write a short note on champavat in hindi plz write it in hindi
Answers
Answer:
चम्पावत भारत के उत्तराखण्ड राज्य के चम्पावत जिले का मुख्यालय है। पहाड़ों और मैदानों के बीच से होकर बहती नदियाँ अद्भुत छटा बिखेरती हैं। चंपावत में पर्यटकों को वह सब कुछ मिलता है जो वह एक पर्वतीय स्थान से चाहते हैं। वन्यजीवों से लेकर हरे-भरे मैदानों तक और ट्रैकिंग की सुविधा, सभी कुछ यहाँ पर है।
Answer:
Here is your answer
Explanation:
चम्पावत में प्राकर्तिक सौंदर्य के साथ धार्मिक पर्यटन की सौगात भी मिलती है | प्रकर्ति की खूबसूरत वादियों में बसा “चम्पावत” ऐतिहासिक एवम् पौराणिक समृधि से परिपूर्ण है | चंद राजा की राजधानी रहे काली कुमाऊ के नाम से प्रसिद्ध यह नगर अपनी ऐतिहासिक व सांस्कृतिक विरासतों के लिए अधिक जाना जाता है | चम्पावत जगह का नाम “चम्पावती” से लिया गया है , जो कि राजा अर्जुन देव की बेटी थी | प्रसिद्ध प्रकृतिवादी और ब्रिटिश शिकारी जिम कॉर्बेट के द्वारा बाघों की हत्या के बाद यह स्थान लोकप्रिय हो गया एवम् जिम कॉर्बेट ने अपनी पुस्तक में “मैन ईटर्स ऑफ़ कुमाऊ “Man Eaters of Kumaon” में बाघों की हत्या के बारे में एक स्पष्ट जानकारी दी है | चंपावत में पर्यटकों को वह सब कुछ मिलता है , जो वह एक पर्वतीय स्थान से चाहते हैं । वन्यजीवों से लेकर हरे-भरे मैदानों तक और ट्रैकिंग की सुविधा , सभी कुछ यहां पर है । चंपावत की ऐतिहासिकता और पहचान की बात करें तो जोशीमठ के गुरूपादुका नामक ग्रंथ के अनुसार नागों की बहन चम्पावती ने चम्पावत नगर की बालेश्वर मंदिर के पास प्रतिष्ठा की थी ।
वायु पुराण में चम्पावत का नाम “चम्पावतपुरी” नामक स्थान से उल्लेख मिलता है , जो कि नागवंशीय नौ राजाओं की राजधानी थी । वहीं स्कंद पुराण के केदार खंड में चंपावत को कुर्मांचल कहा गया है , क्यूंकि इस क्षेत्र में भगवान विष्णु ने ‘कूर्म’ यानी “कछुए” का अवतार लिया था । इसी से यहां का नाम ‘कूर्मांचल’ पड़ा , जिसका अपभ्रंश बाद में ‘कुमाऊं’ हो गया । चंपावत का संबंध द्वापर युग में पांडवों यानी महाभारत काल से भी है । माना जाता है कि 14 वर्षों के निर्वासन काल के दौरान पांडव यहां आये थे । चंपावत को द्वापर युग में हिडिम्बा राक्षसी से पैदा हुए महाबली भीम के पुत्र “घटोत्कच” का निवास स्थान भी माना जाता है । यहां मौजूद ‘घटकू मंदिर’ को घटोत्कच से ही जोड़ा जाता है । चंपावत तथा इसके आस-पास बहुत से मंदिरों का निर्माण महाभारत काल में हुआ माना जाता है । यह स्थान ही कुमाऊं भर में सर्वाधिक पूजे जाने वाले न्यायकारी लोक “देवता-ग्वेल, गोलू, गोरिल या गोरिया” का जन्म स्थान है । पौराणिक मान्यताओं के अनुसार त्रेता युग में भगवान राम ने रावण के भाई कुम्भकर्ण को मारकर उसके सिर को यहीं कुर्मांचल में फेंका था । यहीं द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने पौत्र का अपहरण करने वाले वाणासुर दैत्य का वध किया था | लोहाघाट से करीब सात किमी की दूरी पर स्थित ‘कर्णरायत’ नामक स्थान से लगभग डेढ़ किमी की पैदल दूरी पर समुद्र तल से 1859 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पुरातात्विक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण व प्रसिद्ध वाणासुर के किले को आज भी देखा जा सकता है।