Write a poem on Maa?? (In Hindi) 100-150 Words
Answers
Answer:
अपने आंचल की छाओं में,
छिपा लेती है हर दुःख से वोह
एक दुआ दे दे तो
काम सारे पूरे हों…
अदृश्य है भगवान,
ऐसा कहते है जो…
कहीं ना कहीं एक सत्य से,
अपरिचित होते है वोह…
खुद रोकर भी हमें
हसाती है वोह…
हर सलीका हमें
सिखलाती है वोह…
परेशानी हो चाहे जितनी भी,
हमारे लिए मुस्कुराती है वोह…
हमारी खुशियों की खातिर
दुखो को भी गले लगाती है वो…
हम निभाएं ना निभाएं
अपना हर फ़र्ज़ निभाती है वोह…
हमने देखा जो सपना
सच उसे बनती है वो…
दुःख के बादल जो छाये हमपर
तो धुप सी खिल जाती है वोह…
ज़िन्दगी की हर रेस में
हमारा होसला बढाती है वोह…
हमारी आँखों से पढ़ लेती है
तकलीफ और उसे मिटाती है वोह…
पर अपनी तकलीफ कभी नही जताती है वोह…
शायद तभी भगवान से भी ऊपर आती है वोह…
तब भी त्याग की मूरत नही माँ कहलाती है ‘वोह’….
Answer:
helllooooooo dear
Explanation:
मैं अपने छोटे मुख कैसे करूँ तेरा गुणगान
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान
माता कौशल्या के घर में जन्म राम ने पाया
ठुमक-ठुमक आँगन में चलकर सबका हृदय जुड़ाया
पुत्र प्रेम में थे निमग्न कौशल्या माँ के प्राण
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान
दे मातृत्व देवकी को यसुदा की गोद सुहाई
ले लकुटी वन-वन भटके गोचारण कियो कन्हाई
सारे ब्रजमंडल में गूँजी थी वंशी की तान
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान
तेरी समता में तू ही है मिले न उपमा कोई
तू न कभी निज सुत से रूठी मृदुता अमित समोई
लाड़-प्यार से सदा सिखाया तूने सच्चा ज्ञान
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान
कभी न विचलित हुई रही सेवा में भूखी प्यासी
समझ पुत्र को रुग्ण मनौती मानी रही उपासी
प्रेमामृत नित पिला पिलाकर किया सतत कल्याण
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान
‘विकल’ न होने दिया पुत्र को कभी न हिम्मत हारी
सदय अदालत है सुत हित में सुख-दुख में महतारी
काँटों पर चलकर भी तूने दिया अभय का दान
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान