Hindi, asked by zeekee837, 3 months ago

Write an essay in hindi on
"सार-सार को गहि रहे, थोथा देय उड़ाय"
•सूक्ति का अर्थ
• कथन का स्पष्टीकरण
• समाज के लोगों से संबंध
• वैचारिक अभिव्यक्ति
(Word limit 100-120 words)
I WILL MARK THE CORRECT ESSAY AS BRAINLIEST

Answers

Answered by usman4916950
3

Answer:

निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

(12)(क) जंगल की सुरक्षा

(i)सुरक्षा से अभिप्राय- जंगल की सुरक्षा का अभिप्राय है, जंगल में निवास करने वाले जानवरों, पक्षियों, पेड़, पौधे, उनपर आर्थिक रूप से निर्भर रहने वाले प्राणियों की सुरक्षा। जंगल की सुरक्षा में जंगल में निवास करने वाले सभी प्राणी द्वारा स्थापित पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा निहित है। जंगल की सुरक्षा के कारण ही विभिन प्रकार के जीवधारियों के बीच खाद्य शृंखला या भोजन शृंखला का निरंतर प्रवाह होता रहता है।

(ii)सुरक्षा से लाभ- मानव जाति के अस्तित्व के लिए जंगल की सुरक्षा अत्यंत आवश्यक हैं। वातावरण को शुद्ध करने, जलवायु नियंत्रण में सहायता, प्राकृतिक वाटरशेड के रूप में कार्य करने और कई लोगों के लिए आजीविका का एक स्रोत है। कई लाइलाज बीमारियों के ओषधियों के लिए हम प्राचीन समय से जंगलों पर निर्भर रहते आ रहे हैं।

(iii)जंगल के कटाई से हानि- जनसंख्या विस्फोट के कारण निवास के लिए भूमि कम पड़ रही है। इसलिए वनों की कटाई होती है। जंगलों की कमी होने से धरती पर कई नदियां सुख गई है और कई नदियों में पानी कम हो गया है। जल संकट की समस्या भीषण हो सकती है।ग्लोबल वार्मिंग का संकट और बढ़ सकता है। जंगलो की कमी से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ने के खतरा रहता है।

(iv)हमारी भूमिका- जंगलों की सुरक्षा में ही हमारी सुरक्षा निहित है। जंगलों को पुनः स्थापित करने हेतु हम सबको मिलकर अधिक से अधिक पेड़ लगाना चाहिए। जंगलों को काटने से बचना चाहिए और उनके संरक्षण हेतु राष्ट्रीय नीतियों में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करना चाहिए।

(ख) कैसे बदलेगी फुटपाथ की दुनिया

(i)फुटपाथ क्या है- फुटपाथ सडक के किनारे पैदल चलने वाले यात्रियों के लिए सुरक्षित रास्ता होता है। इन सुरक्षित पथ को पगडंडी भी कहा जाता है। फुटपाथ पैदल यात्रियों के चलने के साथ साथ गरीबों के निवास और अर्थ उपार्जन के काम भी आते हैं।

(ii)फुटपाथ की समस्या- फुटपाथ की सबसे बड़ी समस्या इसका अतिक्रमण होना है।नगर पालिका के ध्यान नही देने के कारण कई तरह के गैर कानूनी दुकान फुटपाथ पर खुल जाने से अतिक्रमण की समस्या उत्पन होती है। गरीब सरकार के तरफ से समुचित रैनबसेरा नहीं होने के कारण रात में सोने हेतु इन फुटपाथों का अतिक्रमण कर लेते हैं। अतिक्रमण के कारण पैदल यात्रियों को असुरक्षित रोड पर चलने के लिए मजबूर हो जाते हैं।

(iii)हमारी भूमिका- फुटपाथ को अतिक्रमण मुक्त करवाने के लिए हमें संगठित प्रयास करने की जरूरत है। फुटपाथ पर दुकान चलाने वालों को नगर निगम दुकान बना कर वहाँ विस्थापित करें इसके लिए प्रयासरत रहने की जरूरत है। जरूरतमंद के सोने के लिए सरकारी रैनबसेरा का अधिक से अधिक निर्माण करने से अतिक्रमण हटाना संभव हो पाएगा।

(iv)बदलाव के लिए सुझाव- जनसंख्या वृद्धि, देश में घुसपैठियों की समस्या और गरीबों के उत्थान हेतु सरकारी योजनाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार को दूर करने से फुटपाथ अपने वास्तविक कार्य को करने के लिए अतिक्रमण मुक्त हो जाएगा। इसके लिए हमें सामूहिक, संगठित और सतत प्रयास निरंतर करना पड़ेगा।

(ग) सार-सार को गहि रहे, थोथा देय उड़ाय

(i)सूक्ति का अर्थ- साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय, सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाए।

भावार्थ — कबीर दास जी कहते हैं कि सज्जन लोगों का आचरण सूप के समान होता है। जिस तरह सूप अनाज में से बेकार कणों को उड़ा देता है तथा उपयोगी अनाज को अपने पास रखता है, उसी तरह सज्जन लोग भी व्यर्थ की बातों पर ध्यान नही देते और व्यर्थ की बातों को हवा में उड़ा देते हैं तथा जो बातें उनके लिए उपयोगी होती हैं, उसी बात को ग्रहण करते हैं। सज्जन का यही स्वभाव होता है कि वह वह किसी भी बात में से से उपयोगी ज्ञान को अपने पास रखते हैं, और बेकार की बातों को छोड़ देते है।

(ii)कथन का स्पष्टीकरण- कथन के स्पष्टीकरण को हंस के द्वारा दूध और पानी को अलग करने के उदहारण से समझ जा सकता है। महात्मा बुद्ध ने डाकू अंगुलिमाल को सही रास्ते पर ले आयें और उसके दुर्गुणों का त्याग करवाते हुए। हमारे धार्मिक और पौराणिक कथाओं में उपरोक्त दोहे के समर्थन और स्पष्टीकरण के लिए अनेक उदाहरण मौजूद हैं।

(iii)समाज के लोगों से संबंध- उपरोक्त दोहे का मूल उद्देश्य समाज में गलत करने वाले व्यक्तियों को सही राह पर लाना है।उनके अंदर ज्ञान का अलख जगाकर उनको सत्यमार्ग पर वापस लाना है।समाज से बुराई का नाश करने के लिए बुरे व्यक्ति को सही मार्ग पर लाना ही श्रेष्ठ उपाय है। इससे समाज में आपसी सहयोग और सुकर्म के प्रति लोगों का आस्था बढ़ेगा।

(iv)वैचारिक अभिव्यक्ति- ऐसे विचारों की अभिव्यक्ति से मानव के अंदर मानवता का पुनः उदय होता है। मानवता का उदय प्राणियों के कल्याण का रास्ता प्रशस्त करता है। बुरे व्यक्ति के त्याग के बदले उसके बुराई का अंत करने से मानव जाति का सम्पूर्ण कल्याण संभव है।

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