English, asked by nutteyy772, 8 months ago

Write a short story about 'ररश्तों की समझ' [Class 11]

Answers

Answered by SYEDUZAIR236
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Answer:

&*()!@34aoppi

Explanation:

Answered by bhatiamona
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रिश्तों की समझ विषय के ऊपर कहानी (कहानी)  

किसी व्यक्ति के जीवन में उसके परिवार वाले और उसके निकट संबंधी एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। हमें अपने आपसी रिश्ते की मर्यादा का पूरा ध्यान रखना चाहिए और हमें इन रिश्तों का महत्व समझना चाहिए। हमारे अपने ही होते हैं जो हमारे संकट के समय हमारे काम आते हैं। अक्सर ऐसा होता है कि कुछ लोग बाहरी लोगों के बहकावे में आकर अपने अपनों से ही नाता तोड़ लेते हैं, परन्तु संकट की किसी घड़ी में फंसने पर उनके वे तथाकथित शुभचिंतक दोस्त लोग उनका साथ छोड़ देते हैं तब उनके अपने ही उनके काम आते हैं, इसलिए रिश्तो की समझ हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है।

इस संबंध में एक कहानी प्रस्तुत है..

मयंक अपनी माँ-बाप की तीसरी संतान था। उसे दो बड़े भाई थे। माँ बाप ने उसे पढ़ने के लिए दूसरे शहर भेजा। हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करता था धीरे-धीरे हॉस्टल के कुछ गलत प्रवृत्ति के लड़कों से उसकी दोस्ती हो गई और वह गलत संगत में पड़ गया। वह अपने माँ-बाप द्वारा भेजे पैसे व्यर्थ के व्यसनों पर खर्च करता था। जब उसका पढ़ाई का साल खत्म हआ तो वह घर आया। लेकिन उस स्वभाव परिवर्तित हो चुका था। वह अपने माँ बाप से सीधे बात नहीं करता था। अपने भाइयों से भी दुर्व्यवहार करता था। एक दिन अपने पिता से किसी बात पर झगड़ा कर बैठा और पिता ने उसको थप्पड़ मार दिया।

तब मयंक घर छोड़कर चला गया और वह अपनी उस दोस्त के घर चला गया जिससे उसकी सबसे ज्यादा दोस्ती थी। एक-दो दिन दोस्त के घर पर रहा। फिर उसके दोस्त ने उसके लिए एक दूसरे कमरे का प्रबंध कर दिया। कुछ दिन तो यूं ही गुजर गए। बैंक के पास जो पैसे थे सब खत्म हो गए थे उसके पास कोई काम भी नहीं था। उसने अपने दोस्त के पैसे उधार मांगे लेकिन उसने साफ मना कर दिया और बहाना बना दिया कि उसके पास पैसे नहीं है। उसके कई दोस्तों ने भी उसी मदद से इंकार कर दिया। मयंक में कई जगह काम करने की कोशिश की, लेकिन उसे कहीं काम नहीं मिला। वो अपने घर भी नहीं जा सकता क्योंकि वह शर्मिंदा था घर से झगड़ कर आया था इसी समय पर बीमार भी पड़ गया और 3 दिन तक अपने कमरे पर ही पड़ा रहा, बाहर नहीं निकला।

उसके घर वालों को उसकी बुरी हालत का पता चला, तो उसके पिता और दोनों भाई दौड़े-दौड़े उसके पास आए और उसे किसी तरह समझा-बुझाकर अपने घर ले गए। उसकी तीमारदारी की, जिससे वो शीघ्र ही स्वस्थ हो गया। मयंक को अपने किए पर बड़ा पछतावा हो रहा था और उसे रिश्तों की अहमियत पता चल रही थी कि अपने ही इस संकट के समय काम आते हैं और अपनों का महत्व हमेशा समझना चाहिये तथा उनके साथ गलत व्यवहार करना चाहिए। उसने अपने उन मतलबी दोस्तों की दोस्ती से तौबा कर ली और अपने घर वालों के कहे अनुसार काम करने की मन में ठान ली। इस तरह मयंक को रिश्तो की अहमियत और समझ पता चल चुकी थी।

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