write a poem on fathers plz in Hindi
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दर्द को दबाना,
आंसू को छिपाना,
कोई सीख ले आपसे।
अंगारों की छांव सा आशियाना,
कांटो पर चलकर मुस्कुराना,
यह जमाना वह जमाना भी,
सीख ले आपसे।
पिता ही तो कल्पतरू,
पिता ही पारिजात,
तृष्णा तो बस बूंद चाहे,
फिर भी हो बरसात।
वाकई जिसके आगे,
सारी जन्नतें अधूरी हो जाती है,
बस पिता कहने भर से,
सारी मन्नते पूरी हो जाती है।
– भैरू सिंह देवड़ा
आंसू को छिपाना,
कोई सीख ले आपसे।
अंगारों की छांव सा आशियाना,
कांटो पर चलकर मुस्कुराना,
यह जमाना वह जमाना भी,
सीख ले आपसे।
पिता ही तो कल्पतरू,
पिता ही पारिजात,
तृष्णा तो बस बूंद चाहे,
फिर भी हो बरसात।
वाकई जिसके आगे,
सारी जन्नतें अधूरी हो जाती है,
बस पिता कहने भर से,
सारी मन्नते पूरी हो जाती है।
– भैरू सिंह देवड़ा
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मैं पतंग, पापा है डोर
पढ़ा लिखा चढ़ाया आकाश की ओर,
खिली काली पकड़ आकाश की ओर,
जागो, सुनो, कन्या भ्रूण हत्यारों,
पापा सूरज की किरण का शोर,
मैं बनू इंदिरा सी, पापा मेरे नेहरू बने,
बेटियों के हत्यारों, अब तो पाप से तौबा करो,
पापा सच्चे, बेहद अच्छे, नेहरू इंदिरा से वतन भरे,
बेटियां आगे बेटो से, पापा आओ पाक एलान करो,
देवियों के
देश भारत की जग में, ऊंची शान करें !
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