं हैं जो लोगों को उनके उद्देश्य से भटका देतीं हैं, अंतरात्मा की आवाज़ को दबा देतीं हैं? इस बात को स्पष्ट करने के लिए मानव जीवन का एक सुक्ष्म विश्लेषण आवश्यक है।
अब तक यह बात सर्वमान्य रही है की एक शक्ति है जो सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड को नियंत्रित एवम् संचालित करती है। उसे चाहे ईश्वर नाम दें या प्रकृति। यही बात पृथ्वी और इसपर उपस्थित सभी जीवधारियों पर भी लागू होती है। यद्यपि कि हमारे अन्वेषण का केंद्र बिंदु मानव जीवन और उसकी प्रवृत्ति है तथापि एक नियम या प्रवृत्ति समस्त जीवधारियों में सामान है और वह है अपने अस्तित्व को बनाए रखने की प्रवृत्ति। जाने अनजाने सभी जीवधारी अपने तथा अपने समुदाय का अस्तित्व बनाये रखने का हर संभव प्रयास करते हैं और यह बात प्रमाणित हो चुकी है की पृथ्वी पर उन्ही जीवधारियों का अस्तित्व शेष बचा है जिन्होंने वातावरण के अनुकूल स्वयं को ढालने के लिए संघर्ष किया और अपने समुदाय को भी इसके लिए प्रेरित किया। अर्थात जीवन का संघर्ष ही एक ऐसी प्रवृत्ति है जो सभी जीवधारियों में एक समान है।