Hindi, asked by Villain3179, 1 year ago

Write a short story about " जब संज्ञा ने खोले अपने भेद "

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Answered by bhatiamona
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जब संज्ञा ने खोले अपने भेद  

मैं संज्ञा हूँ। मैं आपको आज अपनी कहानी सुनाती हूँ। मैं आपको अपने और अपने परिवार के बारे में बताती हूँ। मैं अपने भेद यानी रहस्य के बारे में बताती हूँ। मैं अपने पूरे परिवार का आपसे परिचय कराती हूँ। ध्यान से सुनो क्योंकि आपको मेरे परिवार की जरूरत पड़ेगी।

मेरा नाम संज्ञा है। भाषा मेरी माँ है। मेरे पिता का नाम शब्द है। हमारे दादाजी का नाम नाम व्याकरण है। मैं अपनी माता भाषा और पिता शब्द की दूसरी संतान हूँ,  मेरे बड़े भाई का नाम वर्ण है, और स्वर तथा व्यंजन मेरे भतीजे हैं। मेरी छोटी बहन का नाम सर्वनाम है। इस तरह मेरा परिवार पूरा हुआ। मेरी पाँच पुत्रियां हैं। जिनके नाम हैं...

  1. व्यक्तिवाचक संज्ञा
  2. जातिवाचक संज्ञा
  3. समूहवाचक संज्ञा
  4. द्रव्यवाचक संज्ञा
  5. भाववाचक संज्ञा

मेरे पहली पुत्री व्यक्तिवाचक संज्ञा का काम वहाँ पर है, जहां पर वाक्य में किसी व्यक्ति स्थान अथवा वस्तु का बोध होता है। तो मेरी पहली पुत्री व्यक्तिवाचक संज्ञा अपना कार्य करती है।

वाक्य में जहां पर शब्द से किसी वस्तु, व्यक्ति की जाति का बोध हो, वहां पर मेरी दूसरी पुत्री जातिवाचक संज्ञा काम करती है।

भाववाचक संज्ञा मेरी तीसरी पुत्री है। भाववाचक संज्ञा उस जगह पर अपना कार्य करती है, जब किसी वस्तु, पदार्थ या प्राणी की दशा, स्थिति या उसके हावभावों का बोध है, तो वहां मेरी तीसरी पुत्री भाववाचक संज्ञा काम करती है।

जहाँ पर बहुत सारे शब्द किसी समूह या वर्ग का बोध कराते हैं, तब मेरी चौथी पुत्री समूहवाचक संज्ञा काम करती है।

जब शब्द से किसी पदार्थ, धातु या द्रव्य का बोध होता है तो वहां मेरा पांचवी पुत्री द्रव्यवाचक संज्ञा काम करती है।

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