Hindi, asked by agx966, 1 year ago

write a story on asha and nirasha in Hindi.​

Answers

Answered by tejaschopade
44

Explanation:

कुछ किशोरों के चेहरे पर हमेशा तनाव, उदासी व निराशा के भाव ही दिखते हैं. कई बार तो यह निराशा उन पर इतनी हावी हो जाती है कि देखते ही लगता है कि रो पड़ेंगे. आखिर ऐसा क्यों होता है अगर उन से इस का कारण पूछा जाए तो वे खीज कर कहते हैं, ‘क्या करूं मेरे हिस्से में जब उदास रहना ही लिखा है, तो मैं प्रसन्न कैसे रहूं जिस भी काम में हाथ डालता हूं, असफलता ही मिलती है.’ इतना ही नहीं, निराश व्यक्ति जरा सी भी परेशानी या बाधा आने पर घबरा उठता है और उस के निदान हेतु ज्योतिषियों तथा फकीरों के पास चक्कर काटने लगता है. उसे ऐसा लगने लगता है कि मानो निराशा उस के सिर पर बोझ बन गई हो.

निराश व्यक्ति की व्यथा

निराश व्यक्ति हमेशा भाग्य पर विश्वास करने वाला होता है. लेकिन वह यह नहीं समझता कि व्यक्ति अपने भाग्य का निर्माता स्वयं होता है. निराश व्यक्ति सदैव भाग्य का रोना रोता रहता है. निराशा के चलते वह बहुत जल्द ही अपने बहुमूल्य जीवन को निरर्थक बना लेता है. वह सदैव ज्योतिषियों तथा फकीरों द्वारा बताए गए रास्ते पर चल कर अपने भाग्य के चमत्कार को देखना चाहता है. इस प्रकार हम देखते हैं कि निराशा की मांद में घुस कर व्यक्ति कोई काम नहीं कर सकता, क्योंकि वहां आशा की एक भी किरण नहीं घुस सकती. बड़ेबड़े वैज्ञानिकों, जिन के द्वारा आविष्कृत वस्तुओं को देख कर हम चमत्कृत हो उठते हैं, को अपने आविष्कारों में एक बार में सफलता नहीं मिली. उन्हें असफलताओं को ही अधिक झेलना पड़ा. मगर वे निराश नहीं हुए, अनवरत अपनी साधना में लगे रहे और अंतत: उन्हें सफलता मिली.

आशा जीवन है तो निराशा मृत्यु

आशा के कारण ही हम जीवित हैं, इस में कोई अतिशयोक्ति नहीं. आशा प्रकाश की ज्योति फैलाती है और निराशा अंधकार की. वास्कोडिगामा और कोलंबस आशा के बल पर ही खतरनाक समुद्री यात्रा करते रहे. निराश होना तो वे जानते ही नहीं थे. निराश व्यक्ति को कोई नहीं पूछता. कोई उस की सहायता नहीं करता. निराश व्यक्ति का सभी उपहास उड़ाते हैं. उसे कोई मालिक या अधिकारी काम पर भी नहीं रखता, क्योंकि निराशा के भंवर में पड़ा मनुष्य कोई काम करने योग्य होता ही नहीं है. निराशा एक खतरनाक बीमारी है, जिस व्यक्ति को निराशारूपी यह बीमारी पकड़ लेती है, उसे भीतर ही भीतर यह दीमक की तरह धीरेधीरे खोखला और कमजोर बनाती है. निराशा से ग्रसित व्यक्ति अपने जीवन में कभी सफलता प्राप्त नहीं कर पाता. उसे पगपग पर असफलता ही हाथ लगती है. आखिर आप निराश क्यों हैं अपने भाग्य को दोष क्यों देते हैं असल में आप की निराशा का कारण यह है कि आप को अपनी योग्यता पर विश्वास नहीं है. आप पर असफलतारूपी बीमारी ने हमला बोल दिया है और आप उस से हार मान बैठे हैं.

