write an essay on sources of water in hindi
Answers
Answer:
- जल संसाधन पानी के वह स्रोत हैं जो मानव के लिए उपयोगी हों या जिनके उपयोग की संभावना हो। पानी के उपयोगों में शामिल हैं कृषि, औद्योगिक, घरेलू, मनोरंजन हेतु और पर्यावरणीय गतिविधियों में। वस्तुतः इन सभी मानवीय उपयोगों में से ज्यादातर में ताजे जल की आवश्यकता होती है।पृथ्वी पर पानी की कुल उपलब्ध मात्रा अथवा भण्डार को जलमण्डल कहते हैं।[1] पृथ्वी के इस जलमण्डल का ९७.५% भाग समुद्रों में खारे जल के रूप में है और केवल २.५% ही मीठा पानी है, उसका भी दो तिहाई हिस्सा हिमनद और ध्रुवीय क्षेत्रों में हिम चादरों और हिम टोपियों के रूप में जमा है।[2] शेष पिघला हुआ मीठा पानी मुख्यतः जल के रूप में पाया जाता है, जिस का केवल एक छोटा सा भाग भूमि के ऊपर धरातलीय जल के रूप में या हवा में वायुमण्डलीय जल के रूप में है।
Explanation:
1. धरातलीय जल (Surface Water):
पृथ्वी के धरातल पर पानी की राशि स्थिर एवं गतिशील दोनों रूपों में पाई जाती है । जलीय स्वरूप के आधार पर भी पानी अनेक रूपों में मिलता है, उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में हिम टोपियों व हिमनदों के रूप में व निम्नवर्ती भागों में द्रव अवस्था में मिलता है ।
महान झीलें:
सुपीरियर झील इनमें सबसे बड़ी हैं, व ओंटेरियो सबसे छोटी झील है । महान् झीलें तकरीबन 244,650 वर्ग किमी. क्षेत्रफल पर फैली हुई हैं । इन झीलों में स्वच्छ ताजा पानी पाया जाता है । सुपीरियर झील संसार की सबसे बड़ी स्वच्छ पानी की झील है, जिसका क्षेत्रफल 82350 वर्ग किमी. है ।
संयुक्त राज्य अमेरिका के मिनिसोटा, विस्कॉन्सिन व मिशिगन राज्यों में सुपीरियर झील के कुल क्षेत्रफल का 53,600 वर्ग किमी. क्षेत्र पाया जाता है । इस झील का शेष क्षेत्र कनाडा में फैला हुआ है । भूगोलवेत्ताओं के अनुसार इन महान झीलों का निर्माण आज से लगभग 15,000 वर्ष पहले विस्तृत हिमानियों की बर्फ के पिघलने के वजह से हुआ था ।
(iii) हिम क्षेत्रों के रूप में धरातलीय जलराशियां:
इसके अलावा उच्च पर्वतीय क्षेत्रों पर स्थित हिम टोपियों व हिमनद भी प्रमुख पानी राशियाँ हैं । आर्कटिक पानी क्षेत्र में उपस्थित कनाड़ा, रूस, ग्रीनलैण्ड, स्कैन्डेनेविया आइसलैण्ड तथा अलास्का के हिमावतरि स्थलीय भाग सम्मिलित हैं । इनमें ग्रीनलैण्ड सबसे बड़ा हिम आवरित क्षेत्र है ।
दक्षिणी गोलार्द्ध में उपस्थित अण्टार्कटिका महाद्वीप संसार का पाँचवा बड़ा महाद्वीप है, इसका 95 प्रतिशत भाग ओसतन 2000 मीटर मोटी हिमपरत से आवरित है । यहाँ सम्पूर्ण पृथ्वी का तकरीबन 90 प्रतिशत शुद्ध पानी पाया जाता है पर संसार में तापमान बढ़ोतरी की वजह से यह हिम पिघल रही है ।
आर्कटिक व अण्टार्कटिका के अलावा हिमालय, आल्पस, रॉकी जख एण्डीज, की पर कीलिमंजारो आदि पर्वतों पर भी हिम टोपियों व हिमनदों के रूप में पानी की मात्रा पाई जाती है । विभिन्न नदियों में जल का स्रोत हिमराशियों पर निर्भर करता है ।
जीव जगत के लिए जिस जल की आवश्यकता होती है, उसका भण्डार सीमित है । जहाँ शुद्ध जल का 80 प्रतिशत हिस्सा हिम के रूप में है वहीं इसका काफी बड़ा भाग लवणीय भी है ।
2. भू-जल (Ground Water):
भू-जल सिंचाई का एक महत्वपूर्ण स्रोत होता है और वह देश की 50% से अधिक सिंचाई की पूर्ति करता है । खाद्यान्न उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भरता की स्थिति तक पहुंचने में पिछले तीन दशकों में भू-जल सिंचाई का योगदान उल्लेखनीय रहा है ।
