write a story on bachpan ke jhrokhe
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बचपन के झरोखे
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बचपन हमारे जीवन का वो समय होता है जब हम मासूम और ईमानदार होते हैं।ना किसी से नाराजगी ना दुनियादारी की चिंता।सारा दिन खेलों रात को खाना खा कर सो जाओ।
ऐसी ही कहानी है गुड़िया की।गुड़िया केसरिया गांव में रहती थी।उसकी एक पक्की सहेली थी मिट्ठी।गुड़िया और मिट्ठी संग में खेतों में रोज़ खेलने जाते।सुबह से शाम तक खेलते रहते।
एक बार मिट्ठी बोहोत दिनों तक खेलने नहीं आती गुड़िया को फिकर हुई।गुड़िया जब मिट्ठी के घर गई तब पाता चला कि मिट्ठी के पापा मम्मी उसको बड़े स्कूल मैं एडमिशन दिलाने शहर गए है।गुड़िया उदास हो गई क्यूंकि पूरे गांव में उसकी एक ही सहेली थी मिट्ठी अब मिट्ठी भी चली गई अब क्या होगा गुड़िया का।
गुड़िया सारे दिन खेतों मैं खेलती मगर अब वो बात नहीं थी जो मिट्ठी के संग खेलने मैं थी।
एक दिन गांव में घूमते हुई गुड़िया को एक छोटी सी लड़की मिली उसका नाम था पिंकी।पिंकी गांव में नई थी।किसी को जानती नहीं थी इसीलिए केवल अपने घर के सामने ही खेलती थी।गुड़िया ने पिंकी से पूछा क्या मेरे संग खेलेगी।पिंकी खुशी से चेहेक उठी।फिर दोनों संग में खेलती रहती।