write a short essay about 80-100 words (ruplekha as you choose your own) in Hindi only (refer to picture)
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नमस्कार !!
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शिक्षा का उद्देशय
शिक्षा की परिभाषा को पढ़ पाने और गणित करने की क्षमता तक सीमित मान लें, तो भी हम गलती कर रहे हैं। बच्चे तभी पढ़ना सीखते हैं जब वे सचमुच पढ़ना चाहते हैं। और वे गणित भी बड़ी आसानी से सीख लेते हैं जब वे ऐसा करना चाहते हैं। यहाँ एकमात्र कुंजी है उनकी 'चाहत'। हम पढ़ने और गणित करने को बच्चों के लिए नफ़रत की चीज बना देते हैं, जब हम इन कौशलों को दिमागी संख्याओं, जबरन एसेम्बली लाइन कदमों में बदल डालते हैं। सिर्फ पढ़ने के लिए कौन पढ़ना चाहेगा। इसी प्रकार सिर्फ करने के लिए कौन गणित करेगा। बच्चे जानकारियाँ हासिल करने या कहानियों का आनन्द उठाने के लिए पढ़ना चाहते हैं। उन मजेदार वास्तविक समस्याओं को हल करने के लिए वे गणित सीखना चाहते हैं, जो गणित पर निर्भर हैं। ठीक उसी तरह जैसे लोग वास्तविक जीवन में सीखते हैं और लोकतान्त्रिक स्कूलों व परिवारों में बच्चे सीखते हैं, जहाँ वे अपनी शिक्षा के स्वयं प्रभारी हैं।
चलिए अब पढ़ने और गणित से हट के कुछ ज्यादा जरूरी चीजों पर बात करें। वास्तव में शिक्षा का उद्देश्य क्या होना चाहिए? या, इसे दूसरे ढंग से कहें तो अपने बच्चों के विकास के लिए हमारे क्या लक्ष्य होने चाहिए? हममें से ज्यादातर लोग नहीं चाहते कि हमारे बच्चे किसी बड़ी हस्ती के खामोश पिछलग्गू बनें। इस नजरिए का दुष्परिणाम हम देख चुके हैं। और मैं यह नहीं समझता कि हममें से अधिकतर शिक्षा का सही उद्देश्य उस टीवी शो में अच्छा प्रदर्शन मानते होंगे, जिसका नाम है' "क्या आप पांचवीं पास से ज्यादा स्मार्ट हैं?" हम जानते हैं कि पांचवी (या किसी और कक्षा) पास के ज्ञान का जीवन की सफलता से कोई खास सम्बन्ध नहीं होता। लेकिन हम तब शिक्षा से क्या चाहते हैं? शायद मैंने इस सवाल को कुछ इस तरह पूछना चाहिए: आप क्या चाहते हैं और मैं क्या चाहता हूँ? यह कतई सम्भव है कि जीवन के अर्थ को लेकर आपके और मेरे विचार बिलकुल अलग-अलग हों और अपने-अपने बच्चों के लिए हम अलग-अलग चीजों की उम्मीद करें।
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शिक्षा का उद्देशय
शिक्षा की परिभाषा को पढ़ पाने और गणित करने की क्षमता तक सीमित मान लें, तो भी हम गलती कर रहे हैं। बच्चे तभी पढ़ना सीखते हैं जब वे सचमुच पढ़ना चाहते हैं। और वे गणित भी बड़ी आसानी से सीख लेते हैं जब वे ऐसा करना चाहते हैं। यहाँ एकमात्र कुंजी है उनकी 'चाहत'। हम पढ़ने और गणित करने को बच्चों के लिए नफ़रत की चीज बना देते हैं, जब हम इन कौशलों को दिमागी संख्याओं, जबरन एसेम्बली लाइन कदमों में बदल डालते हैं। सिर्फ पढ़ने के लिए कौन पढ़ना चाहेगा। इसी प्रकार सिर्फ करने के लिए कौन गणित करेगा। बच्चे जानकारियाँ हासिल करने या कहानियों का आनन्द उठाने के लिए पढ़ना चाहते हैं। उन मजेदार वास्तविक समस्याओं को हल करने के लिए वे गणित सीखना चाहते हैं, जो गणित पर निर्भर हैं। ठीक उसी तरह जैसे लोग वास्तविक जीवन में सीखते हैं और लोकतान्त्रिक स्कूलों व परिवारों में बच्चे सीखते हैं, जहाँ वे अपनी शिक्षा के स्वयं प्रभारी हैं।
चलिए अब पढ़ने और गणित से हट के कुछ ज्यादा जरूरी चीजों पर बात करें। वास्तव में शिक्षा का उद्देश्य क्या होना चाहिए? या, इसे दूसरे ढंग से कहें तो अपने बच्चों के विकास के लिए हमारे क्या लक्ष्य होने चाहिए? हममें से ज्यादातर लोग नहीं चाहते कि हमारे बच्चे किसी बड़ी हस्ती के खामोश पिछलग्गू बनें। इस नजरिए का दुष्परिणाम हम देख चुके हैं। और मैं यह नहीं समझता कि हममें से अधिकतर शिक्षा का सही उद्देश्य उस टीवी शो में अच्छा प्रदर्शन मानते होंगे, जिसका नाम है' "क्या आप पांचवीं पास से ज्यादा स्मार्ट हैं?" हम जानते हैं कि पांचवी (या किसी और कक्षा) पास के ज्ञान का जीवन की सफलता से कोई खास सम्बन्ध नहीं होता। लेकिन हम तब शिक्षा से क्या चाहते हैं? शायद मैंने इस सवाल को कुछ इस तरह पूछना चाहिए: आप क्या चाहते हैं और मैं क्या चाहता हूँ? यह कतई सम्भव है कि जीवन के अर्थ को लेकर आपके और मेरे विचार बिलकुल अलग-अलग हों और अपने-अपने बच्चों के लिए हम अलग-अलग चीजों की उम्मीद करें।
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