Hope it help you ❤❤❤

Please mark as brainlist

Please follow on insta

Answered by Anonymous
7

आशा और निराशा (कहानी)

एक शहर था , जहां एक परिवार रहता था ।

परिवार बहुत है निर्धन था। परंतु उन्होंने कभी भी

इस पर दुख नहीं जताया । इसका मुख्य कारण

था उसका बेटा , उदय । उदय पढ़ने में बहुत ही

तेज़ था । हमेशा अव्वल आता था । उसके

शिक्षक भी उसकी बहुत तारीफ किया करते थे।

और हमेशा उससे कहते थे , की तुम खूब आगे

जाओगे बस यह मेहनत करना मत छोड़ना ।

उदय को उसके माता और पिता बहुत प्यार करते

थे । उसके पापा का नाम मनोहर और माता जी

का नाम देवी। । उदय को हमेशा अपने घर से

यही सीख मिलती थी ' कभी भी अपनी स्थिति

पर मत रोना , मेहनत इतना करना की यह गरीबी

तुमसे हार मान जाए ' ।

देखते ही देखते उदय स्नातक की पढ़ाई पूरी कर

लेता है और बहुत ही अच्छे अंक से पास होता है।

अब आगे क्या उदय ? मनोहर पूछता है ।

क्या पिता जी आपको बताया था ना ।

क्या बताया था तुमने बेटा ?

पिताजी यूपीएससी भूल गए आप !

(मनोहर सुनते ही थोड़ा उदास हो गया )

पिताजी क्या हुआ आपको?

आप ठीक है ना?

बेटा यूपीएससी?

तुमने सोच लिया है कि यही करोगे ?

हा पिताजी ।

पर बेटा !

क्या पिताजी ?

मैंने सुना है कि यह बहुत ही कठिन परीक्षा है

और इसकी पढ़ाई में काफी पैसे भी लगते है। तो

क्या हुआ पिताजी ?

मैं खुद से पढूंगा ।

हमारे शिक्षक ने बताया है कि, खुद से भी पढ़कर बहुत लोगो ने इस परिक्षा को पास किया है।

पिताजी ज़रा आप ही सोचिए , बचपन से आप

लोग मुझे यही शिक्षा दे रहे है कि अपनी

परिस्थिति पर कभी मत रोना ,केवल मेहनत

करना , फिर आज आप ?

अ जी करने दीजिए न , लड़का मेहनती है , वह

जरूर सफल होगा , पीछे से देवी बोली।

ठीक है बेटा ,खूब मेहनत करो और किसी चीज की चिंता मत करना ।

जी पिताजी ।

पर बेटा इसके लिए तुम्हे तो दिल्ली जाना होगा न ? सुना है वहां माहौल मिलता है पढ़ाई के लिए ।

पिताजी , जरूरी नहीं है। मेहनत हम कहीं भी कर सकते है । मैं यही रहकर पढूंगा ।

धीरे - धीरे एक साल कट जाता है , और खुद के

बदौलत उदय यूपीएससी की परीक्षा देता है ।

उदय बेटा कहा हो ?

जी पिताजी !

आज परिणाम की घोषणा होने वाली है न ?

जी पिताजी ।

क्या लगता है बेटा जी ?

पिताजी मैंने बहुत मेहनत किया है , खूब मन लगाकर पढ़ाई भी की है । मैं जरूर सफल होऊंगा ।

वाह ! बेटा हमेशा ऐसे ही सकारात्मक सोचा करना । आधी कठिनाई तो ऐसे ही छू हो जाएगी । मुझे तुमसे बहुत आशा है बेटा । तुम जरूर सफल होगे ।

( कुछ देर पश्चात , उदय फोन पर परिणाम देखता है और उदास हो जाता है। )

क्या हुआ बेटा? उदास क्यों हो?

पिताजी मैंने आपको निराश कर दिया है । मैं सफल नहीं हो पाया । मैंने आप सबको बहुत दुखी किया है पिताजी ।

बेटा यह क्या कह रहे हो ? तुम उदास क्यों हों? परीक्षा के परिणाम से यह थोड़ी न साबित होता है कि तुमने मेहनत नहीं किया । हमेशा याद रखना , मेहनत को महत्व देना । मेहनत के वजह से ही सकारात्मक परिणाम आते है । आपसे कोई यह नहीं कह रहा है कि आपने मेहनत नहीं किया । आपने बहुत मेहनत किया है । आप निराश क्यों होते हो बेटाजी अगले साल फिर से कोशिश करना । क्या पता , तुम्हारे अच्छे परिणाम आए ।

धीरे - धीरे एक साल व्यतीत हो जाता है इस बार, उदय सफल होता है । और उसके माता और पिता सब बहुत ही खुश होते है ।

आशा और निराशा दोनों परस्पर जुड़े रहते है । आशा से ही निराशा भी होती है । इसका अर्थ यह नहीं कि हमे आशा नहीं करना चाहिए ।

Similar questions