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निज भाषा उन्नति अहै, सब भाषा को मूल, बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटै न हिय को शूल।— भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
हिंदी का प्रचार और विकास कोई रोक नहीं सकता। पंडित गोविंद बल्लभ पंत
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