आने वाले वर्षों में सिंचित कृषि के विस्तार तथा खाद्य उत्पादन के राष्ट्रीय लक्ष्यों की पूर्ति के लिए भू-जल प्रयोग में कई गुना वृद्धि होने की संभावना है । हालांकि भू-जल वार्षिक आधार पर पुन:पूर्ति योग्य स्रोत है फिर भी स्थान और समय की दृष्टि से इसकी उपलब्धता असमान है ।
इसलिए भू-जल संसाधन के विकास की योजना तैयार करने के लिए भू-जल संसाधन और सिंचाई क्षमता का एकदम सही आकलन करना एक पूर्वापेक्षा है । भू-जल की प्राप्ति ओर संचलन पर जल भू-वैज्ञानिक, जल-वैज्ञानिक और जलवायुपरक जैसे बहुविध तत्वों का नियंत्रण रहता है ।
एक जलभृत के दो प्रमुख कार्य होते हैं:
(i) पानी का संक्रमण करना (नाली का कार्य) तथा
(ii) संग्रह करना (भण्डारण का कार्य) । अबाधित जलभृतों के भीतर भू-जल संसाधनों को स्थिर और गतिशील के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है । स्थिर संसाधनों को जलभृत के पारगम्य भाग में जल स्तर उतार-चढ़ाव के क्षेत्र के नीचे उपलब्ध भू-जल की मात्र के रूप में परिभाषित किया जा सकता है ।
गतिशील संसाधनों को जलस्तर उतार-चढ़ाव के क्षेत्र में उपलब्ध भू-जल की मात्र के रूप में परिभाषित किया जा सकता है । पुन:पूर्तियोग्य भू-जल संसाधन अतिवार्यत: एक गतिशील संसाधन है जिसकी प्रतिवर्ष अथवा नियतकालिक आधार पर वर्षा, सिंचाई प्रत्यावर्ती प्रवाह, नहर रिसाव तालाब रिसाव, अन्त:स्रावी रिसाव आदि से पुन:पूर्ति होती है ।
भू-जल की विशेषतायें:
इसकी विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
(1) भू-जल प्राय: बैक्टीरिया रहित है ।
(2) भू-जल प्राय: सर्वत्र उपलब्ध है ।
(3) भू-जल कम खर्चीला किफायती संसाधन है ।
(4) भू-जल आपूर्ति का दीर्घकालीन एवं विश्वसनीय स्रोत है ।
(5) भू-जल की मात्रा सतही जल से अधिक है ।
(6) भू-जल पर प्रदूषण का प्रभाव अपेक्षाकृत कम पड़ता है ।
(7) भू-जल को तत्काल निकाला तथा उपयोग में लाया जा सकता है ।
(8) भू-जल पर सूखे का प्रभाव कम पड़ता है ।
(9) जल आपूर्ति के दौरान भू-जल की कोई क्षति नहीं होती है ।
(10) सूखाग्रस्त व अर्ध सूखाग्रस्त क्षेत्रों में यही जीवन आधार है ।
(11) शुष्क मौसम में यह नदियों के जल प्रवाह का स्रोत है ।
(12) भू-जल में बीमारी पैदा करने वाले जीवाणु व कीटाणु नहीं होते ।
(13) उपयोग से पहले भू-जल के शुद्धिकरण की आवश्यकता नगण्य होती है ।
(14) भू-जल रंगहीन व गंदलापन रहित है ।
(15) कम स्वच्छ सतही जल की तुलना में यह स्वास्थ्य के लिए अधिक उपयोगी है ।
3. महासागर (Ocean):
पृथ्वी का 70.87 प्रतिशत हिस्सा जलीय है जिसका 97.39 हिस्सा महासागरों के रूप में मौजूद है जिसमें कुल 13,48,000,000 किमी. पानी पाया जाता है । इस तरह पृथ्वी पर इतने विशाल जलीय हिस्से की वजह विद्वान इसे जलीय गृह भी कहते हैं ।
उत्तरी गोलार्द्ध में 40 फीसदी हिस्से पर पानी व 60 फीसदी हिस्से पर स्थल है जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में 81 फीसदी हिस्से पर पानी व 19 फीसदी हिस्से पर स्थल है जिसके कारण दक्षिणी गोलार्द्ध को जलीय गोलार्द्ध कहा जाता है ।
महासागरों में सबसे बड़ा प्रशान्त महासागर है जिसमें संसार का 53.9 प्रतिशत जलीय भाग मौजूद है जबकि अटलांटिक महासागर में 24.9 प्रतिशत व हिन्द महासागर में 21.1 प्रतिशत पानी उपस्थित है ।