Write an paragraph on Gyan Ka Bhandhar- Pustakalya in HINDI
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मानव शरीर को स्वस्थ बनाये रखने के लिए जिस प्रकार हमें पौष्टिक तथा संतुलित भोजन की आवश्यकता होती है । उसी प्रकार मानसिक स्वास्थ्य के लिए ज्ञान की प्राप्ति आवश्यक है । मस्तिष्क को बिना गतिशील बनाये ज्ञान प्राप्त नहीं किया जा सकता । ज्ञान प्राप्ति के लिए विद्यालय जाकर गुरु की शरण लेनी पड़ती है ।
इसी तरह ज्ञान अर्जित करने के लिए पुस्तकालय की सहायता लेनी पड़ती है । लोगों को शिक्षित करने तथा ज्ञान देने के लिए एक बड़ी राशि व्यय करनी पड़ती है । इसलिए स्कूल, कॉलेज खोले जाते हैं और उनमें पुस्तकालय स्थापित किये जाते हैं । जिससे कि ज्ञान चाहने वाला व्यक्ति सरलता से ज्ञान प्राप्त कर सके ।
पुस्तकालय के दो भाग होते हैं । वाचनालय तथा पुस्तकालय । वाचनालय में देशभर से प्रकाशित दैनिक अखबार के अलावा साप्ताहिक, पाक्षिक तथा मासिक पत्र-पत्रिकाओं का पठन केन्द्र है । यहां से हमें दिन प्रतिदिन की घटनाओं की जानकारी मिलती है । पुस्तकालय विविध विषयों और इनकी विविध पुस्तकों का भण्डार ग्रह होता है । पुस्तकालय में दुर्लभ से दुर्लभ पुस्तक भी मिल जाती है ।
भारत में पुस्तकालयों की परम्परा प्राचीनकाल से ही रही है । नालन्दा, तक्षशिला के पुस्तकालय विश्वभर में प्रसिद्ध थे । मुद्रणकला के साथ ही भारत में पुस्तकालयों की लोकप्रियता बढ़ती चली गई । दिल्ली में दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी की सैकड़ों शाखाएं हैं । इसके अलावा दिल्ली में एक नेशनल लाइब्रेरी भी है ।
पुस्तकें मनुष्य की मित्र होती हैं । एक ओर जहां वे हमारा मनोरंजन करती हैं वहीं वह हमारा ज्ञान भी बढ़ाती हैं । हमें सभ्यता की जानकारी भी पुस्तकों से ही प्राप्त होती है । पुस्तकें ही हमें प्राचीनकाल से लेकर वर्तमानकाल के विचारों से अवगत कराती हैं । इसके अलावा पुस्तकें संसार के कई रहस्यों से परिचित कराती हैं । कोई भी व्यक्ति एक सीमा तक ही पुस्तक खरीद सकता है ।
सभी प्रकाशित पुस्तकें खरीदना सबके बस की बात नहीं है । इसलिए पुस्तकालयों की स्थापना की गई । पुस्तकालय का अर्थ है पुस्तकों का घर । यहाँ हर विषय की पुस्तकें उपलब्ध होती हैं । इनमें विदेशी पुस्तकें भी शामिल होती हैं । विद्यालय की तरह पुस्तकालय भी ज्ञान का मंदिर है ।
पुस्तकालय कई प्रकार के होते हैं । इनमें पहले पुस्तकालय वे हैं जो स्कूल, कॉलेज तथा विश्वविद्यालय के होते हैं । दूसरी प्रकार के पुस्तकालय निजी होते हैं । ज्ञान प्राप्ति के शौकीन व्यक्ति अपने-अपने कार्यालयों या घरों में पुस्तकालय बनाकर अपना तथा अपने परिचितों का ज्ञान अर्जन करते हैं ।
तीसरे प्रकार के पुस्तकालय राजकीय पुस्तकालय होते हैं । इनका संचालन सरकार द्वारा किया जाता है । इन पुस्तकों का लाभ सभी लोग उठा सकते हैं । चौथी प्रकार के पुस्तकालय सार्वजनिक होते हैं । इनसे भी सरकारी पुस्तकालयों की तरह लाभ उठा सकते हैं ।
इनके अतिरिक्त स्वयं सेवी संगठनों व सरकार द्वारा चल पुस्तकालय चलाये जा रहे हैं । यह पुस्तकालय एक वाहन पर होते हैं । हमारा युग ज्ञान का युग है । वर्तमान में ज्ञान ही ईश्वर है ज्ञान ही शक्ति है ।
