write about navratri in hindi in800 words
Answers
Hello
Plz read the essay
भारत में नवरात्रि का त्यौहार 9 दिनों तक बहुत ही बड़े तौर पर मनाया जाता है। नवरात्रि त्यौहार के आख़िरी दिन विजयदशमी या दशहरा का उत्सव मनाया जाता है। रामायण के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था। इस कारण सभी मोहल्लों और बड़े मैदानों में लोग रावण के बड़े पुतलों को जला कर (रावण दहन) करके खुशियों के साथ इस त्योहार को मनाते हैं।
नवरात्रि त्यौहार के दौरान पूरे पारंपरिक तथा रीति रिवाज के साथ देवी दुर्गा मां के 9 अवतारों की पूजा की जाती है। माता दुर्गा के 9 रूपों के नाम हैं – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री।
नवरात्रि का त्यौहार प्रतिवर्ष 5 बार मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र महीने में नवरात्रि त्यौहार को ‘वसंत नवरात्रि’ के रुप में मनाया जाता है जो आधुनिक युग के कैलेंडर के अनुसार मार्च के महीने में पड़ता है। वसंत नवरात्रि के नौवें दिन को राम नवमी के रुप में मनाया जाता है।
HOPE this helps you
Explanation:
नवरात्रि देवी दुर्गा के नौ अवतारों या स्वरूपों की पूजा करने का सबसे प्रसिद्ध हिंदू त्योहार है, जिसे शक्ति या देवी के रूप में भी जाना जाता है। यह त्योहार एक बार वसंत के दौरान चैत्र नवरात्रि और शरद ऋतु के दौरान शरद नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। शरद नवरात्रि अश्विन के महीने के दौरान मनाई जाती है, जो आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर में आती है। नवरात्रि अत्यंत भक्ति के साथ मनाया जाता है और चैत्र नवरात्रि के पहले दिन को हिंदू नव वर्ष की शुरुआत के रूप में भी माना जाता है। यह देवी दुर्गा को समर्पित है, जिन्हें नव दुर्गा के रूप में नौ दिव्य रूपों में पूजा जाता है। दुनिया भर में लोग इन दिनों के दौरान देवी की पूजा करते हैं। लोग छोटी कन्याओं के पैर छूते हैं और उन्हें देवी की तरह मानते हैं। नवरात्रि हिंदू धर्म का एक बहुत ही पवित्र त्योहार है।
नवरात्रों के दौरान, नौ अलग-अलग दिनों में देवी शक्ति के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के नौ दिन तक मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्री, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।
नवरात्रि के पहले दिन "घटस्थापना" की जाती है, जिसमें एक कलश में पानी भरकर पूजा के स्थान पर रखा जाता है। व्रत रखने वाले लोग एक 'अखंड' दीया जलाते हैं, जो पूरे नौ दिनों तक लगातार जलता है। लगातार नौ दिनों तक देवी को भोग लगाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। दसवें दिन 9 कन्याओं को घर बुलाया जाता है और कन्या पूजन किया जाता है।
चैत्र नवरात्रि का उल्लेख उत्तर भारत में देखने को मिलता है, इसके साथ ही नौवें दिन को राम नवमी के रूप में जाना जाता है। राम नवमी को भगवान राम का जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि की शुरुआत महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा से होती है और आंध्र प्रदेश में उगादी से होती है।
माघ और आषाढ़ के महीनों में पड़ने वाले नवरात्रों को गुप्त नवरात्रि के रूप में जाने जाते हैं। इसलिए इनके बारे बहुत काम लोगों को पता होता है। इन नवरात्रि में विशेष रूप से काली की पूजा की जाती है और तंत्र साधना की जाती है। नवरात्रि में उपवास के दौरान, साबूदाना, खिचड़ी सिंघारे का हलवा और कुट्टू के आटे की रोटी खाई जाती है।नवरात्रि के इस उत्सव पर कई प्रकार की पौराणिक कहानियां प्रचलित है। एक कहानी यह भी है जिसमे श्रीराम ने सीता माता को रावण की कैद से छुड़वाने के लिए देवी दुर्गा की आराधना की थी। उन्होंने 108 कमलो की पूजा नौ दिनों तक की थी। जिसके पश्चात देवी दुर्गा उनके इस पूजा से खुश होकर उन्हें विजयी होने का आशीर्वाद दिया था। उसके पश्चात राम ने अंहकारी रावण का वध किया था। इन नौ दिनों तक नवरात्रि के रूप में देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की गयी थी। दसवे दिन रावण के वध के बाद, इस उत्सव को दशहरा के रूप में मनाया जाता है।
नवरात्रि के इस पावन त्यौहार पर देश के उत्तर भारत के कई स्थानों पर कन्या पूजन किया जाता है। इस पूजा में नौ छोटी लड़कियों की पूजा की जाती है। लोग इसलिए उनकी पूजा करते है क्यूंकि उन्हें वे देवी माँ का रूप समझते है। नौ छोटी लड़कियों को हलवा, पूरी, मिटाई इत्यादि खिलाया जाता है।
कोलकाता में छोटे से लेकर बड़े हर प्रकार की दुर्गा मूर्ति की पूजा की जाती है। घरो पर ही नहीं बल्कि प्रत्येक सार्वजनिक जगहों पर अलग अलग थीम के अनुसार पंडाल को सजाया जाता है। बंगाल में उत्साह और उमंग की अलग ही प्रवाह दुर्गा पूजा के वक़्त देखी जा सकती है। छह दिनों तक लगातार यह उत्साव मनाया जाता है। अनगिनत मनोरंजन से भरे कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। बंगाल अपने संगीत के लिए जाना जाता है। चारो और संगीत और वाद्य यंत्रो की गूंज और लोगो की पंडाल में देर रात तक चहल पहल लगी रहती है।
कहीं कहीं जगह नवरात्रि के नौं रातों में 3 देवियों महालक्ष्मी, महासरस्वती और दुर्गा के नौं रूपों की पूजा की जाती हैं। जिसे नवदुर्गा के नाम से भी जाना जाता हैं। दुर्गा का तात्पर्य है जीवन के दुखों को हमेशा के लिए अंत करना।
निष्कर्ष
सभी लोग अपने दोस्तों और प्रियजनों से मिलकर दुर्गा पूजा की शुभकामनायें देते है। अष्टमी और नवमी के दिन, हवन किया जाता है। दशमी के दिन दुर्गाजी की बड़ी मूर्तियों को पूरे नियम और कायदे के अनुसार जल में विसर्जित किया जाता है। नवरात्रि का पर्व हमे कोशिश करना सिखाता है। हमे जीवन में परिश्रम करना सिखाता है, ताकि हम अपनी अंदरूनी शक्ति को पहचान कर, जीवन में अपनी राह चुन कर उसे हासिल कर सके। नवरात्रि के इस पावन त्यौहार को लोग पूरी निष्ठा से निभाते है। नवरात्रि त्यौहार का यही मकसद होता है कि समस्त लोगो के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्रदान करे।