WRITE a poem in hindi about 10 - 20 lines
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hwar Nath 'Renu'
साजन! होली आई है!
सुख से हँसना
जी भर गाना
मस्ती से मन को बहलाना
पर्व हो गया आज-
साजन ! होली आई है!
हँसाने हमको आई है!
साजन! होली आई है!
इसी बहाने
क्षण भर गा लें
दुखमय जीवन को बहला लें
ले मस्ती की आग-
साजन! होली आई है!
जलाने जग को आई है!
साजन! होली आई है!
रंग उड़ाती
मधु बरसाती
कण-कण में यौवन बिखराती,
ऋतु वसंत का राज-
लेकर होली आई है!
जिलाने हमको आई है!
साजन ! होली आई है!
खूनी और बर्बर
लड़कर-मरकर-
मधकर नर-शोणित का सागर
पा न सका है आज-
सुधा वह हमने पाई है !
साजन! होली आई है!
साजन ! होली आई है !
यौवन की जय !
जीवन की लय!
गूँज रहा है मोहक मधुमय
उड़ते रंग-गुलाल
मस्ती जग में छाई है
साजन! होली आई है!
साजन! होली आई है!
सुख से हँसना
जी भर गाना
मस्ती से मन को बहलाना
पर्व हो गया आज-
साजन ! होली आई है!
हँसाने हमको आई है!
साजन! होली आई है!
इसी बहाने
क्षण भर गा लें
दुखमय जीवन को बहला लें
ले मस्ती की आग-
साजन! होली आई है!
जलाने जग को आई है!
साजन! होली आई है!
रंग उड़ाती
मधु बरसाती
कण-कण में यौवन बिखराती,
ऋतु वसंत का राज-
लेकर होली आई है!
जिलाने हमको आई है!
साजन ! होली आई है!
खूनी और बर्बर
लड़कर-मरकर-
मधकर नर-शोणित का सागर
पा न सका है आज-
सुधा वह हमने पाई है !
साजन! होली आई है!
साजन ! होली आई है !
यौवन की जय !
जीवन की लय!
गूँज रहा है मोहक मधुमय
उड़ते रंग-गुलाल
मस्ती जग में छाई है
साजन! होली आई है!
tanisha7777:
okk
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कविता : तमन्नाओं पे शर्मिंदा
डॉ. रूपेश जैन 'राहत'
अपनी तमन्नाओं पे शर्मिंदा क्यूं हुआ जाए,
एक हम ही नहीं जिनके ख़्वाब टूटे हैं।
इस दौर से गुजरे हैं ये जान-ओ-दिल,
संगीन माहौल में जख़्म सम्हाल रखे हैं।
नजर उठाई बेचैनी शरमा के मुस्कुरा गई,
ख़्वाब कुछ हसीन दिल से लगा रखे हैं।
दियार-ए-सहर1 में दर्द-शनास2 हूं तो क्या,
बेरब्त उम्मीदों में ग़मजदा और भी हैं।
अहद-ए-वफा3 करके 'राहत' जुबां चुप है,
वरना आरजुओं के ऐवां4 और भी हैं।
शब्दार्थ-
1. दियार-ए-सहर- सुबह की दुनिया
2. दर्द-शनास- दर्द समझने वाला
3. अहद-ए-वफा- प्रेम प्रतिज्ञा
4. ऐवां- महल
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