write a story on imandar lakadhara
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☆★★★☆★☆★★★☆
sorry if it is long (。>﹏<。)
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एक गाउँ में एक लकड़हारा रहता था , वह ईमानदारी से कमाता था और अपना और अपने परिवार का गुजारा करता था। उसे लोभ लेस मात्र भी नही थी ।
उसे एक दिन पुराने मंदिर के तालाब के पास की पेड़ काटने के लिए जाना पड़ा , वह बोहोत गरीव था इसलिए न चाहते हुए व वह पेड़ काटने जाता था , नही तो उसका परिवार क्या खायेगा ।
गाउँ के लोग उसके गरीबी पे हस्ते थे और उससे चिढाते थे ।
वह एक के बाद एक कुल्हाड़ी मारता रहा ,अचानक से उसकी कुल्हाड़ी पास के तालाब में गिर पड़ी । भूख-प्यास से बेचारा रोते-रीते जा रहा था ।
उसे पीछे से किसी ने पुकारा ,उसे लगा कि भूख के कारण आवाज सुनाई दे रही है , वह फिर चलने लगा ।
फिर थोड़ी देर बाद उसे किसीने आवाज लगाई , वह रुका और पीछे मुरा तो उसने एक अत्यंत सुंदर परी को देखा और उसके हाथ मे सोने की कुलहरि थी ।
वह लकड़हारा बोला-"आप को हो देवी "
परी-"में इसी तालाब में रहती हूं , तुम्हारा कुल्हाड़ी गिर गया था वही देने आए हु ।"
लकड़हारा-"न न देवी ये मेरी नही है , मेरी तो एक पुरानी सी थी उसपे धार व नही थी ठीक से "
परी-"वाह !! पहली बार इतना ईमानदार व्यक्ति देखा है , आजसे ये दोनों कुल्हाड़ी तुम्हारी रखलो ये मैंने फल स्वरूप तुम्हे दिया है।
वह लकड़हारा बाद खुस हो गया और वह गरीव भी नही रहा ।
सभी ने पूछा कैसे हुआ ये सब तो उसने सबको बताया , वो सभी लोव के कारण अपना सारा सामान उसमे फेकने लगे,
परी बेहद आयी और बोली -" ये सब आपका है "
(सब कुछ हिरे और सोने के थे )
गाउँ वाले-"हाँ हाँ !! हमारा है "
(^_^) "आप लोग चिंता न करे ये सारा सामान में रख लेती हूं और आप ये पथड के समान घड़ ले जाएं "-परी बोली
------------the end--------------
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【★_★】
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sorry if it is long (。>﹏<。)
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एक गाउँ में एक लकड़हारा रहता था , वह ईमानदारी से कमाता था और अपना और अपने परिवार का गुजारा करता था। उसे लोभ लेस मात्र भी नही थी ।
उसे एक दिन पुराने मंदिर के तालाब के पास की पेड़ काटने के लिए जाना पड़ा , वह बोहोत गरीव था इसलिए न चाहते हुए व वह पेड़ काटने जाता था , नही तो उसका परिवार क्या खायेगा ।
गाउँ के लोग उसके गरीबी पे हस्ते थे और उससे चिढाते थे ।
वह एक के बाद एक कुल्हाड़ी मारता रहा ,अचानक से उसकी कुल्हाड़ी पास के तालाब में गिर पड़ी । भूख-प्यास से बेचारा रोते-रीते जा रहा था ।
उसे पीछे से किसी ने पुकारा ,उसे लगा कि भूख के कारण आवाज सुनाई दे रही है , वह फिर चलने लगा ।
फिर थोड़ी देर बाद उसे किसीने आवाज लगाई , वह रुका और पीछे मुरा तो उसने एक अत्यंत सुंदर परी को देखा और उसके हाथ मे सोने की कुलहरि थी ।
वह लकड़हारा बोला-"आप को हो देवी "
परी-"में इसी तालाब में रहती हूं , तुम्हारा कुल्हाड़ी गिर गया था वही देने आए हु ।"
लकड़हारा-"न न देवी ये मेरी नही है , मेरी तो एक पुरानी सी थी उसपे धार व नही थी ठीक से "
परी-"वाह !! पहली बार इतना ईमानदार व्यक्ति देखा है , आजसे ये दोनों कुल्हाड़ी तुम्हारी रखलो ये मैंने फल स्वरूप तुम्हे दिया है।
वह लकड़हारा बाद खुस हो गया और वह गरीव भी नही रहा ।
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परी बेहद आयी और बोली -" ये सब आपका है "
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wwwlaibafatima:
thank you
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here is your answer and plz mark me as brainlist
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