write a paragraph on natural resources in Sanskrit
Answers
Answer:
नीलाकाशाद आरभ्य धरणी धूलिकाणान यावत् परिवेशः परिव्याप्तः । युगं यथा यथा अग्रेसरति तथा तथैव विशुद्ध जलं , शुद्धो वायुः , इत्यादयः सर्वे परिवेशधर्माः कुलुषतां यान्ति । अस्मान् परितः परिवेशस्य इयं अशुद्धिरेव परिवेश दूषणम् इति कथ्यते । वायुदूषणं , शब्ददूषणं , जलदूषणं , दृश्यदूषणं इति भेदेन् परिवेशदूषणं चतुर्विधं । वायुदूषणेन् " औजन गैस " इत्यस्य विमाशः भवति । शब्ददूषणेन् बहुविधानां व्यधिनाम् उत्पत्तिर्भवति । जलदूषणेन् बहुविधाः चर्मरोगाः , उदररोगाच भवन्ति । दृश्यदूषणेन् शिशुचित्तं किशोरचित्तं विलोड़ितं भवति । सर्वकारस्य जनानां च मिलित प्रयासेन् कलुषिता पृथिवी कलुषमुक्ता भवेत् इति ।
Explanation:
MARK AS BRAINLIST
Answer:
प्राकृतिक संसाधन वे संसाधन हैं जो प्रकृति से लिए गए हैं और कुछ संशोधनों के साथ उपयोग किए जाते हैं।
Explanation:
प्राकृतिक संसाधन वे संसाधन हैं जो प्रकृति से लिए गए हैं और कुछ संशोधनों के साथ उपयोग किए जाते हैं। इसमें वाणिज्यिक और औद्योगिक उपयोग, सौंदर्य मूल्य, वैज्ञानिक रुचि और सांस्कृतिक मूल्य जैसी मूल्यवान विशेषताओं के स्रोत शामिल हैं।ऐसे संसाधन जो उपयोग करने के लिये परोक्ष रूप से प्रकृति से प्राप्त होते हों, प्राकृतिक संसाधन कहलाते हैं, जिनमें वायु, पानी जो वर्षा, झीलों, नदियों और कुओं द्वारा मृदा, भूमि, वन, जैवविविधता, खनिज, जीवाश्मीय ईंधन इत्यादि शामिल हैं। इस प्रकार प्राकृतिक संसाधन हमें पर्यावरण से प्राप्त होते हैं|मानव जीवन का अस्तित्व, प्रगति एवं विकास संसाधनों पर निर्भर करती है । आदिकाल से मनुष्य प्रकृति से विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ प्राप्त कर अपनी आवश्यकताओं को पूरा करता रहा है । वास्तव में संसाधन वे हैं जिनकी उपयोगिता मानव के लिये हो ।
#SPJ2