Hindi, asked by Zero8638, 1 year ago

Write an Essay on River Ganga in Hindi

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Answered by Maximus
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हमारे प्राचीन धर्मग्रंथों में गंगा को नदियों में श्रेष्ठ माना गया है। श्रीमदभगवद गीता में श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते है की - मैं नदियों में गंगा हूँ। ऐसा माना जाता है जी गंगा का उद्गम भगवान् विष्णु के चरण-कमल से हुआ है। विष्णु के चरण से निकलकर गंगा ब्रम्हा कमंडल में और अंततः भगवन शिव की जटाओं में समा गयी। भगीरथ अपनी तपस्या के बल पर गंगा को धरती पैर ले आये। इसी गंगा के तट पर अनेक ऋषियों ने अपने आश्रम बनाये और तपस्या की गंगा के बारे में गोस्वामी तुलसीदास जी ने स्वयं ही लिखा है की -

गंग सकल मुद मंगल मूल।
सब सुख करनि हरनि सब मूल। 

इन पंक्तियों का अर्थ है की गंगा सभी आनंद मंगलों की जननी है। वह सभी दुखों को हरने वाली और सर्वसुखदायनी है। 

गंगा प्रदूषण : जो नदी कभी पवित्र मानी जाती थी आज उसी नदी के तट पर अनेक महानगर बसा दिए गए हैं। शहरों की सारी गंदगी इसमें ही डाली जाती है। नालों से निकलने वाले मॉल-जल , कल कारखानों से निकलने वाले अवशिष्ट पदार्थ ,कृषि से सम्बंधित रासायनिक अवशेष,बड़ी संख्या में पशुओं के शव अधजले मानव शरीर छोड़े जाने और यहाँ तक की धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान बड़ी संख्या में देवी-देवताओं की प्रतिमाएं आदि विसर्जित करने के कारण आज गंगा का पानी अत्यंत दूषित हो गया है।

                     इस प्रदूषित जल में उपस्थित जीवाणु, फफूंद, परजीवी  और विषाणु के कारण गंगा जल पर निर्भर रहने वाले लगभग 40% भारतीय हैजा, उलटी, दस्त, बुखार ,स्किन की समस्याएं जैसी बीमारियों से पीड़ित हैं। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ( W.H.O) ने इसे विश्व के सबसे प्रदूषित नदियों में से एक मानते हुए इसका  प्रदूषण स्तर निर्धारित मानक से 300  गुना अधिक बताया है। कॉलीफार्म ,घुलित ऑक्सीज़न और जैव रासायनिक ऑक्सीज़न के आधार पर पानी को पीने, नहाने व कृषि उपयोग के लिए 3 श्रेयों में विभक्त किया गया है। 

Coliform level in water

Drinking Water

Below 50

Bathing Water

50-500

Water used in Agriculture

500-5000

आप चार्ट में देख सकते है की पीने के पानी में कोलीफार्म का स्तर 50 के नीचे, नहाने के पानी में 500 के नीचे, और कृषि योग्य पानी में इसका स्तर 5000 के नीचे होना चाहिए। जबकि हाल ही में किये गए अध्ययन से पता चलता है की हरिद्वार में गंगाजल में Coliform का स्तर 3500 पाया गया। पटना विश्व विद्यालय ने बनारस स्थित गंगा के जल में पारा होने की पुष्टि की है। पवित्रता और धार्मिक आस्था से जुडीगंगा इतनी प्रदूषित हो चुकी है की आज ये सम्पूर्ण भारत के लिए चिंता का विषय बन गयी है। 

आग बहती है यहां गंगा में और झेलम में ,कोई बतलाये कहाँ जाके नहाया जाये। 

गंगा के प्रदूषित होने के कारण : आज गंगा का पानी अगर इतना प्रदूषित हुआ है तो इसके कई कारण है। सबसे पहला कारण है हमारी आर्थिक सोच  का पूरी तरह नकारात्मक हो जाना। कोई भी कारखाना हो फिर चाहे वो बेल्ट का हो या कपडे का। कैसे भी फैक्ट्री हो उसका कचरा और गंदगी तो बस गंगा में ही बहानी है , इस सोच ने गंगा को प्रदूषित किया है। और भी कई कारण है जैसे गंगा में नहाना , उसके किनारे कपडे धोना , गंगा में मूर्तियां विसर्जित करना ,शवों को गंगा में बहाना आदि आदि। परन्तु यह सब इतने बड़े कारण नहीं क्योंकि यह सब तो भारत में कई हजारों साल से होता आ रहा है। तो फिर गंगा आखिर इतनी प्रदूषित कैसे हुई ? दोस्तों इसका जवाब है की इन सब कामों से गंगा प्रदूषित तो जरूर होती है परन्तु इतनी भी नहीं। इसके प्रदूषण का मुख्या कारण है रासायनिक कचरा जो फैक्ट्रियों कारखानों आदि से गंगा के जल में घुलकर प्रदूषित करता है। पहले भी हम गंगा के किनारे नहाते थे कपडे धोते थे परन्तु तब साबुन का इस्तेमाल नहीं करते थे, लोग उस समय गंगा की रेत से ही कपडे धो लिया करते थे। इस प्रकार गंगा में कोई रासायनिक कचरा नहीं जाता था। गंगा को अगर खतरा है तो वो है रासायनिक कचरे से। फिर भी जहाँ तक संभव हो हमें किसी भी प्रकार का कचरा गंगा में नहीं डालना चाहिए। 
Answered by dikshant3538
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Answer:

