write an essay on jaise karni waise bharni for school
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essay on jaisi Karni waisi bharni for school in it is start first it means titfortat titfortat how we will do to others good or bad it will come to us good or bad
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प्रस्तावना– प्रकृति ने इस बात को हजारो उदहारण के जरिये मानव के समक्ष रखा है कि वह जैसा कर्म करेगा वैसी ही फल पाएगा, हमारी जैसी क्रिया होगी ठीक उसके जैसी ही हमें प्रतिक्रिया मिलेगी. यदि हम आसमान की ओर पत्थर फेकेग तो लौट कर वह पत्थर ही हमारी ओर आएगा न कि रसगुल्ला. यदि हम आम का वृक्ष लगाएगे तो आम कैर का कैर तथा गुलाब का गुलाब ही मिलेगा.
यही सिद्धान्त हमारे दैनिक जीवन की समस्त घटनाओं के साथ लागू होता हैं. जो बालक अपने विद्यार्थी काल में कठिन परिश्रम के साथ विद्या अध्ययन करता हैं तो वह अपने युवा दिनों को मौज मस्ती के साथ व्यतीत करेगा. वही यदि एक बालक अपने स्कूल के दिनों को आवारगर्दी में व्यतीत करता हैं तो उसके युवावस्था में कठिनाई के दिनों का सामना करना पड़ेगा व सफलता उससे दूर ही भागेगी.
गलत धारणा : हमारे समाज तथा देश में ऐसा वातावरण निर्मित हो चूका हैं जिनमें नैतिकता, आदर्शों तथा मूल्यों का कोई स्थान नहीं हैं. हर ओर लूट खसोट तथा बेईमानी से अपनी तरक्की के साधनों में वृद्धि की होड़ लगी हैं. हम भी अपनी सुविधा के हिसाब के इन दुनियावी हथकंडे का उपयोग करने से बाज नहीं आते. फिर हम अपने बच्चों से संस्कार वान, ईमानदार होने की उम्मीद भी करते हैं. फिर तो वही बात हुई वृक्ष बोया बबूल का आम कहा से होय.
हमारे कार्यों का प्रभाव : जीवन की रंगरेलियों में हम इतना खो जाते हैं कि कई बार हमें एहसास तक नहीं होता हैं कि हमारे व्यवहारों का युवा पीढ़ी पर क्या असर पड़ेगा. हम अपने कर्मों से आसाराम लगते है जबकि उम्मीद करते है हमारे बेटे का चरित्र राम जैसा हो. ये बाते एक दूसरे की पूर्ण विरोधी हैं |