Write a short note on quit india movement in hindi
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आंदोलन के प्रति सरकार की प्रतिक्रिया शीघ्र थी। कांग्रेस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और लोगों को जुटाने शुरू करने से पहले उनके ज्यादातर नेताओं को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, लोग बिना रुके थे। पूरे देश में हड़ताल और प्रदर्शन हुए। लोगों ने ब्रिटिश सरकार के सभी प्रतीकों जैसे रेलवे स्टेशन, कानून अदालतों और पुलिस स्टेशनों पर हमला किया। रेलवे लाइनों को क्षतिग्रस्त कर दिया गया और टेलीग्राफ लाइनें कट गईं। कुछ स्थानों पर, लोगों ने अपनी स्वतंत्र सरकार की स्थापना भी की। यह आंदोलन उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, बॉम्बे, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा व्यापक था। बलिया, तामलुक, सातारा, धारवार, बालाशोर और तलचर जैसे स्थानों को ब्रिटिश शासन से मुक्त कर दिया गया और वहां लोगों ने अपनी सरकारें बनाईं।
ब्रिटिश ने भयानक क्रूरता के साथ जवाब दिया सेना को पुलिस की सहायता के लिए बुलाया गया था। निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज और फायरिंग हुई थी। जुलूस में भाग लेने के दौरान भी बूढ़ों और बच्चों को गोली मार दी गई। विरोधियों को गिरफ्तार कर लिया गया और अत्याचार किया गया और उनके घरों पर छापा मारा और नष्ट हो गया। दिसंबर 1 9 42 तक, साठ हजार से अधिक लोगों को जेल भेज दिया गया था।
कुछ नेता जो गिरफ्तारी से बच गए थे छिप गए और बड़े पैमाने पर आंदोलन को निर्देशित करने की कोशिश की। इनमें जय प्रकाश नारायण, एस। एम। जोशी, अरुणा असफ अली, राम मनोहर लोह, अच्युत पटवर्धन और श्रीमती सुचेता कृपलानी शामिल थे।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीयों को काफी नुकसान हुआ 1 9 43 ई। में बंगाल में एक भयानक अकाल पड़ा था जिसमें तीस लाख से अधिक लोग मारे गए थे। सरकार भूखे लोगों को बचाने के लिए बहुत कुछ करती थी
उत्तर ⤵️
भारत के इतिहास में 1942 की अगस्त क्रान्ति (August Revolution) एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है. इस क्रांति का नारा था “अंग्रेजों भारत छोड़ो (Quit India)“ और सचमुच ही एक क्षण तो ऐसा लगने लगा कि अब अंग्रेजों को भारत से जाना ही पड़ेगा. द्वितीय विश्वयुद्ध (Second Word War) में जगह-जगह मित्रराष्ट्रों की पराजय से अंग्रेजों के हौसले पहले से ही चूर हो गए थे और उस पर यह 1942 की क्रांति. ऐसा लगने लगा कि अंग्रेजी साम्राज्य अब टूट कर बिखरने ही वाला है. अंग्रेजों ने भारतीयों से सहायता पाने के लिए यह प्रचार किया कि भारतीय स्वयं ही अपने देश के मालिक हैं और उन्हें आगे बढ़कर अपने देश की रक्षा करनी चाहिए क्योंकि भारत पर भी जापानी आक्रमण का खतरा बढ़ गया था. 1942 ई. में जब जापान प्रशांत महासागर को पार करता हुआ मलाया और बर्मा तक आ गया तो ब्रिटेन ने भारत के साथ समझौता कर लेने की बात पर विचार किया. अंग्रेजों को डर था कि कहीं जापान भारत पर भी आक्रमण न कर दे.