Hindi, asked by prajnishkumar96, 8 months ago

write an essay on मूर्खों का साथ हमेशा दुखदाई होता है in 120 words​

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Answered by HeroicGRANDmaster
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यह कहने पर वैसा गर्व और उत्साह अनुभव नहीं होता जैसा यह कहने पर कि आज स्वतंत्रता दिवस है. लेकिन मूर्खों की अपनी स्वतंत्रताएं हैं और वे किसी के लिए गर्व का विषय हों न हों, उत्साह में सदा रहते हैं. आखिर ये मूर्खताएं ही तो हैं जो उन्हें समझदारों से अलग करती हैं.

मूर्ख दिवस का बच्चों के लिए विशेष महत्व है. इस दिन वे सुबह से ही अपने वरिष्ठों को मूर्ख बनाने के एकदिवसीय कार्यक्रम में लग जाते हैं. इस वर्ष भी वे वह सब कर सकते हैं जो उन्होंने गत वर्ष किया था. मसलन वे आपके जूते गायब कर सकते हैं, सेल फोन से बैटरी निकालकर उसे हल्का कर सकते हैं, आपके पीछे दुम लगा सकते हैं, आपको कोई बुला रहा हैं, आपके ऊपर छिपकली… या ऐसा ही कुछ और.

Answered by PreetSidhu221
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Answer:

यह कहने पर वैसा गर्व और उत्साह अनुभव नहीं होता जैसा यह कहने पर कि आज स्वतंत्रता दिवस है. लेकिन मूर्खों की अपनी स्वतंत्रताएं हैं और वे किसी के लिए गर्व का विषय हों न हों, उत्साह में सदा रहते हैं. आखिर ये मूर्खताएं ही तो हैं जो उन्हें समझदारों से अलग करती हैं.

मूर्ख दिवस का बच्चों के लिए विशेष महत्व है. इस दिन वे सुबह से ही अपने वरिष्ठों को मूर्ख बनाने के एकदिवसीय कार्यक्रम में लग जाते हैं. इस वर्ष भी वे वह सब कर सकते हैं जो उन्होंने गत वर्ष किया था. मसलन वे आपके जूते गायब कर सकते हैं, सेल फोन से बैटरी निकालकर उसे हल्का कर सकते हैं, आपके पीछे दुम लगा सकते हैं, आपको कोई बुला रहा हैं, आपके ऊपर छिपकली… मूर्ख दिवस से पहले अपने यहां होली आती है. यह पर्व मूलतः हुड़दंगियों का पर्व है जिनकी नजर में मूर्ख दिवस से पहले होली मूर्ख बनने और बनाने का अवसर है. होली से पहले वैलेंटाइन डे आता है. इसमें लड़कियां लड़कों को और अगर अवसर मिला तो लड़के लड़कियों को मूर्ख बनाते हैं. वैसे यह खेल वैलेंटाइन डे से इतर भी संसार भर में साल भर चलता रहता है. इसे प्रेमपूर्ण मूर्खता या मूर्खतापूर्ण प्रेम कह सकते हैं. यह स्त्री-पुरुष संबंधों का शाश्वत पहलू है. वैलेंटाइन डे से पहले नव वर्ष आता है. इसमें भी कई तरह की मूर्खताएं होती हैं. ये मूर्खताएं नव वर्ष पूर्व संध्या से ही शुरू हो जाती हैं, इस तथ्य में यकीन जताते हुए कि हर रोज बदलने वाली तारीख में एक अंक बदल जाने से सब कुछ बदल जाता है.

आज गर्मी ने तो हद कर दी… हाय राम इतनी बारिश… आज सर्दी तो गजब है… प्रतिवर्ष यह कहते हुए हमारी सर्दियां गर्मियों में बदलती हैं और गर्मियां बारिशों में… यह कहने का आशय यहां यह है कि मूर्खताएं मूर्ख दिवस से अलग भी वर्ष भर गतिशील रहती हैं. यह अलग बात है कि इन्हें मूर्खताएं न कह कर कोई और नाम दे दिया .

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