Hindi, asked by kshitizj87, 19 days ago

write an essay on plastic ke khatre in 100 to 150 words in hindi​

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Answered by pnilesh0106
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Answer:

प्लास्टिक से फैलने वाला कचरा हर तरह के प्रदूषण के लिए जिम्मेदार होता है. इस पृथ्वी पर मौजूद प्लास्टिक वायु प्रदूषण से लेकर जल प्रदूषण तक का जिम्मेदार है. इसके अलावा प्लास्टिक जमीन की सेहत के लिए भी ठीक नहीं है. जमीन पर प्लास्टिक के ढेर और नदियों से लेकर समुंद्र तक में तैरता प्लास्टिक पर्यावरण के लिए खतरे की घंटी है.

Explanation:

Hope it's helpful

Answered by avniyadav679
6

Explanation:

हमारे पर्यावरण के लिए प्लास्टिक का कचरा बहुत खतरनाक है। इस कचरे ने आज समुद्रों, नदियों, भूमि, पहाड़ों आदि सभी प्राकृतिक स्थलों को प्रदूषित कर रखा है। हाल ही के कुछ परीक्षणों से अब यह पाया गया है कि पैक की हुई पानी की बोतलों में प्लास्टिक के बहुत से कण मौजूद रहते हैं।

विश्व में प्लास्टिक का उत्पादन 30 करोड़ टन प्रति वर्ष किया जा रहा है। जबकि कचरे के रूप में इसके निपटान के कारगर उपाय नहीं हैं। प्लास्टिक का कचरा दो प्रकारों में उत्पन्न होता है।

माइक्रोप्लास्टिक, ऐसे कण हैं, जो 5 मि.मी. से भी कम आकार के होते हैं। ये प्राथमिक औद्योगिक उत्पादों जैसे स्क्रबर या प्रसाधन सामग्री के द्वारा वातावरण में प्रवेश करते हैं।

ये शहरों में अपशिष्ट जल के माध्यम से वातावरण को प्रदूषित कर रहे हैं।

पॉलीप्राजीलीन, पॉलीएथिलीन, टेरेप्थलेट आदि प्लास्टिक के ही ऐसे रूप हैं, जो सूक्ष्म कणों के रूप में जल, भोजन एवं वायु के साथ हमारे शरीर में प्रवेश कर नुकसान पहुँचा रहे हैं। अनेक अध्ययनों से पता चलता है कि ये कण हमारे प्रतिरोधी तंत्र को हानि पहुँचाते हैं।

आँकड़े बताते है कि प्रतिवर्ष समुद्र में जाने वाला प्लास्टिक कचरा 80 लाख टन होता है। भारत में प्लास्टिक कचरे की समस्या एक चुनौती बनी हुई है। यहाँ के बाजारों में उपलब्ध प्लास्टिक की थैलियाँ सबसे ज्यादा संख्या में प्रदूषण फैला रही हैं।

समाधान –

प्लास्टिक के उत्पादन और वितरण पर नियंत्रण रखना प्रथम प्रयास होना चाहिए। सिंगल-यूज प्लास्टिक बैग की जगह प्लास्टिक के ऐसे प्रकार के बैग बनाए जाएं, जो दोबारा उपयोग करने लायक हों। उन्हें रिसाइकल किया जा सके।

ठोस कचरा प्रबंधन नियम, 2016 को प्रभावशाली ढंग से लागू किया जाए। इसके अंतर्गत कचरे को सूखे और गीले में अलग-अलग करके रखा जाए। इससे पर्यावरण को हो रही क्षति को रोका जा सकेगा। रोजगार के अवसर बढाए जा सकेंगे।

प्लास्टिक के उपयोग और उसके सुरक्षित निपटान से जुड़े मुद्दों पर सफलता प्राप्त करना एक लंबे समय की मांग करता है। यह ऐसी प्रक्रिया नहीं है, जिसे अमल में न लाया जा सके। हमें जल्द-से-जल्द सरकारी एवं सामुदायिक स्तर पर इसके लिए प्रयास करने होंगे।

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