पुस्तकालय से ज्ञान वृद्धि में जो सहायता मिलती है वह और कहीं से सम्भव नहीं है । विद्यालय में विद्यार्थी केवल विषय से संबंधित ज्ञान प्राप्त कर सकता है लेकिन पुस्तकालय ज्ञान का खजाना है ।
इसी तरह ज्ञान अर्जित करने के लिए पुस्तकालय की सहायता लेनी पड़ती है । लोगों को शिक्षित करने तथा ज्ञान देने के लिए एक बड़ी राशि व्यय करनी पड़ती है । इसलिए स्कूल, कॉलेज खोले जाते हैं और उनमें पुस्तकालय स्थापित किये जाते हैं । जिससे कि ज्ञान चाहने वाला व्यक्ति सरलता से ज्ञान प्राप्त कर सके ।
पुस्तकालय के दो भाग होते हैं । वाचनालय तथा पुस्तकालय । वाचनालय में देशभर से प्रकाशित दैनिक अखबार के अलावा साप्ताहिक, पाक्षिक तथा मासिक पत्र-पत्रिकाओं का पठन केन्द्र है । यहां से हमें दिन प्रतिदिन की घटनाओं की जानकारी मिलती है । पुस्तकालय विविध विषयों और इनकी विविध पुस्तकों का भण्डार ग्रह होता है । पुस्तकालय में दुर्लभ से दुर्लभ पुस्तक भी मिल जाती है ।
भारत में पुस्तकालयों की परम्परा प्राचीनकाल से ही रही है । नालन्दा, तक्षशिला के पुस्तकालय विश्वभर में प्रसिद्ध थे । मुद्रणकला के साथ ही भारत में पुस्तकालयों की लोकप्रियता बढ़ती चली गई । दिल्ली में दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी की सैकड़ों शाखाएं हैं । इसके अलावा दिल्ली में एक नेशनल लाइब्रेरी भी है ।
पुस्तकें मनुष्य की मित्र होती हैं । एक ओर जहां वे हमारा मनोरंजन करती हैं वहीं वह हमारा ज्ञान भी बढ़ाती हैं । हमें सभ्यता की जानकारी भी पुस्तकों से ही प्राप्त होती है । पुस्तकें ही हमें प्राचीनकाल से लेकर वर्तमानकाल के विचारों से अवगत कराती हैं । इसके अलावा पुस्तकें संसार के कई रहस्यों से परिचित कराती हैं । कोई भी व्यक्ति एक सीमा तक ही पुस्तक खरीद सकता है ।
सभी प्रकाशित पुस्तकें खरीदना सबके बस की बात नहीं है । इसलिए पुस्तकालयों की स्थापना की गई । पुस्तकालय का अर्थ है पुस्तकों का घर । यहाँ हर विषय की पुस्तकें उपलब्ध होती हैं । इनमें विदेशी पुस्तकें भी शामिल होती हैं । विद्यालय की तरह पुस्तकालय भी ज्ञान का मंदिर है ।
पुस्तकालय कई प्रकार के होते हैं । इनमें पहले पुस्तकालय वे हैं जो स्कूल, कॉलेज तथा विश्वविद्यालय के होते हैं । दूसरी प्रकार के पुस्तकालय निजी होते हैं । ज्ञान प्राप्ति के शौकीन व्यक्ति अपने-अपने कार्यालयों या घरों में पुस्तकालय बनाकर अपना तथा अपने परिचितों का ज्ञान अर्जन करते हैं ।
तीसरे प्रकार के पुस्तकालय राजकीय पुस्तकालय होते हैं । इनका संचालन सरकार द्वारा किया जाता है । इन पुस्तकों का लाभ सभी लोग उठा सकते हैं । चौथी प्रकार के पुस्तकालय सार्वजनिक होते हैं । इनसे भी सरकारी पुस्तकालयों की तरह लाभ उठा सकते हैं ।
इनके अतिरिक्त स्वयं सेवी संगठनों व सरकार द्वारा चल पुस्तकालय चलाये जा रहे हैं । यह पुस्तकालय एक वाहन पर होते हैं । हमारा युग ज्ञान का युग है । वर्तमान में ज्ञान ही ईश्वर है ज्ञान ही शक्ति है ।
पुस्तकालय से ज्ञान वृद्धि में जो सहायता मिलती है वह और कहीं से सम्भव नहीं है । विद्यालय में विद्यार्थी केवल विषय से संबंधित ज्ञान प्राप्त कर सकता है लेकिन पुस्तकालय ज्ञान का खजाना है ।
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