Write about indian farmer difficulties eassy in hindi
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महात्मा गाँधी ने कहा था ” भारत का हृदय गांवों में बसता है” । गांवों में ही सेवा व परिश्रम के अवतार किसान बसते हैं । ये किसान ही नगरवासियों के अन्नदाता हैं। सृष्टि के पालक हैं । गाँवों की उन्नति से ही भारत की उन्नति हो सकती है ।
भारतीय किसान को देखकर यह सूक्ति बरबस ही आ जाती है:
“सादा जीवन उच्च विचार । यह है देखो भारतीय किसान ।”
सचमुच में भारतीय किसान भारतीयता का सच्चा प्रतिनिधि है । उसमें भारत की आत्मा निवास करती है ।
यह कड़वा सच है कि घोर परिश्रमी और सीधा सादा होने के बावजूद भी भारतीय किसान की जीवन दशा बड़ी ही दु:खद है । उसका सम्पूर्ण जीवन जोखिम भरा है । उसके जीवन का एकमात्र आधार कृषि की बड़ी ही शोचनीय दशा है । ऐसा इसलिए उस पर कभी न कभी कोई न कोई प्राकृतिक आपदाओं के बादल मंडराया करते हैं ।
कभी अतिवृष्टि से तो कभी अनावृष्टि की मार उसे सहनी पड़ती है । इसी तरह कभी उपलवृष्टि से तो कभी बाढ़ की चपेट में वह स्वयं को बचाने में असहाय हो अपने भाग्य को कोसने लगता है इसमके अतिरिक्त उसे कभी टिड्डी दल के आक्रमण तो कभी आधी और तूफान क प्रहार भी ने पड़ने हैं । कभी-कभी तो उसे चूहों और विषैले पशु-पक्षियों से प्रताड़ित होना पड़ता हें ।
दिन-रात कठोर परिश्रम करने पर भी उसके पास टूटी-फूटी, घास-फूस की ही झोपड़ी होती है । उसके बच्चे भूख से कभी-कभी इतना बिलबिलाने लगते हैं और वे बहुत ही दयनीय अवस्था में दिखाई पड़ते हैं । उनका जन्म भी तो घोर अभाव, बेबसी, ऋण जाल में फंसा लिपटा होता है ।
भारतीय किसान को देखकर यह सूक्ति बरबस ही आ जाती है:
“सादा जीवन उच्च विचार । यह है देखो भारतीय किसान ।”
सचमुच में भारतीय किसान भारतीयता का सच्चा प्रतिनिधि है । उसमें भारत की आत्मा निवास करती है ।
यह कड़वा सच है कि घोर परिश्रमी और सीधा सादा होने के बावजूद भी भारतीय किसान की जीवन दशा बड़ी ही दु:खद है । उसका सम्पूर्ण जीवन जोखिम भरा है । उसके जीवन का एकमात्र आधार कृषि की बड़ी ही शोचनीय दशा है । ऐसा इसलिए उस पर कभी न कभी कोई न कोई प्राकृतिक आपदाओं के बादल मंडराया करते हैं ।
कभी अतिवृष्टि से तो कभी अनावृष्टि की मार उसे सहनी पड़ती है । इसी तरह कभी उपलवृष्टि से तो कभी बाढ़ की चपेट में वह स्वयं को बचाने में असहाय हो अपने भाग्य को कोसने लगता है इसमके अतिरिक्त उसे कभी टिड्डी दल के आक्रमण तो कभी आधी और तूफान क प्रहार भी ने पड़ने हैं । कभी-कभी तो उसे चूहों और विषैले पशु-पक्षियों से प्रताड़ित होना पड़ता हें ।
दिन-रात कठोर परिश्रम करने पर भी उसके पास टूटी-फूटी, घास-फूस की ही झोपड़ी होती है । उसके बच्चे भूख से कभी-कभी इतना बिलबिलाने लगते हैं और वे बहुत ही दयनीय अवस्था में दिखाई पड़ते हैं । उनका जन्म भी तो घोर अभाव, बेबसी, ऋण जाल में फंसा लिपटा होता है ।
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भारत गांवों का देश है । भारत की आत्मा गांवों और किसानों में बसती है । इसलिए भारत एक कृषि प्रधान देश भी कहलता है । यहां की 70-80 प्रतिशत जनता प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर करती है । किसान हमारे लिए अन्न, फल, सब्दिया आदि उपजाता है ।
