write an anuched on adhunik jeevan shali
Answers
आधुनिक जीवन शैली ने हमे हमारी नैतिक्ता, सन्स्कार आदर सम्मान, अच्चि सोच, नीन्द और भी ना जाने ऐसी ही कितनी बहुमुल्य चीज़ो से हमे दुर करके रखा हुआ है, जिसका हमारी ज़िन्दगी मे शामिल होना बहुत आव्श्यक है। पैसे कमाने की होड ,हमारे दिखावे और शौक, नाइट क्लब पार्टिया, दोस्तो यारो के साथ घुमना फ़िरना, फ़िल्मे देखना और टीवी चैनलो से उपजि इस आधुनिक जीवन शैली के कारन , युवा मन इन सब चीज़ो की और जाने अन्जाने ही आकर्शित हो चला है। आज इंटरनेट के साथ जीने का ये अन्दाज़ बिल्कुल नया है,रहन सहन और खानपान की शैली हो या फिर लोगो के कामकाज और सोचने का तरिका, सभी मे बद्लाव आ चुका है।
आज हम मेहनत कम करना चाह्ते है, और मेहनत के कम होने के साथ साथ आज हमारा रहन सहन, खाने पीने का स्तर भी कम हो गया है।
अगर हम देखे तो आज युवा मे- जीवन के विकास के ज़रुरी अनुशासन और मुल्यो का स्थान आधुनिक साज़ो सामान ,ब्रान्डेड कपडो और उन्मुक्त जीवन ने ले लीया है! और इन्हि सब कि गिरफ़्त मे आकर "युवा मन" शराब-सिगरेट पीना, मादक दवाये लेना,चुप चाप सेर सपाटा करना,स्कुलो कालेजो से गायब रहना, झुट बोलना, इन्ट्र्नेट पर अश्लिल्ता से सरोबोर होना, ऐसे कपडे पहनना जिन्हे वे घर मे पहनने का साहस नही जुटा सकतॆ जैसी चीज़ो को आधुनिक्ता के नाम पर अपनी शान समझ बैथ्ते है।आधुनिकता कोई बुरी बात नही है।इसिलिये अगर अपने आप को चमकाना ही है तो अपने मन को, अपने विचारो को चमकाये, ना कि इस चमकदार दिखने वाली, दिखवटी आधुनिकता के मुखोटे को!!
उत्तर:
आधुनिक जीवन शैली पर एक अनुच्छेद निम्नलिखित दिया जा रहा है।
व्याख्या:
- जीवन शैली हमारे जीवन जीने का तरीका है। आज का युग विज्ञान का युग है। विज्ञान ने नवीन तकनीक व उपकरणों के माध्यम से केवल औद्योगिक क्रांति ही नहीं प्रस्तुत की है, बल्कि उसने हमारे रोजमर्रा के जीवन को भी परिवर्तित कर दिया है।
- नवीन स्वचालित उपकरणों से हमारी जीवनशैली भी प्रभावित हुई है। जहां पहले मनुष्य प्रत्येक कार्य अपनी मेहनत से पूरा करता था। वहीं आज तकनीक के माध्यम से वही कार्य बिना मेहनत के चंद मिनटों में पूरा हो जाता है।
- आज की हमारी जीवनशैली आलस्य पूर्ण हो गई है। जब मनुष्य में आलस्य आ जाता है तो उसके अन्य मानवीय गुणों का भी ह्रास होने लगता है।
- विज्ञान से प्रभावित इस जीवन शैली में सभी ने स्वयं को तकनीक तक ही सीमित कर लिया है। आज हमारा उठना बैठना, चलना, फिरना, बात करना केवल फोन और इंटरनेट तक ही सीमित होकर रह गया है। हमारे आपसी संबंध पीछे छूटते जा रहे हैं।
इसी प्रकार हम देखते हैं कि आज की जीवनशैली में नैतिकता, मानवीय मूल्य, दया, प्रेम, बंधुत्व आधी भावनाएं लगभग समाप्त हो गई हैं।
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