write a paragraph on परोपकार about 10 lines
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परोपकार शब्द का अर्थ है दूसरों का भला करना। ... प्रकृति के प्रत्येक कार्य में हमें सदैव परोपकार की भावना निहित दिखाई पड़ती है। नदियां अपना जल स्वयं न पीकर दूसरों की प्यास बुझाती हैं, वृक्ष अपने फलों को दूसरों के लिए अर्पण करते हैं, बादल पानी बरसा कर धरती की प्यास बुझाते हैं। गऊएं अपना दूध दूसरों में बांटती हैं।
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1)परोपकार एक ऐसी भावना होती है जो हर किसी को अपने अन्दर रखना चहिये।यह एक ऐसी भावना है जिसके तहत एक व्यक्ति यह भूल जाता है की क्या उसका हित है और क्या अहित, वह अपनी चिंता किये बगैर निःस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करता है और बदले में उसे भले कुछ मिले या न मिले कभी इसकी चर्चा भी नहीं करता।
2)हमारी भारतीय संस्कृति इतनी धनि है की यहाँ बच्चे को परोपकार की बातें बचपन से ही सिखाई जाती हैं।
3)हमारे शास्त्रों में परोपकार के महत्त्व को बड़ी अच्छी तरह दर्शाया गया है। हमे अपनी संस्कृति को भूलना नहीं चाहिये अर्थात परोपकार को नहीं भूलना चाहिए।
4)आज-कल लोग अधिक व्यस्त रहने लगे हैं और उनके पास अपने लिये समय नहीं होता ऐसे में वे दूसरों की मदद कैसे कर पाएंगे।
5)परोपकार से बढ़ के कुछ नहीं है और हमे दूसरों को भी प्रेरित करना चाहिए की वे बढ़-चढ़ कर दूसरों की मदद करें।
6)गोस्वामी तुलसीदास ने कहा है-“परहित सरिस धर्म नहीं भाई”
अर्थात् दूसरे की भलाई करने के समान कोई धर्म नहीं है। मानव ही नहीं प्राकृतिक नियमों तथा प्रकृति प्रदत्त वस्तुओं में भी हमें परोपकार देखने को मिलता है।
7)मानव भी ईश्वर द्वारा ही रचा गया है। इसलिए वह परोपकार में पीछे कैसे रह सकता है।
8)यदि वह परोपकार करना छोड़ दे तो यह संसार पशुवत् हो जायेगा। मानव व पशु में कोई अन्तर नहीं रह जायेगा।
9)परोपकार करते हुए मानव को कष्ट भी सहना पड़ता है। कष्ट सहने के बावजूद परोपकारी एक अलग प्रकार का सुख महसूस करता है।
10)कर भला तो हो भला।
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