write a poem on"Poshak " in hindi
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Explanation:
कुछ पल ठहर कर देखा भीड़ में उसे ढूंढने की कोशिश भी करी थी...
पर हमे क्या पता की बन्नीसा हमारी पोशाक पहने हमारे पीछे ही खड़ी थी... शराफत की सबसे सफेद पोशाक में बैठा रहा वो ..
जिधर जिधर निगाह दौड़ाई हर को तवायफ करता
रहा वो।।
Answer:
ज़ब्त-ए-ग़म है मिरी पोशाक मिरी इज़्ज़त रख
आतिश-ए-दीदा-ए-नमनाक मिरी इज़्ज़त रख
खुल न जाए ये मिरी अक्स-फ़रेबी किसी दिन
आइना-ख़ाना-ए-इदराक मिरी इज़्ज़त रख
मेरी मिट्टी से चराग़-ए-दर-ओ-दीवार बना
दर-ब-दर कर के मिरी ख़ाक मिरी इज़्ज़त रख
परतव-ए-दाग़-ए-गुज़िश्ता रुख़-ए-फ़र्दा पे न डाल
गर्दिश-ए-साअत-ए-सफ़्फ़ाक मिरी इज़्ज़त रख
बड़ी मुश्किल से बनाई है ये इज़्ज़त मैं ने
जज़्बा-ए-कार-ए-हवसनाक मिरी इज़्ज़त रख
या समुंदर से मिरी ख़ाक जुदा कर 'शाहिद'
या बना दे मुझे तैराक मिरी इज़्ज़त रख
I hope it is helpful.....................
be happy
keep smiling
enjoy your life ..................