Write an essay on Hospital in Hindi.......
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मानव सभ्यता के प्रादुर्भाव काल से औषधालय समाज के महत्वपूर्ण संस्थान के रूप में अपनी भूमिका निभाते नजर आए हैं. आज के दौर में ये मेडिकल कॉलेज और हाईटेक शहरों के अस्पतालों में तब्दील हो गये. हमारी धार्मिक मान्यताओं एवं ग्रंथों में कहा गया हैं कि भगवान स्वयं पहले चिकित्सक के रूप में अवतरित हुए थे. धन्वन्तरि सुश्रुत सर्जन एवं आयुर्वेद चिकित्सकों हमारे देश में हुए हैं.
जैसे जैसे मानव सभ्यता का विकास होता गया, लोगों की बीमारियों के निदान के लिए सेवाभाव से प्रेरित इन संस्थाओं ने गाँव गाँव में अपनी सेवाएं देनी शुरू की. पूर्व के जमाने में वैद्यों द्वारा चिकित्सक की भूमिका का निर्वहन किया जाता था. आज हरेक स्थान पर छोटे बड़े अस्पताल खुल गये हैं. जिनमें विभिन्न विभागों में अलग अलग विद्या के प्रतिष्ठित चिकित्सक अपनी सेवा देते हैं.
हम यह कल्पना भी नहीं कर सकते कि यदि होस्पिटल न हो तो क्या होगा. उन हजारों करोड़ लोगों का क्या होगा, जो अपना जीवन दवाओं के सहारे गुजार रहे हैं. जीवनरक्षक के रूप में दवाइयाँ खाकर ही जीवित रह पाते हैं. यदि अस्पताल न हो तो इन लोगों का जीवन खतरें में पड़ जाएगा.
मानव इतिहास से ही चिकित्सा हमारे जीवन का अभिन्न अंग रहा हैं. आज भी गरीब लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध नहीं हो रही है, जिसके चलते बड़ी संख्या में लोगों को अपने जीवन से हाथ धोना पड़ता हैं. ऐसे में यदि चिकित्सालय ही न हो तो निश्चय ही जीवन के प्रति असुरक्षा का भाव बढ़ जाएगा तथा संसार भर में संक्रामक बीमारियाँ तेजी से फैलने लगेगी. इससे मानव जीवन पर घोर संकट उत्पन्न हो जाएगा.
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अस्पताल वह स्थान है जहाँ मरीजों का ईलाज कर उन्हें स्वस्थ बनाया जाता हैं. राजकीय या निजी स्तर के भारत में दो प्रकार के चिकित्सालय प्रचलन में हैं. जहाँ मरीज आकर विशेयज्ञ डॉक्टर, नर्स आदि के द्वारा ईलाज करवाते हैं. यहाँ उनकी ठीक ढंग से देखभाल एवं ईलाज का कार्य किया जाता हैं.
आज के 21 वीं सदी के दौर में जब चिकित्सा के क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास हुआ हैं. जहाँ समस्त बीमारियों का सुलभ ईलाज प्रत्येक व्यक्ति के लिए उपलब्ध करवाया जाता हैं. एंटीबायोटिक टेबलेट, इंजेक्शन से लेकर भयावह रोगों की सर्जरी तक के ईलाज अब सम्भव हो चुके हैं.
एक अस्पताल के भली भांति संचालन में वहां के डोक्टर, नर्स, कम्पाउडर, सफाई कर्मियों का बड़ा योगदान होता हैं. इनका प्रयास रहता हैं कि चिकित्सालय का वातावरण अधिक सुखमय बनाने के निरंतर प्रयास किये जाए ताकि मरीजो को चिकित्सा के साथ ही साथ मानसिक संतुष्टि की अनुभूति करवा सके.
यहाँ नियुक्त डोक्टर न केवल मरीज को दवाई देते है बल्कि उनके मन की समस्त पीडाओं और सवालों का समाधान करने लगे हैं. भारत में आयुष्मान भारत योजना के चलते आम आदमी की अस्पताल तक पहुँच सम्भव हो पाई हैं. देश में आज भी ऐसे कई चिकित्सालय है जो ईलाज के नाम पर लोगों की जेब काटने के कार्य में रत हैं. लोगों को नयें जीवन देने वाली ये संस्थाएं यदि ईमानदारी से न चले तो फिर जनता को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं.