Hindi, asked by nazhiyafarhana, 10 months ago

WRITE A SHORT NOTE ON स्वावलंबन

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Answered by shraddha99
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Answer:

स्वावलंबी व्यक्ति न केवल शक्तिशाली बन जाता है, बल्कि वह दूसरों के दुख-सुख भी अच्छी तरह समझ सकता है और दूसरों के कष्ट दूर करने का प्रयत्न भी कर सकता है । ऐसा व्यक्ति ही परोपकारी तथा एक अच्छा प्रशासक (Administrator) बनने लायक होता है ।

कोई भी देश तभी तेजी से विकसित (Developed) हो सकता है, जब उस देश का प्रत्येक व्यक्ति आत्मनिर्भर बन जाय, दूसरों के परिश्रम का फल स्वयं हजम करने की प्रवृत्ति (Attitude) न रखे और किसी भी कार्य को छोटा-बड़ा न समझ कर अपना कार्य पूरी लगन से करे । जिस देश में ऐसे नागरिक (Citizen) हों, उसे कोई भी शत्रु अपना गुलाम नहीं बना सकता

Answered by sridevigarapati00821
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Answer:

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Explanation:

स्वावलंबन पर निबन्ध | Essay on Self-Reliance in Hindi!

1. भूमिका:

स्वावलंबन का अर्थ है अपने आप पर निर्भर (Dependent on oneself) रहना । इसलिए स्वावलंबन को आत्मनिर्भरता भी कहते हैं । कहा जाता है कि दूसरों के भरोसे रहना या दूसरों पर अवलंबित रहना गुलाम (Slave) होने केसमान होता है । स्वावलंबी व्यक्ति ही अपने जीवन में हर प्रकार की उन्नति (Development) कर सकता है और सदा स्वाधीन रहते हुए सुखी जीवन जी सकता है ।

2. अभाव से हानियाँ:

दूसरों के भरोसे रहने वाला व्यक्ति लोगों की नजर में एकदम छोटा हो जाता है और उसका अपना कोई व्यक्तित्व (Personality) नहीं रहता । वह दूसरों की इच्छा पर निर्भर रहता है । वह कायर (Coward) और साहसविहीन (Courageless) बन जाता है । छोटी-छोटी जरूरतें पूरी करने के लिए उसे दूसरों का मुँह देखना पड़ता है । हमारे देश के बार-बार गुलाम (Slave) सपष्ट बनने का यही कारण था कि इस देश के लोगों में स्वावलंबन नहीं था ।

लोग एक दूसरे को नुकसान (Harm) पहुँचाने में लगे रहते थे । एक ने शत्रु के साथ मिलकर अपने ही देश के लोगों के खिलाफ षड्‌यंत्र (Conspiracy) रचकर अपने आपको भी शत्रु का गुलाम बना लिया और पूरे देश को गुलामी की आग में झोंक दिया । अत: स्वावलंबी न होना ही मनुष्य की सबसे बड़ी कमजोरी है ।

3. लाभ:

स्वावलंबी व्यक्ति न केवल शक्तिशाली बन जाता है, बल्कि वह दूसरों के दुख-सुख भी अच्छी तरह समझ सकता है और दूसरों के कष्ट दूर करने का प्रयत्न भी कर सकता है । ऐसा व्यक्ति ही परोपकारी तथा एक अच्छा प्रशासक (Administrator) बनने लायक होता है ।

कोई भी देश तभी तेजी से विकसित (Developed) हो सकता है, जब उस देश का प्रत्येक व्यक्ति आत्मनिर्भर बन जाय, दूसरों के परिश्रम का फल स्वयं हजम करने की प्रवृत्ति (Attitude) न रखे और किसी भी कार्य को छोटा-बड़ा न समझ कर अपना कार्य पूरी लगन से करे । जिस देश में ऐसे नागरिक (Citizen) हों, उसे कोई भी शत्रु अपना गुलाम नहीं बना सकता ।

4. उपसंहार:

महात्मा गाँधी का चरखे पर सूता कातना, रैदास का जूते बनाना, संत कबीर का कपड़ा बुनना हमें स्वावलंबन की ही शिक्षा प्रदान करता है । हमें इनसे प्रेरणा (Inspiration) लेनी चाहिए ।

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