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धरती के सभी सजीव जगत को जीवित रहने के लिए जिस प्रकार वायु की आवश्यकता है। ठीक उसी तरह जल की है। क्योंकि वायु और जल ये तो ऐसे तत्व हैं। जिनके बिना पृथ्वी पर सजीव जगत की कल्पना ही नहीं की जा सकती है। जिस प्रकार हमें जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता है। जिसे हम वायु द्वारा प्राप्त करते हैं।
ठीक उसी तरह हमारे शरीर और दिमाग को सही रूप से काम करने के लिए जल की जरूरत होती है। क्योंकि हमारे शरीर को कुछ ऐसे आवश्यक तत्व की आवश्यकता होती है। जिसकी पूर्ति पानी ही कर पाता है। इतना ही नहीं हमारे अलावा पशु-पक्षियों, कीट- पतंगे, पेड़-पौधों को भी जीवित रहने के लिए पानी की जरूरत होती है।
वायु और मिट्टी आदि की तरह ही जल भी हमारे लिए प्रकृति प्रदत एक अमूल्य उपहार है और प्रकृति ने अन्य संसाधनों के तरह ही इसे भी (जल संसाधन) हमे सीमित मात्रा में ही प्रदान किया है। क्योंकि हमारे पृथ्वी के केवल 70% हिस्से में ही जल है I जिसमे मात्र 2% जल पीने योग्य है।
आज पृथ्वी पर जो हरे-भरे पेड़-पौध, झाड़ियाँ-लताएँ हम देखते हैं यह सब पानी का ही तो देन है। इतना ही नहीं ये नदियाँ, पोखर, समुद्र, झील आदि जो हमारी पृथ्वी पर उपस्थित होकर इसकी सुंदरता को बढ़ाती है। इसका कारण भी जल ही है।
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जल ही जीवन है इस बात में कोई अतिशयोक्ति नहीं है क्योंकि धरती पर सभी जीवित प्राणियों के लिए जल अमृत के समान है। जल के बिना धरती के किसी भी प्राणी का जीवन संभव नहीं है। हमारी धरती पर वैसे तो 70% जल ही है
लेकिन मनुष्य के लिए पीने लायक जल केवल 2% ही है जो कि हमें भूमिगत, नदियों, तालाबों और वर्षा के पानी से उपलब्ध होता है। लेकिन दिनों दिन वर्षा की कमी के कारण भूमिगत जल में कमी आ गई है जिसके कारण पूरे विश्व में पानी की किल्लत हो गई है
और अगर इसी तरह जल का दुरुपयोग होता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब जल की कमी से पूरी पृथ्वी तबाह हो जाएगी। पृथ्वी पर से जीवन का नामो निशान मिट जाएगा।
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कुछ अर्थशास्त्रियों की मानें तो तीसरा विश्वयुद्ध जल के लिए ही लड़ा जाएगा जो कि एक बहुत गंभीर विषय है। हमें जल बचाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
Jal hi Jeevan Hai Essay in Hindi 350 Words
जल आज हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। मनुष्य के शरीर का 70% हिस्सा जल ही है तो आप कल्पना कर सकते हैं कि अगर जल नहीं होगा तो क्या हो सकता है। जल के बिना पूरा पर्यावरण नष्ट हो जाएगा। मनुष्य भोजन के बिना कई महीनों तक जीवित रह सकता है लेकिन जल के बिना उसकी 1 सप्ताह के अंदर ही मृत्यु हो जाएगी।
हमारी पृथ्वी पर सभी संसाधन सीमित मात्रा में है वैसे ही जल भी सीमित मात्रा में ही उपलब्ध है। जैसे हमारे जीवन की हर एक सांस अमूल्य है वैसे ही जल भी अमूल्य है।
जल पृथ्वी पर रहने वाले प्राणियों के लिए अमृत के समान है। आज हम जल का इस प्रकार दुरुपयोग कर रहे है जिससे आने वाले कुछ वर्षों में सभी जगह पानी की किल्लत हो जाएगी।
