Hindi, asked by diyainsh12109, 7 months ago

write an eassy on topic – वरिष्ठ नागरिक और उनकी समस्याएँ के बरेमे 125 – 150 (in hindi)​

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Answered by kumarsumit121187
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Answer:

डां. रमेष प्रसाद द्विवेदी

इतिहास इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि प्राचीन काल में वृद्धों की सिथति अत्यंत उन्नत एवं सम्मानीय रही हैं। उन्हें समाज एवं परिवार में अलग वर्चस्व था। परिवार की समस्त बागडोर उनके हाथों हुआ करती थी। परिवार को कोर्इ फैसला उनकी सलाह व मसविरे के आधार पर होता था। उन्हीं की सत्ता एवं प्रभाव के कारण पहले संयुक्त परिवार हुआ करते थे, वे परिवार के सदस्यों को एक धागे में बांधें रखते थे, परंतु भौतिकवादी युग में वृद्धों की समस्याओं का बढ़ना एवं समाज में उनकी उपयोगिता कम और समस्याएं बढ़ती नजर आ रही है। बुढ़ापा जीवन का अंतिम पड़ाव है और इस पड़ाव में जीवन असक्त हो जा है। कार्य करने की क्षमता कमजोर हो जाती है। भरण-पोषण के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। यही निर्भरता वृद्धों की समस्याओं की मूल हैं। शारीरिक एवं आर्थिक दृषिट से घुटन भरी जिन्दगी जीने को विवश हो जाती है। चाहे वह शिक्षित हो या अशिक्षित क्यों न हो, इस अवस्था में उनकी गाड़ी चरमराने लगती है, वह युवा पीढ़ी से तालमेल नहीं बैठा पाते है, जिससे उनकी समस्याओं की वृद्धि हो जाती है। विश्व में समाज का बहुत बड़ा हिस्सा ऐसा है कि जहां वृद्धावस्था में अब सामाजिक एवं आर्थिक असुरक्षा के कष्ट झेलते है। युवा वर्ग वृद्धों को कोर्इ महत्व नहीं देते हैं।

वृद्ध पुरूषों के समस्या के कारण :

आज हमारे देश में समस्याओं को बढ़ने के अनेक कारण है जो समाज की देन है। भारतीय समाज ऐसा समाज है जहां आज भी देखा जाता है लेकिन जैसे-जैसे पशिचमीकरण, भैतिकवाद का विकास हुआ वैसे-वैसे वृद्धों को उपेक्षा का शिकार होकर समस्याओं में घिर गये है। आज इन वृद्धों की समस्याओं के बहुत से कारण है, जो इस प्रकार है:-

1. संयुक्त परिवार का विघटन : संयुक्त परिवारों का अशांत व घुटन भरा माहौल और नगरों की ओर तेजी प्रस्थान करती हुर्इ युवा पीढ़ी को अपने वृजुर्गों के प्रति उदासीनता ने आज हमारे समाज में गंभीर समस्या उत्पन्न कर दी है। यह वही देश है कि जहां की संस्कृति में परिवार के बुजुर्गों को भगवान के समान माना जाता है और आज की पीढ़ी ने प्रथम पढ़ी नहीं होगी अगर पढ़ी होगी तो भी क्या आज के हर क्षण के बदलते परिवेश में इस प्रकार की आपेक्षा की जा सकती है। आज की नर्इ युवा पीढ़ी न तो बड़ों के अनुशासन में रहना चाहती और न ही आदर सम्मान कारना चाहती है।

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Answered by diyakhrz12109
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Answer:

The above answer is correct

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