Write a short story on subhash chandra bose in hindi
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सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक (उड़ीसा ) में हुआ था। चन्द्र बोस एक माध्यम वर्गीय परिवार से सबंध रखते थे। उनके पिता जी का नाम जानकीनाथ था जो के एक वकील थे और माता का नाम पर्वाभती देवी था। सुभाष चन्द्र बोस की पारंभिक शिक्षा कटक के ही एक स्कूल में हुई। पर्वाभती और जानकीनाथ की 14 संताने थी जिनमें से 8 बेटे और 6 बेटियां इनमें से सुभाष जी उनकी नौंवी संतान थी।
सुभाष चन्द्र बोस के पिता जी चाहते थे के उनका लड़का आई. सी.एस बने उन्होंने अपने पिता जी की यह इच्छा पूरी की। उन्होंने आई. सी.एस की परीक्षा को पास किया परन्तु उनका ईरादा अंग्रेज सरकार के अधीन काम करना नहीं था 22 अप्रैल 1921 को उन्होंने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था।
भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में सुभाष जी का एहम योगदान रहा है। इसीलिए उनका नाम सच्चे सेनानियों में लिया जाता है। उन्होंने देश को अंग्रेज हकूमत से आज़ाद कराने के लिए आज़ाद हिन्द फ़ौज का गठन किया। दुसरे विश्व युद्ध के समय नेता जी ने भारत को छोड़ने का फैसला किया और वह सिंघापुर चले गए वहां पर सन 1943 में नेता जी ने नेशनल आर्मी का भी गठन किया।
नेता जी के दिल में देश भक्ति की भावना कूट -कूट कर भरी हुई थी एक अंग्रेज अध्यापक हमेशा भारतीयों के बारे में बुरे शब्दों का प्रयोग करता था तो नेता जी ने गुस्से में आकर उस अंग्रेज अध्यापक को थपड मार दिया था। इसके बाद नेता जी को कॉलेज से निकाल दिया गया। इससे साबित होता है के नेता जी के अंदर देश भक्ति की कितनी भावना थी।
सुभाष चन्द्र बोस भारत की आज़ादी आन्दोलन के प्रमुख्य नेताओं में से एक थे। उन्होंने भारतीय लोगों में देश प्रेम की भावना , जोश और बलिदान की भावना को जागृत किया। इसीलिए उनकी याद में प्रति वर्ष 23 जनवरी को देश प्रेम दिवस मनाया जाता है। तुम मुझे खून दो में तुझे आज़ादी दूंगा यह उनका प्रसिद्ध वाक्य जो जनता में एक नया जोश पैदा करता है।
दुर्भाग्यवश एक विमान दुर्घटना में सन 1945 को उनकी मौत हो गयी।
सुभाष चन्द्र बोस के पिता जी चाहते थे के उनका लड़का आई. सी.एस बने उन्होंने अपने पिता जी की यह इच्छा पूरी की। उन्होंने आई. सी.एस की परीक्षा को पास किया परन्तु उनका ईरादा अंग्रेज सरकार के अधीन काम करना नहीं था 22 अप्रैल 1921 को उन्होंने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था।
भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में सुभाष जी का एहम योगदान रहा है। इसीलिए उनका नाम सच्चे सेनानियों में लिया जाता है। उन्होंने देश को अंग्रेज हकूमत से आज़ाद कराने के लिए आज़ाद हिन्द फ़ौज का गठन किया। दुसरे विश्व युद्ध के समय नेता जी ने भारत को छोड़ने का फैसला किया और वह सिंघापुर चले गए वहां पर सन 1943 में नेता जी ने नेशनल आर्मी का भी गठन किया।
नेता जी के दिल में देश भक्ति की भावना कूट -कूट कर भरी हुई थी एक अंग्रेज अध्यापक हमेशा भारतीयों के बारे में बुरे शब्दों का प्रयोग करता था तो नेता जी ने गुस्से में आकर उस अंग्रेज अध्यापक को थपड मार दिया था। इसके बाद नेता जी को कॉलेज से निकाल दिया गया। इससे साबित होता है के नेता जी के अंदर देश भक्ति की कितनी भावना थी।
सुभाष चन्द्र बोस भारत की आज़ादी आन्दोलन के प्रमुख्य नेताओं में से एक थे। उन्होंने भारतीय लोगों में देश प्रेम की भावना , जोश और बलिदान की भावना को जागृत किया। इसीलिए उनकी याद में प्रति वर्ष 23 जनवरी को देश प्रेम दिवस मनाया जाता है। तुम मुझे खून दो में तुझे आज़ादी दूंगा यह उनका प्रसिद्ध वाक्य जो जनता में एक नया जोश पैदा करता है।
दुर्भाग्यवश एक विमान दुर्घटना में सन 1945 को उनकी मौत हो गयी।
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