write a speech on international women's day in hindi...?
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मां अर्थात माता के रूप में नारी, धरती पर अपने सबसे पवित्रतम रूप में है। माता यानी जननी। मां को ईश्वर से भी बढ़कर माना गया है, क्योंकि ईश्वर की जन्मदात्री भी नारी ही रही है। मां देवकी (कृष्ण) तथा मां पार्वती (गणपति/ कार्तिकेय) के संदर्भ में हम देख सकते हैं इसे।
किंतु बदलते समय के हिसाब से संतानों ने अपनी मां को महत्व देना कम कर दिया है। यह चिंताजनक पहलू है। सब धन-लिप्सा व अपने स्वार्थ में डूबते जा रहे हैं। परंतु जन्म देने वाली माता के रूप में नारी का सम्मान अनिवार्य रूप से होना चाहिए, जो वर्तमान में कम हो गया है, यह सवाल आजकल यक्षप्रश्न की तरह चहुंओर पांव पसारता जा रहा है। इस बारे में नई पीढ़ी को आत्मावलोकन करना चाहिए।
बाजी मार रही हैं लड़कियां
अगर आजकल की लड़कियों पर नजर डालें तो हम पाते हैं कि ये लड़कियां आजकल बहुत बाजी मार रही हैं। इन्हें हर क्षेत्र में हम आगे बढ़ते हुए देखा जा सकता है । विभिन्न परीक्षाओं की मेरिट लिस्ट में लड़कियां तेजी से आगे बढ़ रही हैं। किसी समय इन्हें कमजोर समझा जाता था, किंतु इन्होंने अपनी मेहनत और मेधा शक्ति के बल पर हर क्षेत्र में प्रवीणता अर्जित कर ली है। इनकी इस प्रतिभा का सम्मान किया जाना चाहिए।
HOPE YOU GOT A BRAINLIEST ANSWER!
हर वर्ष 8 मार्च को महिला दिवस पुरे विश्व में महिलाओं के सम्मान में मनाया जाता है| बीते सालों में वक़्त के साथ-साथ लोगो की सोच में भी काफ़ी बदलाव आया है| आज महिलाये पुरुषों के साथ कंधे से कंधे मिलाकर चलती है| जहाँ सभी घरों में लड़कियों की जल्दी शादी करा दी जाती थी, वही आज उन्हें शिक्षा के लिए प्रेरित किया जाता है| जहाँ ‘मलाला’ जैसी लडकियाँ शिक्षा के लिए पुरे पाकिस्तान से लड़ बैठी तो वही प्रियंका चोपड़ा जैसी अभिनेत्रियाँ हॉलीवुड में भी हमारे भारत का नाम ऊचाँ कर रही है| पर आज भी हमारे देश में ऐसे कई जगह और कई लोग है जिनकी सोच छोटी होने की वजह से आज महिलाओं के हालात बद से बत्तर है| आज उसी सोच को बदलने की जरुरत है ताकि हमारे देश की महिलाएं पूर्ण रूप से सुरक्षित हो सके|महिलाऐं ही हमारे देश का गौरव है और नारी का सम्मान हमारे लिए सर्वोपरि है| 8 मार्च को पुरे विश्व में महिलाओं के सम्मान हेतु महिला दिवस मनाया जाता है| कहने को हमारे समाज में महिलाओं को पुरुषों से बराबरी का दर्जा दिया गया है| परन्तु आज भी भ्रूण हत्या और घरेलु हिंसा जैसे मसले पुरे देश में चर्चित विषय बना हुआ है| प्रतिदिन रेप के खबरों से अख़बार इस तरह सरोबर होता है मानो हमारे देश के युवा और बुजुर्ग महिलाओं की गुहार सुनना ही नहीं चाहते हो| आज समाज के अंधेरो में कैद महिला उजली सुबह की धूप ढूंड रही है| आज भी स्त्रियाँ अपने सम्मान के लिए लड़ती जा रही है और हमारा पुरुष प्रमुख समाज देखता जा रहा है| आएं सब मिलकर उनकी गुहार सुने और उन्हें समाज की बंदिशों से आजाद करें|