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आजाद देश मे अधिकारों की माँग कितनी तर्कसंगत
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अधिकारों की माँग हर जगह तर्कसंगत और सही है चाहे वह आज़ाद देश हो या नहीं। किसी भी व्यक्ति के लिए उसके मौलिक अधिकार या कोई भी अन्य अधिकार ज़रूरी होते हैं।
एक आज़ाद देश में भी ऐसा हो सकता है की लोगों को उनके अधिकारों से वंचित रखा जाए और अगर ऐसा होता है तो लोगों का अपने हक और अधिकार मांगना बिल्कुल तर्कसंगत है।
Answer:
आजाद देश में अधिकारों की मांग कितनी तर्कसंगत
आजाद देश में अधिकार देना सरकार की मजबूरी नहीं बल्कि प्रजा का अधिकार होता है । और प्रजा को अपने अधिकार मांगने में हिचकिचाना नहीं चाहिए।। आजाद देश में अधिकारों की मांग तर्कसंगत रहती है चाहे वह देश आजाद हो या फिर गुलाम या फिर वहां और कोई शासन हो। अधिकारों का मांग तक संगत ही होता है। बिना तर्क अधिकारों का कोई मोल नहीं।
प्रजा बिना अधिकार के गुलामी का जीवन जीते हैं। आजाद आजाद देश में ऐसा होना भी मुलाजिम है की प्रजा को उनके अधिकार से वंचित रखा जाए। और और अगर ऐसा होता है तो प्रजा को अपने अधिकारों की मांग करना तर्कसंगत होगा।
सारे प्रजातांत्रिक देशों में प्रजा को मौलिक अधिकार दिए जाते हैं। जिन का हनन सरकार या फिर कोई अधिकारी नहीं कर सकता।