write a short note on sangeet ka asar in hindi in 80-100 words
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एक शहर में बहुत अमीर रहता है उसके पास इतना धन था की उसे किसी प्रकार की चिंता नही थी लेकिन उसका एकलौता लड़का अपने पिता के धन पर खूब ऐश करता था जिसके कारण उसके बहुत सारे ऐसे दोस्त बन गये थे जिनकी बुरी आदतों से उस अमीर का लड़का भी घिर गया था उसके अंदर भी तमाम ऐसी बुरी आदतों का विकास हो गया था जिससे उसका अमीर पिता बहुत चिंतित रहने लगा था.
अब वह अमीर आदमी अपने बेटे की आदतों को सुधारने के लिए हमेसा चिंतित रहने लगा था उसने हर प्रकार से समझाने की कोशिश किया पर उसका बेटा अपने पिता की बातो को ध्यान ही नही देता था.
तो ऐसे में परेशान होकर उसके पिता ने उसे एक सबक के जरिये संगति के असर के फायदे और नुकसान के बारे में सिखाना चाहा इसके लिए वह अमीर आदमी अपने बेटे के साथ बाजार गया और वहा से कुछ सेव ख़रीदे और उन्ही सेव के साथ एक सड़ा हुआ सेव खरीद लिया फिर अपे बेटे के साथ घर लौटने के बाद सभी सेव को अलमारी में रखने को कहा पिता की आज्ञा पाकर बेटे ने सभी सेव को एक साथ अलमारी में रख दिया.
फिर कुछ दिन बाद पिता ने अपने बेटे से अलमारी में से सभी सेव लाने को कहा फिर पिता की आज्ञा पाकर वह बेटा अलमारी में से सेव लेने गया और जैसे ही अलमारी खोला, तो देखा की सभी सेव सड़ चुके थे जिसे देखकर वह बहुत ही हैरान हुआ और सेव के सड़े होने की बात अपने पिता को बताया.
अपने बेटे की बात सुनकर पिता बोला तो देखा बेटा हमने उस दिन बाजार में अच्छे सेव के साथ एक सड़ा हुआ भी सेव ख़रीदा था जो की अच्छे सेव के साथ रखने पर सड़े सेव के संगत से सभी अच्छे सेव भी ख़राब हो चुके है.
यही बात तुम्हारे साथ भी फिट बैठती है यदि तुम बुरे दोस्तों की संगति में रहते हो तो तुम्हारी सोच और आदते भी वैसे ही हो जायेगी फिर चाहकर भी तुम अच्छे इन्सान नही बन सकते हो.
पिता की बात सुनकर अब उसको समझ में आ गया था की कुसंगति के प्रभाव से अच्छा आदमी भी बुरा और सत्संगति की प्रभाव से बुरा इन्सान भी अच्छा बन सकता है और फिर उसने अपने पिता से अपने किये हुए गलती पर माफ़ी मांगकर आगे से गलत लोगो की संगति छोड़ने का वचन दिया.
कहानी से शिक्षा
वो कहा गया है न जैसी संगत वैसी ही रंगत यानी आप जैसे लोगो के साथ रहेगे वैसा ही बनेगे तो आपको भी अच्छा बनना है तो अच्छे लोगो के साथ अपनी संगति बनाये क्युकी अच्छे लोगो की सलाह आपको अच्छा ही बनाती है.
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संगीत मेरे लिए आशीर्वाद है, क्योंकि इसने मेरे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। यह हमेशा हमारे लिए कुछ अच्छा ही करता है। संगीत मेरे लिए प्राण वायु आक्सीजन की तरह है, जो मुझे जीवन को और भी अच्छे से जीने में सहायता करता है। संगीत हमें स्वस्थ तथा शांत रहने में भी हमारी सहायता करता है। यह सत्य ही कहा गया है कि, बिना संगीत के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है क्योंकि संगीत के बिना हमारा जीवन बिल्कुल अधूरा हो जायेगा।
संगीत का प्रभाव
मेरे बचपन से लेकर मेरे बड़े होने तक, मैं बिना किसी आनंद और खुशियों के बहुत ही शान्त स्वभाव का व्यक्ति था। मेरे स्वभाव के कारण मुझसे कोई भी बात नहीं करता था। एक दिन मैं बहुत परेशान था और मेरे पिता ने मुझे देखा और मेरी समस्या के बारे में मुझसे पूछा। मेरी बातों को सुनकर उन्होंने मुझे संगीत स्कूल में प्रवेश लेने के लिए प्रोत्साहित किया और कम से कम एक घंटे संगीत सीखने की सलाह दी। मैंने उनकी सलाह मानी और उनकी सलाह के अनुसार कार्य किया, इसने एक महीने में ही मेरे जीवन में पूरी तरह से बड़ा बदलाव किया। मैं पहले की तरह नहीं रहा जैसा कि मैं संगीत सीखने से पहले था।
संगीत ध्यान की तरह है, यदि पूरी लगन और श्रद्धा के साथ इसका अभ्यास किया जाए, तो यह मानसिक स्वास्थ्य और एकाग्रता को सुधारता है। हम संगीत से जुड़े सत्य को नजर अंदाज नहीं कर सकते। यह बहुत ही शक्तिशाली है,जो हमारे तरह की भावनाओं तथा शक्ति को बढ़ाने का प्रयास करता है। संगीत एक ऐसा माध्यम है जो हमारी आत्मा तक को स्पर्श करता है और संसार से कभी भी खत्म नहीं किया जा सकता।
संगीत मानव जीवन का प्राण
संगीत एक निश्चित भौतिक प्रक्रिया है और जिस प्रकार प्रकृति और प्राणी जगत में प्रकाश और गर्मी का प्रभाव होता है। उससे उनके शरीर बढ़ते, पुष्ट और स्वस्थ होते हैं। उसी प्रकार संगीत में भी तापीय और प्रकाशीय ऊर्जा होती है और वह प्राणियों के विकास में इतना महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है, जितना अन्न और जल।
पीड़ित व्यक्ति के लिए तो संगीत उस रामबाण औषधि की तरह है, जिसका श्रवण पान करते ही तात्कालिक शांति मिलती है। ध्वनि एक निश्चित भौतिक प्रक्रिया है और जिस प्रकार प्रकृति और प्राणी जगत में प्रकाश और गर्मी का प्रभाव होता है। उससे उनके शरीर बढ़ते, पुष्ट और स्वस्थ होते हैं। उसी प्रकार ध्वनि में भी तापीय और प्रकाशीय ऊर्जा होती है और वह प्राणियों के विकास में इतना महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है, जितना अन्न और जल। पीड़ित व्यक्ति के लिए तो संगीत उस रामबाण औषधि की तरह है, जिसका श्रवण पान करते ही तात्कालिक शांति मिलती है।
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