write a poem on barish ka mausam
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रिमझिम रिमझिम आये सावन,
भीगे धरती भीगे गगन।
धीरे धीरे हो के मगन,
नाचे मोर घर आँगन।
बरसात में बने पुढे पकौड़े,
संग इसके चाय की चुस्की में मज़े।
आओ सब नाचे गाये,
सावन की पहली मेघा की ख़ुशी मनायें।
खेत खलियान होंगे हरे भरे,
फैलेगी फ़सल खूब ,अनाज होंगे भरे भरे अनुष्का सूरी
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