Write a story on doodh ka doodh paani ka paani
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। तुम बातों ही बातों में अपनी ही पोल खोल बैठे।” अब तो हलकू का चेहरा देखने लायक था। उसे अपनी गलती माननी पड़ी। और ये भी कहना पड़ा कि अब से दूध में पानी नहीं मिलाएगा और कीमत भी सही रखेगा। उसकी अपने ही हाथों अच्छी फजीहत हो चुकी थी। चतुरी ने उसकी फिर से सही हजामत बनाई और चंपी भी की। वह पैसे देकर चुपचाप अपनी साइकिल उठाकर जाने लगा, तो चंदन और सुखिया काका एक साथ बोले, “अरे हलकू, शर्त का कलाकंद तो खाता जा। तेरी ही भैंस के दूध से बना है।” लेकिन हलकू कब रुकने वाला था! वह तो साइकिल उठा
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