write about sparrow in 100 words in hindi
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1. घर आंगन की चिड़िया है गौरैया I(sparrow)
2. गौरैया अब लगभग प्रकृति से ही नहीं हमारे घरों के आंगन, छतों की मुण्डेर, पक्के मकानों में ट्यूब लाइट पर छुपते छुपाते घोंसला बनाने की आदत से काफी दूर जा चुकी है।
3.गौरैया को पेसरी फाम्र्स (छोटे व मध्यम आकार के पक्षी) वर्ग में रखा गया है इसे अंग्रेजी व लैटिन भाषा में हाउस स्पैरो कहा जाता है I
4.गौरैया की अठखेंलियां देखकर प्रकृति के रंग को सलामत रखने की दुआ जाने अनजाने मुंह से निकल जाया करती थी।
5. गौरैया के बारे में जितनी जानकारी पर्यावरण, वन्य जीव क्षेत्रों से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं के माध्यम से उपलब्ध हो पायी है।
6. उनके मुताबिक कभी गांव जुड़ई कीट खाकर जीवित रहने वाली यह घरेलू चिड़िया अब खेत खलिहानों से विलुप्त होने की कगार पर है।
7. जलवायु परिवर्तन के कारण गौरैया की प्रजनन क्षमता में भी समय के साथ बदलाव आये हैं।
8. एक ही मौसम में कई बार अण्डे देने वाली मटमैली-भूरे रंग की तथा छाती पर एक काली सी पट्टी लिये हुऐ गौरैया कभी कभी बया चिड़िया की तरह दिखाई पड़ती है।
9. कहना गलत नहीं की अगर बया और गौरैया को साथ-साथ देखा जाये तो धोखा होना लाजमी है।
जानकार बताते हैं कि जबसे किसानों ने खेतों में जैविक कृषि से मुंह चुराकर अधिक उत्पादन खेतों से लेने के लिये हाइब्रिड बीजों, कीटनाशक दवाओं व रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग शुरू किया तभी से बदलते क्लाइमेट से उत्पन्न होने वाले अनाज के दानों को खाकर गौरैया भी मरने लगी है।
10. गौरैया से जुड़े सामाजिक सरोकार के मुद्दों को लेकर विश्व गौरैया दिवस मनाया गया। जिसमें इसके जीवन संरक्षण के लिये एक से प्रत्येक व्यक्ति को प्रकृति के करीब आने की गुजारिश की गयी है। साथ ही किसान भाईयों को अपने खेत खलिहानों में गौरैया को वापस लाने के लिये जैविक कृषि की तरफ निर्णायक कदम उठाकर प्रकृति के संसाधनों के साथ गौरैया के जीवन प्रवास की उपकल्पना उतारने के लिये सकारात्मक परिचर्चा भी ग्राम गोखरही में महिलाओं, ग्रामीणों के बीच रखकर विलुप्त होते प्रकृति के उपहार को संजोने की कोशिश की गयी।
Hope this be helpful....
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2. गौरैया अब लगभग प्रकृति से ही नहीं हमारे घरों के आंगन, छतों की मुण्डेर, पक्के मकानों में ट्यूब लाइट पर छुपते छुपाते घोंसला बनाने की आदत से काफी दूर जा चुकी है।
3.गौरैया को पेसरी फाम्र्स (छोटे व मध्यम आकार के पक्षी) वर्ग में रखा गया है इसे अंग्रेजी व लैटिन भाषा में हाउस स्पैरो कहा जाता है I
4.गौरैया की अठखेंलियां देखकर प्रकृति के रंग को सलामत रखने की दुआ जाने अनजाने मुंह से निकल जाया करती थी।
5. गौरैया के बारे में जितनी जानकारी पर्यावरण, वन्य जीव क्षेत्रों से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं के माध्यम से उपलब्ध हो पायी है।
6. उनके मुताबिक कभी गांव जुड़ई कीट खाकर जीवित रहने वाली यह घरेलू चिड़िया अब खेत खलिहानों से विलुप्त होने की कगार पर है।
7. जलवायु परिवर्तन के कारण गौरैया की प्रजनन क्षमता में भी समय के साथ बदलाव आये हैं।
8. एक ही मौसम में कई बार अण्डे देने वाली मटमैली-भूरे रंग की तथा छाती पर एक काली सी पट्टी लिये हुऐ गौरैया कभी कभी बया चिड़िया की तरह दिखाई पड़ती है।
9. कहना गलत नहीं की अगर बया और गौरैया को साथ-साथ देखा जाये तो धोखा होना लाजमी है।
जानकार बताते हैं कि जबसे किसानों ने खेतों में जैविक कृषि से मुंह चुराकर अधिक उत्पादन खेतों से लेने के लिये हाइब्रिड बीजों, कीटनाशक दवाओं व रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग शुरू किया तभी से बदलते क्लाइमेट से उत्पन्न होने वाले अनाज के दानों को खाकर गौरैया भी मरने लगी है।
10. गौरैया से जुड़े सामाजिक सरोकार के मुद्दों को लेकर विश्व गौरैया दिवस मनाया गया। जिसमें इसके जीवन संरक्षण के लिये एक से प्रत्येक व्यक्ति को प्रकृति के करीब आने की गुजारिश की गयी है। साथ ही किसान भाईयों को अपने खेत खलिहानों में गौरैया को वापस लाने के लिये जैविक कृषि की तरफ निर्णायक कदम उठाकर प्रकृति के संसाधनों के साथ गौरैया के जीवन प्रवास की उपकल्पना उतारने के लिये सकारात्मक परिचर्चा भी ग्राम गोखरही में महिलाओं, ग्रामीणों के बीच रखकर विलुप्त होते प्रकृति के उपहार को संजोने की कोशिश की गयी।
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गौरैया एक छोटा सा पक्षी है, जो लगभग संपूर्ण एशिया और यूरोप महादेश में पाया जाता है। यह पक्षी मुख्यतः ग्रामीण इलाकों में पाया जाता है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में गौरैया को रहने का निवास स्थान आसानी से मिल जाता है। अब कुछ सालों से यह पक्षी शहरी इलाकों से पूर्णत: गायब हो चुकी है।
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