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Sadak Ki Atmakatha
मैं सड़क हूँ, मेरे कई रूप आप सब को देखने को मिल सकते हैं। कहीं मैं अपने विशाल रूप में हूं तो कहीं अपने छोटे रूप में। चाहे कोई भी हो, सभी मेरा प्रयोग करते हैं। मैं कभी अपने आप को प्रयोग करने वाले से यह नहीं पूछती कि क्या वह हिन्दू है, या फिर मुसलमान, सिख है या फिर ईसाई। मैं अपने कर्म को ही अपना धर्म समझती हूँ। सभी मुझ पर से गुजरकर ही अपने अपने लक्ष्य को पाते हैं।
मैं ही हूँ जो कस्बे से गाँव को, गाँव से शहर को और शहर को महानगर से जोड़ती हूँ। मानव के साथ हर जीव जैसे पशु, पक्षी, कीड़े-मकौड़े आदि भी मेरा भरपूर प्रयोग करते हैं।
मैं सड़क हूँ, मेरे कई रूप आप सब को देखने को मिल सकते हैं। कहीं मैं अपने विशाल रूप में हूं तो कहीं अपने छोटे रूप में। चाहे कोई भी हो, सभी मेरा प्रयोग करते हैं। मैं कभी अपने आप को प्रयोग करने वाले से यह नहीं पूछती कि क्या वह हिन्दू है, या फिर मुसलमान, सिख है या फिर ईसाई। मैं अपने कर्म को ही अपना धर्म समझती हूँ। सभी मुझ पर से गुजरकर ही अपने अपने लक्ष्य को पाते हैं।
मैं ही हूँ जो कस्बे से गाँव को, गाँव से शहर को और शहर को महानगर से जोड़ती हूँ। मानव के साथ हर जीव जैसे पशु, पक्षी, कीड़े-मकौड़े आदि भी मेरा भरपूर प्रयोग करते हैं।
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