Write an Essay on “Valmiki-The Great Saint” in Hindi
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Short Essay on 'Valmiki Jayanti' in Hindi | 'Valmiki Jayanti' par Nibandh (140 Words)
वाल्मीकि जयंती
महर्षि 'वाल्मीकि जयंती' को 'बाल्मीकि जयंती' के नाम से भी जाना जाता है। इसे प्रसिद्द कवि महर्षि वाल्मीकि के जन्म दिन के रूप में मनाया जाता है। यह हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार आश्विन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
महर्षि वाल्मीकि को 'आदि कवि' के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि वह प्रथम कवि थे जिसने प्रथम श्लोक की खोज की। वाल्मीकि जयंती पूरे भारतवर्ष में मनाई जाती है किन्तु उत्तर भारत में यह विशेष रूप से मनाई जाती है। उत्तर भारत में यह दिवस 'प्रकट दिवस' के रूप में प्रसिद्द है।
वाल्मीकि जयंती के दिन विविध आयोजन होते हैं। जगह-जगह से शोभा-यात्रा निकाली जाती है। महर्षि वाल्मीकि की प्रतिमा स्थल पर फल वितरण एवं भंडारा का आयोजन होता है। महर्षि वाल्मीकि का जीवन दर्शन यह प्रेरणा देता है कि सच्चाई के रास्ते पर चलकर ही मानव महापुरुष बन सकता है। यह दिन सत्कर्म को प्रेरित करता है।
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वाल्मीकि :
पहले बाल्मीकि का नाम रत्नाकर था I रत्नाकर महा लूटेरा था जंगल में आने जाने वाले लोगों का जो भी सामान है लूट लेता था I लोग त्रस्ट थेI एक दिन उसी रास्ते से नारद मुनि हाथ में वीणा लिए जा रहे थे Iरत्नाकर उन पर झपट पड़ा और अपनी संपत्ति देने कहा I नारद जी बोले मेरे साथ तो बस यह वीणा है इसका तुम क्या करोगे और भी एक बात ,तुम घर वाले से जाकर पुछो की क्या तुम जो पाप की कमाई लाते हो, क्या उसमें वो खाने वाले पाप के भागीदार होंगे ,तब तक मैं यहीं खड़ा रहूँगा ,नहीं विश्वास हो तो मुझे पेड़ में बाँध दो ,उसने ऐसा ही किया I घर जाकर उसने पत्नी और बच्चे से पूछा कि क्या मेरे पाप की कमाई ें तुमलोग भागीदार होगे ?उन्लोगों ने कहाः बिलकुल नहीं तुम पति हो तुम जैसे भी खिलाओ ये तुम्हारा कर्तव्य है Iफिर माँ से पूछा माँ ने कहा ,भागीदार तो मैं हूँ लेकिन उम्र अधिक हो गयी , और जब जवान बेटा है तो कर्तव्य तो उसी का है न Iबस रत्नाकर दौड़ के नारद जी के पास पहुंचे उनकी रस्सी खोली और चरणों पर गिर गया ,और कहा क्षमा करें !आप कोई संत हैं पाप का भागीदार कोई नहीं होगा मुझे कुछ उपाय बताएं Iनारद जी ने कहा तुम राम का जप करते रहो वही बेडा पार करेंगे I ये तपस्या करने बैठ गए I राम शब्द को भूल गए और मरा मरा का उच्चारण करने लगे Iलम्बी तपस्या के बाद इनका शरीर बाल्मिक अर्थात (दीमक )से ढक गयाI
इसी से इनका नाम बाल्मीकि पड़ा फिर क्या था ये तमसा नदी के किनारे चले गए टहलते हुए इन्होने एक बार पेड़ पर देखा . कि दो क्रौंच पक्षी प्रेमालाप में थे I उसी समय ब्याधे ने तीर मार दिया क्रौंच तो मर गया क्रोंची विलाप करने लगी Iतभी उनसे प्रथम श्लोक जो करूण रस का था निकला I
"माँ निषाद !प्रतिश्ठात्वम शाश्वती संमागम:
यत क्रोंच वधे न उदयो काममोहितम II
रामायण महाकाव्य की रचना बाल्मीकि ने की I