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जीव जंतु और मानव का साहस संबंध
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Answer:
जैसे मनुष्य को रहने के लिए घर की जरूरत होती हैं | वैसे सभी पशु – पक्षियों को रहने के लिए जंगल ही उनका घर हैं | पक्षी पेड़ों पर अपना घोसला बनाकर रहते हैं और अन्य जानवर जंगलों में रहते हैं |
जंगलों में हिंसक जीवों का भी समावेश होता हैं | जैसे हाथी, शेर, बाघ, भालू, चिता, लोमड़ी इत्यादि. सभी इस जंगलों में निवास करते हैं |
Explanation:
वन्य जीवों का संरक्षण करने के लिए सबसे पहले हमें पेड़ों की कटाई नहीं करनी चाहिए | पेड़ों को काटने से रोकना चाहिए | पशु संरक्षण के लिए शिकार करने पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। मनुष्य को जानवरों से प्रेम रखना चाहिए | सभी प्राणियों को जीवित रहने के लिए सबसे ज्यादा जरुरी हैं – ग्लोबल वार्मिंग | इस ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को रोकने के लिए सभी लोगों को प्रयास करना चाहिए |
जीव जंतु और मानव का साहस संबंध
प्राणी जगत में मात्र मनुष्य के पास ही ऐसी क्षमता है जो कि बोल कर लिखकर या अनेक भावों अथवा संकेतों से अपने विचार दूसरे तक पहुंचाते हैं। अब अगर हम जीव-जन्तु जगत की बात करें कि वो किस माध्यम से अपने विचार दूसरों तक पहुंचाते हैं ? महसूस
किया होगा कि कौआ, चिड़िया, मुर्गी आदि अनेक ऐसे पक्षी हैं, अपने को जब वह मुसीबत में घिरा देखते हैं तो जोर-जोर से शोर मचाना शुरू कर देते हैं। बंदर या लंगूर भी अपनी अभिव्यक्ति चाहे वो दुख की हो या सुख की, विचित्र हावभाव एवं संकेतों द्वारा ही व्यक्त करते हैं। मधुमक्खियां नाच-नाच कर फूलों की दूरी या फिर इनकी दिशा, साथियों को इशारों से बताती हैं। घोड़ा भी अपने सह मित्रों को अगर कुछ बताना चाहता है तो या तो वह अपने खुरों को भूमि पर खरोंचता है या फिर हिनहिनाता है। कुछ पक्षियों में तो सूंघने की क्षमता भी बहुत अधिक होती है। जिससे वह आने वाले खतरे आह से सचेत हो जाते हैं तथा औरों को भी संकेत दे देते हैं। बिल्ली, कुत्ता भी रोकर या अन्य किसी माध्यम से अपनी अभिव्यक्ति दूसरे पर दर्शाते हैं।
कुछ पशु-पक्षी तो स्वाद, रंग पहचानने की वजह से ही अपनी पहचान बनाए हैं। जैसे- सूअर, गाय तथा हिरण के बारे में कहा जाता है कि इनकी स्वाद शक्ति मानव की स्वाद शक्ति सक्रि से कई गुना अधिक होती है।
मनुष्य की जीभ में अगर 3,000 के लगभग स्वाद कलिकाएं होती हैं तो इन जानवरों में लगभग 200 से 50000 तक स्वाद कलिकाएं होती हैं। तक स्वाद कलिकाएं होती हैं। पता है, व्हेल मछली के अतिरिक्त सभी मछलियों का सारा शरीर ही स्वाद कलिकाओं से युक्त रहता है। मक्खी तथा तितली अपने पैरों से स्वाद का पता लगाती है जबकि छिपकली अपनी जीभ द्वारा स्वाद का पता लगाती है। बंदर व लंगूर में रंगों की पहचान शक्ति खूब होती है। जबकि कुत्ता तथा बिल्ली वर्णान्ध होते हैं। मधुमक्खी तो नीले या पराबैंगनी रंगों की भी पहचान कर सकती है। घोड़े के बारे में प्रचलित है कि वह हरे तथा पीले रंग की ही पहचान कर सकता है।
आपने अक्सर सुना या देखा होगा कि बैल या सांड लाल कपड़ा दिखाने से भड़क जाते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि बैल को किसी भी कपड़े से भड़काया जा सकता है। क्योंकि उन्हें रंगों की पहचान नहीं होती। मनुष्य का सबसे करीबी दोस्त कुत्ता भी रंगों को नहीं पहचान पाता। अनेक परीक्षणों से पता चला है कि वह रंग भेद नहीं कर सकता। बिल्ली संसार के सबसे आश्चर्यजनक जीवों में से एक है, यह शेरों की भांति चुपके से ताक लगाकर शिकार पर गद्देदार पंजों से झपटती हैं। दो मीटर तक की कूद यह बिना आराम से लगा लेती है। बिल्ली रात के अंधेरे में भी देख सकती है। अंधेरे में इसकी सुनने, सूंघने की तथा देखने की क्षमता अधिक हो जाती है। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य जीवों की अभिव्यक्ति भी रात को अधिक सक्रिय हो जाती है। 31 वैज्ञानिकों ने यह जानकारी दी है कि अगर जानवर रंगों को नहीं देख सकते तो इसका मूल कारण यही है कि अधिकतर 'जानवर निशाचर होते हैं और रंगों पर निर्भर रहने की उनको कोई जरूरत नहीं रहती |
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