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विद्यार्थी गण के जीवन में पढ़ाई एक विशेष व महत्वपूर्ण चीज होती है। करुणा के समय में जब घर से बाहर निकलने में भी पसीने छूटते थे तब मोबाइल के माध्यम से छात्र-छात्राएं मोबाइल , लैपटॉप, अन्य कंप्यूटर किसके द्वारा बच्चों को पढ़ाई
को जारी रखने का अवसर मिला।इसने भारत और अन्य देशों के युवकों की की भविष्य सवरने का एक नई उमंग दिखाई देने लगा।
class 8th - Meghna Brijwal
आज के परिवेश में शिक्षा जितनी जरूरी है उतना ही जरूरी बच्चों के लिए खेलकूद है। इससे बच्चों में शारीरिक विकास के साथ-साथ मानसिक विकास होता है। बच्चों के विचारों में निखार आता है। खेल को आज के बच्चे कॅरियर के रूप में भी अपनाने लगे हैं।
इस संदर्भ में जब अभिभावकों से बात की गई तो का¨लदी कुंज निवासी पूनम अग्रवाल कहती हैं कि आजकल के बच्चे टीवी, मोबाइल फोन पर गेम खेलते हैं जो गलत है। उन्हें क्रिकेट, कबड्डी जैसे शारीरिक गेम ज्यादा खेलने चाहिए। बच्चों को पढ़ाई के बराबर का समय खेलने कूदने को माता-पिता को देना चाहिए, जिससे बच्चे अपने ताजगी महसूस करें। रोहताश गोयल ने कहा कि बच्चों को उनके माता पिता शाम के समय लगभग एक घंटे खेलने के लिए तय करें, जिससे कि बच्चे पढ़ाई के लिए अपने आपको मानसिक रूप से स्वस्थ कर सकें। साहूकारा निवासी चंचल गोयल ने कहा कि सरकार को भी बच्चों को विद्यालयों में पढ़ाई के अलावा खेलकूद के लिए निश्चित अवधि तय करनी चाहिए। कमलेश यादव ने कहा कि माता पिता को बच्चों पर हर समय पढ़ने के लिए दबाव नहीं बनाना चाहिए। जब बच्चे का खेलने का मन हो तो उसे खेलने दें, लेकिन परीक्षा के समय थोड़ी सतर्कता जरूर रखें, जिससे बच्चों की परीक्षाओं की तैयारी प्रभावित न हो। मनोज वर्मा ने कहा कि बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ खेलने का समय भी निर्धारित कर देना चाहिए। परीक्षा की तैयारी के समय उन्हें समझाएं कि ज्यादा देर खेलने से वे परीक्षा की तैयारी पूरी नहीं कर पाएंगे। परीक्षा के समय उन पर किसी तरह का दबाव न डालें। सुशील मल्होत्रा ने कहा कि इस समय बच्चों को परीक्षा की तैयारी सबसे ज्यादा जरूरी है, क्योंकि तैयारी नहीं होने पर उनका साल भी खराब हो सकता है।
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