गंगा नदी के साथ अनेक पौराणिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं। मिथकों के अनुसार ब्रह्मा ने विष्णु के पैर के पसीने की बून्दों से गंगा का निर्माण कियाा तथा पृथ्वी पर आते समय शिवजी ने गंगा को अपने शिर जटाओं में रखा। त्रिमूर्ति के तीनों सदस्यों के स्पर्श के कारण यह पवित्र समझा गया। एक अन्य कथा के अनुसार राजा सगर ने जादुई रूप से साठ हजार पुत्रों की प्राप्ति की।[36] एक दिन राजा सगर ने देवलोक पर विजय प्राप्त करने के लिए एक अश्ववमेध नामक यज्ञ किया। यज्ञ के लिए घोड़ा आवश्यक था जो ईर्ष्यालु इन्द्र ने चुरा लिया था। सगर ने अपने सारे पुत्रों को घोड़े की खोज में भेज दिया अन्त में उन्हें घोड़ा पाताल लोक में मिला जो एक ऋषि कपिल मुनि के समीप बँधा था। सगर के पुत्रों ने यह सोचकर कि ऋषि ही घोड़े के गायब होने की वजह हैं, उन्होंने ऋषि का अपमान किया। तपस्या में लीन ऋषि ने हजारों वर्ष बाद अपनी आँखें खोली और उनके क्रोध से सगर के सभी साठ हजार पुत्र जलकर वहीं भस्म हो गए।[37] सगर के पुत्रों की आत्माएँ भूत बनकर विचरने लगीं क्योंकि उनका अंतिम संस्कार नहीं किया गया था। सगर के पुत्र अंशुमान ने आत्माओं की मुक्ति का असफल प्रयास किया और बाद में अंशुमान के पुत्र दिलीप ने भी। भगीरथ राजा दिलीप की दूसरी पत्नी के पुत्र थे। उन्होंने अपने पूर्वजों का अंतिम संस्कार किया। उन्होंने गंगा को पृथ्वी पर लाने का प्रण किया जिससे उनके अंतिम संस्कार कर, राख को गंगाजल में प्रवाहित किया जा सके और भटकती आत्माएँ स्वर्ग में जा सकें। भगीरथ ने ब्रह्मा की घोर तपस्या की ताकि गंगा को पृथ्वी पर लाया जा सके। ब्रह्मा प्रसन्न हुए और गंगा को पृथ्वी पर भेजने के लिए तैयार हुए और गंगा को पृथ्वी पर और उसके बाद पाताल में जाने का आदेश दिया ताकि सगर के पुत्रों की आत्माओं की मुक्ति सम्भव हो सके। तब गंगा ने कहा कि मैं इतनी ऊँचाई से जब पृथ्वी पर अवतरित होऊँगी तो पृथ्वी इतना वेग कैसे सह पाएगी? तत्पश्चात् भगीरथ ने भगवान शिव से निवेदन किया और उन्होंने अपनी खुली जटाओं में गंगा के वेग को रोककर, एक लट खोल दी, जिससे गंगा की अविरल धारा पृथ्वी पर प्रवाहित हुई। वह धारा भगीरथ के पीछे-पीछे गंगा-सागर संगम तक गई, जहाँ सगर-पुत्रों का उद्धार हुआ। शिव के स्पर्श से गंगा और भी पावन हो गयीं और पृथ्वीवासियों के लिए श्रद्धा का केन्द्र बन गई। पुराणों के अनुसार स्वर्ग में गंगा को मन्दाकिनी और पाताल में भागीरथी कहते हैं। इसी प्रकार एक पौराणिक कथा राजा शान्तनु और गंगा के विवाह तथा उनके सात पुत्रों के जन्म की है।

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