Hindi, asked by 5480, 6 months ago

write anuched on आत्मनिर्भरता

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Answered by aradhana66788
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Explanation:

मनुष्य को जीवन में दूसरों पर भरोसा न कर आत्म निर्भर और आत्म विश्वासी होना चाहिए । दूसरे शब्दों में आत्म-सहायता ही उसके जीवन का मूल सिद्धांत, मूल आदर्श एवं उसके उद्देश्य का मूल-तंत्र होना चाहिए । असंयत स्वभाव तथा मनुष्य का परिस्थितियों से घिरा होना, पूर्णरूपेण आत्मविश्वास के मार्ग को अवरूद्ध सा करता है ।

वह समाज में रहता है जहां पारस्परिक सहायता और सहयोग का प्रचलन है । वह एक हाथ से देता तथा दूसरे हाथ से लेता है । यह कथन एक सीमा तक उचित प्रतीत होता है । ऐसा गलत प्रमाणित तब होता है जब बदले में दिया कुछ नही जाता सिर्फ लिया भर जाता है और जब अधिकारों का उपभोग विश्व में बिना कृतज्ञता का निर्वाह किए, भिक्षावृत्ति तथा चोरी और लूट-खसोट में हो, लेकिन विनिमय न हो ।

फिर भी पूर्ण आत्म-निर्भरता असंभव सी है । जीवन में ऐसे सोपान आते हैं, जब आत्म विश्वास को जागृत किया जा सकता है । स्वभावतया हम दूसरों पर आर्थिक रूप से निर्भर होते हैं । हम जरूरत से ज्यादा दूसरों की सहायता, सहानुभूति, हमदर्दी, नेकी पर विश्वास करते हैं, लेकिन यह आदत हानिकारक है । इससे हमारी शक्ति और आत्म उद्योगी भावना का ह्रास होता है । यह आदत हममें निज मदद हीनता की भावना भर देती है ।

यह हमारे नैतिक स्वभाव पर उसी प्रकार कुठाराघात करती है, जैसे किसी नव शिशु को गिरने के डर से चलने से मना करने पर कुछ समय पश्चात् अपंग हो जाता है । यदि इसी प्रकार हम दूसरों पर निर्भर न रहें तो नैतिक रूप से हम अपंग व विकृत हो जाते हैं ।

इसके अलावा दूसरों से काफी अपेक्षा रखना एक तरह से खुद को उपहास, दयनीय स्थिति, तिरस्कार व घृणा का पात्र बना लेने के बराबर है । इस स्थिति में लोग आश्रित और परजीवी बन जाते हैं । आत्म-शक्ति से परिपूर्ण व्यक्तियों के मध्य हमारी खुद की स्थिति दयनीय हो जाती है ।

विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने के लिए हमारा अन्त करण हमें उत्तेजित करता है । अन्त में हम इस मानव जाति से घृणा व विरोध करने लगते हैं । ईर्ष्या हमारे जीवन में जहर भर देती हैं । इससे ज्यादा दयनीय स्थिति और कोई नही ।

इससे बिल्कुल विपरीत स्थिति आत्म-विश्वासी व्यक्ति की है । वह वीर और संकल्पी होता है । वह बाहरी सहायता पर विश्वास नही करता, बकवास में विश्वास नही रखता और बाधाओं, मुसीबतों से संघर्ष करता है तथा हर पग पर नए अनुभव प्राप्त करता है । वह चाहे सफल रहे या असफल उसे हमेशा दया, आदर और प्रशंसा का अभिप्राय माना जाता है ।

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