वह पशुपालन भी करता है । लेकिन भारतीय किसान की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है । स्वतंत्रता के 50 से अधिक वर्षो के बाद भी वह गरीब, अशिक्षित और शक्तिहीन है । उसे कठोर परिश्रम करना पड़ता है । उसके परिवार के सदस्य भी दिन-रात खेत-खलिहान में जुटे रहते हैं । बड़ी कठिनाई से वह अपना और अपने बाल-बच्चों का पेट भर पाता है ।
अभी भी उसके पास वही बरसों पुराने खेती के साधन हैं ।उसे बहुत कुछ मानसून पर निर्भर रहना पड़ता है । अगर समय पर अच्छी बरसात नहीं होती, तो उसके खेत सूखे पड़े रहते हैं । गांव में अकाल पड़ जाता है, और भूखों मरने की नौबत आ जाती है । वह अपने हाथों से कठोर परिश्रम करता है, खून-पसीना बहाता है, फिर भी वह गरीब और परवश है ।
उसकी आय इतनी कम होती है कि वह अच्छे बीच, खाद, औजार और पशु नहीं खरीद पाता । वह अशिक्षित है, और कई अंधविश्वासों और कुरुतियों का शिकार । सेठ-साहूकार इसका पूरा लाभ उठाकर उसका शोषण कर रहे हैं । वह अपनी संतान को पड़ाने के लिए भी नहीं भेज सकता । या तो गांव में स्कूल नहीं होता, या फिर बहुत दूर होता है ।
इसके अतिरिक्त वह बच्चों से खेत पर काम लेने के लिए विवश है । वह उन्हें पशु चराने जंगल में भेज देता है । सरकार ने भारतीय किसान की सहायता के लिए कुछ कदम उठायें हैं । उसे कम ब्याज पर कर्ज देने की व्यवस्था की गई है जिससे वह बीज, खाद आदि क्रय कर सके । परन्तु यह पर्याप्त नहीं है । सच तो यह है कि उस तक सहायता पहुंच नहीं पाती । बिचौलिये बीच में ही उसे हड़प लेते हैं ।
अशिक्षित होने के कारण वह अपने, अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं हैं । दूसरे लोग सरलता से उसके आधिकारों का हनन कर लेते हैं । उसे शिक्षित किया जाना बहुत आवश्यक है । इसके लिए प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य, मुफ्त और सर्वसुलभ बनाने की परम आवश्यकता है । हर गांव में उसके पास स्कूल खोले जाने चाहिये ।
स्कूलों में कर्मठ, ईमानदार और प्रशिक्षित अध्यापक लगाये जाने चाहिये । किसानों को कुए खुदवाने, बीच आदि खरीदने के लिए ऋण सुलभ होना चाहिये । वर्ष के बहुत समय वह निठल्ला बैठा रहता है । यह समय उसकी शिक्षा और कृषि संबंधी ज्ञान देने के लिए किया जा सकता
जब तक भारतीय किसान निर्धन और अशिक्षित है, तब तक देश की उन्नति नहीं कर सकता । हर तरह से उसकी सहायता कर उसको स्वावलम्बी और शिक्षित बनाया जाना चाहिये । कोई ऐसी व्यवस्था होनी चाहिये कि वह कभी बेकार न बैठे और खेत खाली नहीं रहे । इसके लिए सिंचाई की समुचित व्यवस्था बहुत आवश्यक है ।
अधिकतर भारत के किसान खेतीहर मजदूर हैं, या उनके पास बहुत थोड़ी जमीन होती है । कई बार वह जमीन भी अनुपजाऊ होती है । प्राय: सिंचाई के साधन का अभाव रहता है । वह जो कुछ उपजाता है, उसका उचित मूल्य नहीं मिलता । कई बार उसकी फलस बिकती नहीं और पड़ी-पड़ी सड़ जाती है ।
हमारे स्वर्गीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने हमें ‘जय किसान, जय जवान’ का नारा दिया था । यह हमारे किसानों के महत्व को रेखांकित करता है । परन्तु अभी भी उनकी हालत बड़ी दयनीय है । उनकी इस दशा को सुधारने के हर संभव प्रयत्न किये जाने चाहिये । उनकी उन्नति और विकास पर ही देश की समृद्धि टिकी है ।
