Write a short story about " उड़ने की चाह/आज़ादी की चाह "
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उड़ने की चाह
मुझमें उड़ने की चाह है। मैं पंछी नहीं हूं, फिर भी मैं उड़ना चाहती हूं। मैं आसमान में उड़ना चाहती हूं। मैं आसमान में उन्मुक्त होकर विचरण करना चाहती हूं। मैं जानती हूं कि ऐसा संभव नहीं है, फिर भी मुझमे उड़ने की चाह है।
यहां मेरे उड़ने से तात्पर्य मेरे सपनों की उड़ान से है। मैं अपने सपनों रूपी पंखों द्वारा अपने लक्ष्य रूपी आसमान को छूना चाहती हूं। वह सब कुछ हासिल करना चाहती हूं जो मुझे हासिल करना है। मैं उन नारियों की जमात में शामिल होना चाहती हूं जिन्होंने अपने सपने रूपी पंखों से अपने लक्ष्य रूपी आसमान को छुआ।
मैं कल्पना चावला बनना चाहती हूं, मैं सुनीता विलियम सुनना चाहती हूं, मैं मदर टेरेसा बनना चाहती हूं, मैं साइना नेहवाल, सानिया मिर्जा, पीवी सिंधु बनना चाहती हूं। मैं पी टी उषा बनना चाहती हूं। मैं इंदिरा गांधी बनना चाहती हूं।
मैं भारत की वह नारी बनना चाहती हूं जिसने अपना मुकाम अपने दम पर बनाया। मेरे सपने ही मेरा पंख है और मेरे लक्ष्य ही मेरा आसमान है। अपने सपने रूपी पंखों से अपने लक्ष्य रूपी आसमान को छूना ही मेरा उद्देश्य है। यही मेरी उड़ान है।
मैं उड़ना चाहती हूं, इस जगत में छा जाना चाहती हूं। मैं अपनी मेहनत से अपनी किस्मत को बदलना चाहती हूं। मैं अपने हाथ की लकीरों को अपने अनुसार बनाना चाहती हूं। मैं अपने हौसलों की उड़ान से संसार की हर कठिन बाधा को पार करना चाहती हूं। यही मेरी उड़ने की चाह है। मैं उड़ना चाहती हूँ।