हमारी आगे आने वाली पीढ़ी को जल नहीं मिलेगा तो आप सोच सकते हैं कि आने वाले वर्षों में जल के बिना स्थिति कितनी भयावह होगी। आज मानव द्वारा जो जल पीने लायक है,
उसे भी प्रदूषित किया जा रहा है नदियों, नहरों, तालाबों में नालों का पानी छोड़ दिया जा रहा है जिसके कारण शुद्ध जल भी प्रदूषित हो रहा है और इसके कारण कई बीमारियां फैल रही है।
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जल की सही कीमत वही लोग जानते है जो कि कई किलोमीटर दूर से पानी का एक घड़ा लेकर आते है कभी-कभी तो है जल भी प्रदूषित होता है लेकिन जल संकट के कारण और अपने प्राणों को बचाने के लिए उन्हें प्रदूषित जल भी पीना पड़ता है।
हमें जल को बचाने की जितनी कोशिश हो सके उतनी करनी चाहिए। जब भी आपको किसी नल से पानी बहता दिखे तो तुरंत उस नल को बंद कर देना चाहिए अब आप सोचेंगे कि इस थोड़ी से जल को बचा कर क्या फायदा होगा।
तो हम आपकी जानकारी के लिए बताना चाहते है कि बूंद-बूंद से ही घड़ा भरता है और बूंद-बूंद से ही एक समुद्र तो जितना जल हम बचाएंगे भविष्य में हमें उतनी ही कम कठिनाइयां होगी।
जल को बचाने के लिए अनावश्यक कार्यों में जल का उपयोग ना करें। वर्षा का जल संग्रहित करे और जल के महत्व को लोगों को समझाना चाहिए। हम जल बचाओ की रैली निकालकर लोगों को जल बचाने के लिए प्रेरित कर सकते है।
Jal hi Jeevan Hai Essay in Hindi 1000 words
जल मानव जीवन के लिए ही नहीं महत्वपूर्ण है यह मानव के शरीर का भी अभिन्न अंग है क्योंकि मानव का 70% से अधिक शरीर पानी ही होता है। और पृथ्वी पर रहने वाले अन्य सजीव प्राणियों के लिए भी जल का होना अति आवश्यक है।
हमारे पृथ्वी को हरा भरा रखने और पृथ्वी का तापमान नियंत्रित इस जल के कारण ही हो पाता है अगर पृथ्वी पर जल नहीं होगा तो यह है मंगल ग्रह की तरह सिर्फ सूखा ही होगा जहां पर जीवन का कोई नामोनिशान नहीं होगा।
हमें Jal का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि अगर हम ऐसा करते है तो हम हमारे जीवन के साथ ही खिलवाड़ कर रहे है। ऐसा प्रतीत होता है कि हम अपने पैर पर खुद ही कुल्हाड़ी मार रहे है। जल हमारी पृथ्वी पर कई रूपों में विद्यमान है जैसे कि पहाड़ों पर बर्फ के रूप में, नदियों, जलाशयों और भूमिगत जल के रूप में, वाष्प के रूप में।
जल के इतने रूप होने के कारण हमारी पूरी पृथ्वी पर जल उपलब्ध हो पाता है क्योंकि जल अगर ठोस अवस्था में ही होता तो यह सिर्फ पहाड़ों पर ही होता है जिसके कारण पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं हो पाता। जल के वाष्प रूप के कारण बड़े महासागरों और समुद्रों से जल वाष्प के रूप में उड़कर बादल बनता है
और पूरी पृथ्वी पर जाकर वर्षा करता है जिससे सभी स्थानों पर जल की पूर्ति हो पाती है वर्षा के जल के कारण ही तालाब, बांध और भूमिगत जल में वृद्धि होती है।
अगर पृथ्वी पर बरसात ही नहीं होगी तो पानी की कमी हो जाएगी सभी तालाब, बांध और भूमिगत जल स्त्रोत सूख जाएंगे। वर्तमान में भी यही स्थिति उत्पन्न हो रही है क्योंकि हमारे देश में साल-दर-साल वर्षा कम होती जा रही है। इसका मुख्य कारण पेड़ों की कटाई है क्योंकि पेड़ों और वनों के कारण ही वर्षा होती है।