वह पशुपालन भी करता है । लेकिन भारतीय किसान की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है । स्वतंत्रता के 50 से अधिक वर्षो के बाद भी वह गरीब, अशिक्षित और शक्तिहीन है । उसे कठोर परिश्रम करना पड़ता है । उसके परिवार के सदस्य भी दिन-रात खेत-खलिहान में जुटे रहते हैं । बड़ी कठिनाई से वह अपना और अपने बाल-बच्चों का पेट भर पाता है ।
अभी भी उसके पास वही बरसों पुराने खेती के साधन हैं ।उसे बहुत कुछ मानसून पर निर्भर रहना पड़ता है । अगर समय पर अच्छी बरसात नहीं होती, तो उसके खेत सूखे पड़े रहते हैं । गांव में अकाल पड़ जाता है, और भूखों मरने की नौबत आ जाती है । वह अपने हाथों से कठोर परिश्रम करता है, खून-पसीना बहाता है, फिर भी वह गरीब और परवश है ।
उसकी आय इतनी कम होती है कि वह अच्छे बीच, खाद, औजार और पशु नहीं खरीद पाता । वह अशिक्षित है, और कई अंधविश्वासों और कुरुतियों का शिकार । सेठ-साहूकार इसका पूरा लाभ उठाकर उसका शोषण कर रहे हैं । वह अपनी संतान को पड़ाने के लिए भी नहीं भेज सकता । या तो गांव में स्कूल नहीं होता, या फिर बहुत दूर होता है ।
इसके अतिरिक्त वह बच्चों से खेत पर काम लेने के लिए विवश है । वह उन्हें पशु चराने जंगल में भेज देता है । सरकार ने भारतीय किसान की सहायता के लिए कुछ कदम उठायें हैं । उसे कम ब्याज पर कर्ज देने की व्यवस्था की गई है जिससे वह बीज, खाद आदि क्रय कर सके । परन्तु यह पर्याप्त नहीं है । सच तो यह है कि उस तक सहायता पहुंच नहीं पाती । बिचौलिये बीच में ही उसे हड़प लेते हैं ।
अशिक्षित होने के कारण वह अपने, अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं हैं । दूसरे लोग सरलता से उसके आधिकारों का हनन कर लेते हैं । उसे शिक्षित किया जाना बहुत आवश्यक है । इसके लिए प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य, मुफ्त और सर्वसुलभ बनाने की परम आवश्यकता है । हर गांव में उसके पास स्कूल खोले जाने चाहिये ।
स्कूलों में कर्मठ, ईमानदार और प्रशिक्षित अध्यापक लगाये जाने चाहिये । किसानों को कुए खुदवाने, बीच आदि खरीदने के लिए ऋण सुलभ होना चाहिये । वर्ष के बहुत समय वह निठल्ला बैठा रहता है । यह समय उसकी शिक्षा और कृषि संबंधी ज्ञान देने के लिए किया जा सकता
जब तक भारतीय किसान निर्धन और अशिक्षित है, तब तक देश की उन्नति नहीं कर सकता । हर तरह से उसकी सहायता कर उसको स्वावलम्बी और शिक्षित बनाया जाना चाहिये । कोई ऐसी व्यवस्था होनी चाहिये कि वह कभी बेकार न बैठे और खेत खाली नहीं रहे । इसके लिए सिंचाई की समुचित व्यवस्था बहुत आवश्यक है ।
अधिकतर भारत के किसान खेतीहर मजदूर हैं, या उनके पास बहुत थोड़ी जमीन होती है । कई बार वह जमीन भी अनुपजाऊ होती है । प्राय: सिंचाई के साधन का अभाव रहता है । वह जो कुछ उपजाता है, उसका उचित मूल्य नहीं मिलता । कई बार उसकी फलस बिकती नहीं और पड़ी-पड़ी सड़ जाती है ।
हमारे स्वर्गीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने हमें ‘जय किसान, जय जवान’ का नारा दिया था । यह हमारे किसानों के महत्व को रेखांकित करता है । परन्तु अभी भी उनकी हालत बड़ी दयनीय है । उनकी इस दशा को सुधारने के हर संभव प्रयत्न किये जाने चाहिये । उनकी उन्नति और विकास पर ही देश की समृद्धि टिकी है ।
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