write a paragraph on janmabhumi on odia.
Answers
जननी-जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’ अर्थात् जननी (माता) और जन्मभूमि का स्थान स्वर्ग से भी श्रेष्ठ एवं महान है । हमारे वेद पुराण तथा धर्मग्रंथ सदियों से दोनों की महिमा का बखान करते रहे हैं ।
माता का प्यार, दुलार व वात्सल्य अतुलनीय है। इसी प्रकार जन्मभूमि की महत्ता हमारे समस्त भौतिक सुखों से कहीं अधिक है । लेखकों, कवियों व महामानवों ने जन्मभूमि की गरिमा और उसके गौरव को जन्मदात्री के तुल्य ही माना है ।
जिस प्रकार माता बच्चों को जन्म देती है तथा उनका लालन-पालन करती है, अनेक कष्टों को सहते हुए भी बालक की खुशी के लिए अपने सुखों का परित्याग करने में भी नहीं चूकती उसी प्रकार जन्मभूमि जन्मदात्री की भाँति ही अनाज उत्पन्न करती है ।
वह अनेक प्राकृतिक विपदाओं को झेलते हुए भी अपने बच्चों का लालन-पालन करती है । अत: किसी कवि ने सच ही कहा है कि वे लोग जिन्हें अपने देश तथा अपनी जन्मभूमि से प्यार नहीं है उनमें सच्ची मानवीय संवेदनाएँ नहीं हो सकतीं ।
Answer:
ମାତା ବିନୁଙ୍କୁ କିଏ ସମ୍ମାନ ଦେବା ଉଚିତ୍, ଯିଏ ଭର୍ସା ବିନୁ ଲାଗର କରିବା ଉଚିତ୍ |
ରାମ ବିନୁ ଦୁ row ଖ ଯିଏ ସବୁଜ, ତୁଲସୀ ବିନୁ ଯିଏ ଭକ୍ତି କରିବା ଉଚିତ୍ |
ମାତାର ପ୍ରକୃତି ସରଳ ଏବଂ ସ୍ୱତନ୍ତ୍ର | ମାତା ପୃଥିବୀ | ପୃଥିବୀ ପରି, ସେ ହେଉଛନ୍ତି ଜନ୍ମ ପ୍ରଦାନକାରୀ, ରକ୍ଷକ, ପୋଷଣ ଏବଂ ଦୟାଳୁତାର ଅଦ୍ଭୁତ ଶକ୍ତି | ତେଣୁ, ନିଜ ସନ୍ତାନର ଅପ୍ରତ୍ୟାଶିତ ଏବଂ ଅନୁପଯୁକ୍ତ ଆଚରଣକୁ ସହ୍ୟ କରି ସେ ତା’ର ଫୁଲ ଏବଂ ଫୁଲ ତିଆରି କରିବାରେ ପଛଘୁଞ୍ଚା ଦିଅନ୍ତି ନାହିଁ | ସେଥିପାଇଁ ମାତାଙ୍କୁ ଏକ ଦେବତା ଏବଂ ଭଗବାନ ଭାବରେ ବିବେଚନା କରି ତାଙ୍କୁ ମାତା ପ୍ରତି ତାଙ୍କର ସମ୍ମାନ ଏବଂ ବିଶ୍ୱାସ ପ୍ରକାଶ କରିବାକୁ କୁହାଯାଇଥିଲା-
'ମାଟ୍ରି ଦେବୋ ଭବା।'
ମାତାଙ୍କର ଗ ରବ ସଂଗୀତ |
this is nibandh in oria