Hindi, asked by snhea, 1 year ago

write a short essy on durga puja in hindi language.

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Answered by Anonymous
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असुर महिष ने घोर तपस्या की और ब्रह्म देव प्रसन्न हो गए। महिष ने अमरता का वरदान माँग लिया मगर ब्रह्म देव के लिए ऐसा वरदान देना संभव नहीं था तब महिषासुर ने वरदान माँगा कि अगर उसकी मृत्यु हो तो किसी औरत के हाथों। उसे विश्वास था कि निर्बल महिला उस शक्तिशाली का कुछ नहीं बिगाड़ सकती। ब्रह्म देव ने वरदान दे दिया और शुरू हो गया महिषासुर का उत्पात। सभी देवता उससे हार गए और इंद्र देव को भी अपना राजसिंहासन छोड़ना पड़ा। महिषासुर ने ब्राह्मणों और निरीह जनों पर अपना अत्याचार बढ़ा दिया। सारा जग त्राहि-त्राहि कर उठा और तब सभी देवों ने मिलकर अपनी-अपनी शक्ति का अंश दे कर देवी के रूप में एक महाशक्ति का निर्माण किया। नौ दिन और नौ रात के घमासान युद्ध के बाद देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया और वो महिषासुरमर्दिनी कहलाईं। इस कथा को सुनते-सुनते चंडी पाठ के दौरान आँखों में पानी भर आना एक अदभुत मगर स्वाभाविक-सी बात है। महालया के दिन ही माँ दुर्गा की अधूरी गढ़ी प्रतिमा पर आँखें बनाईं जाती हैं जिसे चक्षु-दान कहते हैं। इस दिन लोग अपने मृत संबंधियों को भी याद करते हैं और उन्हें 'तर्पण' अर्पित करते हैं। महालया के बाद ही शुरू हो जाता है देवीपक्ष और जुट जाते हैं सब लोग त्यौहार की तैयारी में, ज़ोर-शोर से।

snhea: i hav told u to write how we celebrate durga puja about it .that,s not the answer
Anonymous: sorry
Answered by khareenabeena
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दशहरा को दुर्गा पूजा के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार वर्षा ऋतु के अंत में संपूर्ण भारत वर्ष में मनाया जाता है। नवरात्र में मूर्ति पूजा में पश्चिम बंगाल का कोई सानी नहीं है जबकि गुजरात में खेला जाने वाला डांडिया बेजोड़ है। पूरे दस दिनों तक त्योहार की धूम रहती है। 

लोग भक्ति में रमे रहते हैं। मां दुर्गा की विशेष आराधनाएं देखने को मिलती हैं। 

दशमी के दिन त्योहार की समाप्ति होती है। इस दिन को विजयादशमी कहते हैं। बुराई पर अच्छाई के प्रतीक रावण का पुतला इस दिन समूचे देश में जलाया जाता है।

इस दिन भगवान राम ने राक्षस रावण का वध कर माता सीता को उसकी कैद से छुड़ाया था। और सारा समाज भयमुक्त हुआ था। रावण को मारने से पूर्व राम ने दुर्गा की आराधना की थी। मां दुर्गा ने उनकी पूजा से प्रसन्न होकर उन्हें विजय का वरदान दिया था। 

रावण दहन आज भी बहुत धूमधाम से किया जाता है। इसके साथ ही आतिशबाजियां छोड़ी जाती हैं। दुर्गा की मूर्ति की स्थापना कर पूजा करने वाले भक्त मूर्ति-विसर्जन का कार्यक्रम भी गाजे-बाजे के साथ करते हैं।

भक्तगण दशहरे में मां दुर्गा की पूजा करते हैं। कुछ लोग व्रत एवं उपवास करते हैं। पूजा की समाप्ति पर पुरोहितों को दान-दक्षिणा देकर संतुष्ट किया जाता है। कई स्थानों पर मेले लगते हैं। रामलीला का आयोजन भी किया जाता है।दशहरा अथवा विजयादशमी राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति पूजा का पर्व है, शस्त्र पूजन की तिथि है। हर्ष, उल्लास तथा विजय का पर्व है। देश के कोने-कोने में यह विभिन्न रूपों से मनाया जाता है, बल्कि यह उतने ही जोश और उल्लास से दूसरे देशों में भी मनाया जाता जहां प्रवासी भारतीय रहते हैं।

मैसूर का दशहरा : मैसूर का दशहरा देशभर में विख्‍यात है। मैसूर में दशहरे के समय पूरे शहर की गलियों को रोशनी से सज्जित किया जाता है और हाथियों का श्रृंगार कर पूरे शहर में एक भव्य जुलूस निकाला जाता है। 

इस समय प्रसिद्ध मैसूर महल को दीपमालिकाओं से दुल्हन की तरह सजाया जाता है। इसके साथ शहर में लोग टार्च लाइट के संग नृत्य और संगीत की शोभा यात्रा का आनंद लेते हैं। द्रविड़ प्रदेशों में रावण-दहन का आयोजन नहीं किया जाता है।

snhea: thanx
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